पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दि with नागर-ठीक है, अब तुझे किसी का डर नहीं है मगर फिर भी में इतना कहे बिना न रहूंगी कि तू हमला के साथ दुश्मनी करक फायदा नही उठा सकता और राजा वीरेन्द्रसिह तेरा कसूर कभी माफ करेंगे। भूत-राजा वीरेन्दसिह अवश्य भरा कसूर गाम करेंगे और जब म उन कागजों का जला हो चुका ता मरा कसूर साबित भी कैसे हो सकता है? नागर-ऐसा होने पर भी तुझ सध्या युगे इस दुनिया में नहीं मिल सकती और TR रन्थसिया लिए जान ददन । पर भी तुझे उनसे कुछ विशय लाभ नहीं हो सकता भूत--सा क्या? वह कौन सच्ची खुरी ह आ मुझ नहीं मिल सकती? नागर--तर लिए सच्ची खुशी यही है कि तरे पास इतना दौलत हा कि तू पैफिक राकर अमीरों की तरह स्निगी काट सके और तर पास तेरी वा प्यारी स्त्री भी दी जा काशी में रहती थी और जिसके पट स मानक पेदा हुआ है। भूत-(चौक कर ) तुझे यह केस मालूम हुआ कि वह मरी ही स्त्री थी। नागर-वाह वाह क्या मुझस कोई चात छिपी रह सकती है ? मालूमरसता है नाक तुझरा व गर हाल नहीं कहा जो तेरे निकल जाने बाद उसे मालूम हुआ था और जिसकी बदौलत नानक को उस जगह का पता लग गया सहा किसा के खून से लिखी हुई किताब रक्खा हुई थी? भूत-नहीं नानक ने मुझसे पा सब हाल नहीं कहा बल्कि वह यह भी नहीं जाता fh #Fi उसका पाप का यून से लिखी किताब का हाल मुझ जबर मालूम है। नागर-शायद वह किताब अभी तक गाकहीक कम्जेम। मूत-उसका हाल मै तुझसे नहीं कह सकता। नागर-सेर मुझ उसके विषय में कुछ जानन की इच्छा भी नहीं है। भूत-हा तो भरी स्त्री का हाल तुझ मालूम है? नागरदेशका माल्म है। भूत-क्या अभी तक वह जाती है? नागर-हा जीती है मग- अब पाच धार दिन के बाद गातान रहगी। भूत-सा क्या ? क्या बोमार है। नागर-गही धीमार नहीं है जिसके यहा यह द? उसी । उसक मारन का रिचार किया है। भूत-उस किसन कैद कर रक्या है? नागर-यह हाल तुझसे में क्यों कर ? जर तू मेरा दुश्मन है और मुझा कैदी बना कर लिए जाता है ता में तर साय नकी क्यों कर भूतनाय इसके बदले में में भी तेरे साथ कुछ नही कर दूंगा नागर-बेशक इसम कोई सन्दह नहीं कि तू हर तरह से मर साथ नेकी कर सकता है और में भी तर साथ बहुत कुछ पाई कर सकती है, सच तो या है कि दुझ पर मरा दाया है। भूत--दावा कैसा मूत-(हस कर ) उस चादनी रात म ती धुटिया के साथ फूल गूंधन का दाया उस महसरी के नीचे स्ठानका दाया | नाखून के साथ खून निकालन का दाया और उस कसम की सच्याई का दाया जा राहत्तसगढ जाता समय नमी लिए हुए कलार पिन्डी पर क्या आर कहू? भूत-उम बस धस में समझ गया विशेष कहो की काइ आवश्यकता नहीं है। पER कारवाई तुम्हाला की तरफ से हुई थी। जभर नानक की माँ के गायब होने बाद तूही उसकी शक्ल यन क बहुत दिनो तक मरे पर रही,आर तरे ही साथ बहुत दिनों तक मैने एश किया। नागर-और अन्त में यह रिक्तगन्थ तुमन भरे ही हाथ में दिया था। भूत-ठीक है ठीक है ता तेरा दावा मुझ पर उतना ही हो सकता है जितना किसो बइमा ओर बभुषित रखी का' अपने यार पर। नागर-खैर उतना ही सही में रडी ता दू ही मुझे चालाक और अपने काम का समझ कर मनोरमा न अपनी सखी बना लिया और इसमें भी कोई सदेह नहीं कि उसकी बदौलत मैंने बहुत कुछ सुख मागा। भूत-खैर तो मालूम हुआ कि यदि तू चाह तो मेरी स्त्री को मुझसे मिला सकती है? नागर-यशक ऐसा ही है मगर इसको बदले में तू मुझ क्या दगा? देवकीनन्दन स्त्री समग्र ४२० .