पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४३०

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लोग अगर बिना राशनी के इस काठरी में आते तो जसर दुय भोगा क्योकि या जमीन परावर थी यीबोवाय में एक कूँआ था और उसके चारों तरफ चार दाँजे बने हुए थे जिनको देने से मालूम थात था कि यहां कई सहयान है और य दाजे नहीं तहयानों के रास्ते हैं। इस समय उगदर्याजों के पल्ले जालकनीक थे अमीर दखने से मालूम हुआ कि नीचे उतरन के लिये सीढ़िया ची हुई है आर उस कप में नीलाह की एक जजीर लटक रही थी। इसके अतिरिक्त धारा तरफ की दीवारे बराबर थी अर्थात् किसी तरफ काई दवाजा था जिसे योल फरय लाग बाहर जान की इच्छा करते। इन्द-मालूम होता है कि यहाँ आने या यहा से जाने के लिए इन तहखाक सिवाय काई राह नहीं है। आनन्द-में भी यही समझता हू। देवी-इन तहखानों में उतर विग काम चलेगा। तारा-आज्ञा का ता में राशनी लेकर एक तहखाने में उत्तल और दखू कि क्या है। इन्दजीत-खेर जाआ काई नहीं। आज्ञा पाकर तारासिह एक तहटाने के मुह पर गय मगर जब नीर उतरने लगता कुछ दधकार रुक ग कुँअर इन्द्रजीतसिह ने तकने का सवय पूछा जिसके जवाब मे तारासि 1461 इस हियात राशनी मालू बहाती है और धीरे धीरे वह राशनी तेज होती जाती है। मालूम होता है कि सुरग है और कोई आदमी हाय मे लिये इनी तरफ आ रहा है। दोनो कुमार और ऐयार लाग भी यहाँ गय और माफ कर दयान लगा थोडी देरमा कमसिन और नजर पड़ी लगे सीढी के पास आकर ऊपर बढने का इरादा कर रही थी। एका पाराय में मामला यी जिस दस्त ही कगार ने पहिचान लिया कि यह कमलिनी है साथ में लाडिला भी थी मगर उस पोचानत नये जयदीपन पार मायाराक दसार में लाए मय थे तो मायारागी के बगल में पेश हुए उसे देखा और समस्त फि लोन लोगो की दुश्मन है। इस समय कमलिनी के साथ उसे दय फार सुभार का शक मानूम हुआ नयाँकि नासिर नलिदास्त माते में और दास्त के साथ दुश्मन का हाना बराक युटके की बात है। कमलिनी जाब सीदी के पास पहुंची ता ऊपर रोरानी देर कर रुक गई रायभार : पुकार करना मत ऊपर चली आआ महू इदजीतसिः । कमलिनी कुमार की आवाज पहिचान गई और लाडिली कासासनिय ऊपर मला आई मगर दानों जुगारा और उनके ऐयारों का यहाँ देख कर ताज्जुब करन लगी। कमलिनी-आप लोग यहाँ केस आय? इन्दजीतसिह-यही बात में तुमस पूछो पाला था। कमलिगी-तो आपको छुडान के लिए आईनगर मानता किम आ के परिस होती पहुं कर आप लागों को छुड़ा दिया । देवी-काई दूसरा नही आया दोनों कुगारोन रस्य अपनी अपकाला डाली जगन्गे का उपाय कर थाहर निकल आये और हम लागो को भी कैद से पाया इसके बाद दी र ता कर हम लोग अनी थाडादर हुई इधर -- आय है। कमलिनी-(हँसकर ) बहादुर है यह न एसा पारंगता दूसरा का कारेमा । इन्द-हम एक बात हमसे और पछा पाहत है। कमलिनी-आपका मतलब मैं समझ गई। (लाडिली की तरफ देय कर शायद इसके बार में आप कुछ पूछंगे। इन्दजीत-हाँ ठीक है क्योंकि इन भने उसके पास पठे दया था जितर्फ फरेय ने हमारी यह दशा को है, और लोगों की यातों से यह भी मालूम हुआ कि उसका राम मायारानी है। कमलिनी-बहुत दिनों तक साथ रहने पर भी आपको मेरा भेद कुछ मालुम नहीं हुआ मगर इस समय में इतना कह देना उचित समझती हू कि यह मेरी छोटी बहिा है और मायारानी बड़ी बहिन है। हम तीनो बहिने है लेकिन अनबन होने के कारण में उससे अलग गई और आज इसने भी उसका साथ छोड़ दिया। आज से पहले बह मेरी ही दुश्मन थी मगर आज से इसकी भी जिसका नाम लाडिली है जाउकी प्यासी हो गई मगर इतना सुनने पर भी न समझती हू कि आप मुझे अपना दुश्मन न समझते होंगे। इन्द्रजीत नहीं नहीं कदापि नहीं. मैं तुम्हे अपना हमदर्द समझता हूँ, तुमने मेरे साथ बहुत कुछ नेकी की है। कमलिनी-आप लोगों को छुड़ाने के लिए तेजसिंह भी यहाँ आये थे मगर गिरफ्तार हो गये। इन्द-क्या तेजसिह भी गिरफ्तार हो गये? लेकिन वे उस कैदखाने में नहीं लाये गये जहाँ हम लोग थे! देवकीनन्दन खत्री समग्र ४१०