पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४२४

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लाडिली-मै उद्योग कर सकती है, मगर वह तो हरदम मायारानी की कमर में रहती है ! कम-उसके लेने की सहज तर्कीय मै बताती हूँ। लाडिली-क्या ? कम-(कमर से तिलिस्मी खजर निकाल और दिखा कर ) यह तिलिस्म की सौगात है, हाथ में लेकर जब इसका कब्जा दयाया जायगा तो बिजली की सी चमक पैदा होगी जिसके सामने किसी की आँख खुली नहीं रह सकती। इसके अतिरिक्त इसमें और भी दो गुण है एक तो यह कि जिसके बदन से यह लगा दिया जाय उसके बदन में बिजली दौड़ जाती है और वह तुरत चेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ता है और दूसरे यह हर एक चीज को काट डालने की ताकत रखता है। कमलिनी ने खजर का कब्जा दबावा। उसमें से ऐसी चमक पैदा हुई कि लाडिली ने दोनों हाथों से आँखें बन्द कर ली और कहा यस बस इस चमक को दूर करो तो आँखे खोलें !" कम-(कब्जा ढीला करके) लो चमक बन्द हो गई ऑखें खोलो। लाडिली-(आँखें खोल कर ) मेरे हाथ में दो तो मैं भी कब्जा दया कर देखू 'मगर नहीं तुम तो कह चुकी हो कि यह जिसके बदन से छुलाया जायगा वह बेहोश हो जायगा तो मैं इसे कैसे ले सकूँगी और तुम पर इसका असर क्यों नहीं होता? हम ऊपर लिन आये है कि कमलिनी के कमर में दो तिलिस्मी खजर थे और उनके जोड़ की दो अगूठियाँ भी उसकी उगलियों में थीं। उसने एक अंगूठी लाडिली की उँगली में पहिरा कर उसका गुण अच्छी तरह समझा दिया और कह दिया कि जिसके हाथ में यह अगूठी रहेगी केवल वही इस खजर को अपने पास रख सकेगा। लाडिली-जय ऐसी चीज तुम्हारे पास है तो वह ताली तुम स्वय उससे ले सकती हो। कम-हाँ मैं यह काम खुद भी कर सकती हूँ मगर ताज्जुब नहीं कि मायारानी के कमरे तक जाते आते मुझे कोई देख ले और गुल करे तो मुशिकल होगी। यद्यपि मेरा कोई कुछ कर नहीं सकता और मै इस खजर की बदौलत सैकड़ों को मार कर निकल जा सकती हूँ, मगर जहाँ तक बिना खून खराबा किए काम निकल जाय तो उत्तम ही है। लाडिली-हा ठीक है तो अब विलम्ब न करना चाहिए। कम-तो फिर जा मै इसी जगह बैठी तेरी राह देचूंगी। खजर के जोड की अगूठी हाथ में पहिरने बाद लाडिली ने तिलिस्मी खजर ले लिया और बुर्ज का दरवाजा खोल वहाँ से रवाना हुई। कमलिनी को आधे घण्टे से ज्यादे राह न देखना पडा इसके भीतर ही ताली लिए हुए लाडिली आ पहुंची और अपनी बडी बहिन के सामने ताली रख कर बोली इस ताली के लेने में कुछ भी कठिनाई न हुई। मुझे किसी ने भी न देखा। चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था मायारानी बेखवर सो रही थी ताली लेते समय वह जाग न उठे इससे यह तिलिस्मी खजर एक दफे उसके बदन से लगा देना पड़ा बस तुरत ही उसका बदन कॉप उठा मगर वह आँखें न खोल सकी मुझे विश्वास हो गया कि वह बेहोश हो गई। यसमै ताली लेकर चली आई मगर अब यहाँ ठहरना उचित 1 - कम हों अब यहाँ से चलना और उन कैदियों को छुडाना चाहिए। लाडिली-मगर उन कैदियों को छुड़ाने के लिए तुमको इसी वाग की राह कैदखाने तक जाना होगा । कम-नहीं यहाँ जाने के लिए दूसरी राह भी है जिसे में जानती हूँ लाडिली-( ताज्जुब से कमलिनी का मुंह देख के ) जीजाजी यहाँ के बहुत से रास्तों और सुरगों तथा तहखानों को जानते थे मालूम होता है तुमने उन्हीं से इसका हाल जाना होगा? कम-नहीं यहाँ की बहुत सी बाते किसी दूसरे ही सवय से मुझे मालूम हुई जिसे सुन कर तू बहुत ही खुश होगी हाँ यदि जीजाजी हम लोगों से जुदा न किए जाते तो यहाँ की अजीब बातों के देखने का आनन्द मिलता। मायारानी को भी यहाँ के भेद अच्छी तरह मालूम नहीं है। लाडिली-जीजाजी हम लोगों से जुदा किये गये इसका मतलब मैं नहीं समझी। कम-क्या तू समझती है कि गोपालसिहजी (मायारानी के पति ) अपनी मौत से मरे ? लाडिली-(कुछ सोच कर } मुझे तो यही विश्वास है कि उन्हें जहर दिया गया। मैने स्वय देखा कि मरने पर उनका रग काला हो गया था और नेहरा ऐसा बिगड़ गया था कि मै पहिचान न सकी। हाय हम दोनों बहिनों पर उनकी बडी ही कृपा रहती थी! - देवकीनन्दन खत्री समग्र ४०४