पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४४४

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H इसक बाद जमीन का वह हिस्सा जो लकडी का था फिर घरावर हा गया और सन्दूक भी उसी तरह दिखाई देने लगा। यह हाल देख धनपत डर के मार कॉपन लगी और मायारानी कीतरफादेख क बोली क्या यह काई कुआ है? माया-हा यह कुआ है और एसे नमक हरामों को सजा दन के लिए बनाया गया है। दोनों चेईमान ऐयार मेरा साथ छोड के अपनी जान बचाया चाहते थे हरामजादे पाजी नालायक अब अपनी संजा को पहुंचे। धन-इतने दिनों तक आपके साथ रहन पर भी इस कुए का हाल मुझे मालूम न था। माया यहा के बहुत से भेद अभी तुम्हें मालूम नहीं खैर अब यहा से चलना चाहिए। धनपत का सायलिय मायारानी उस काठरी के बाहर निकली और दर्वाजा वन्द करने बाद कमन्द के साहर उतर कर अपने खास सान बाल कमर में चली आई। मायारानी की लौडियों ने मायारानी को दोनों एयारों और धनपत के साथ उस कोठरी की तरफ जाते देखा था मगर अब केवल धनपत का साथ लिए लौटते देख उनका ताज्जुब हुआ लेकिन डर क मार कुछ पूछ न सकी। सध्या का समय हा गया मायारानी अपने कमरे में जा कर मसहरी पर लेट गई। उस समय बहुत सी लौडिया उसक सामने थी मगर इशारा पा कर सब बाहर चली गई कयल धनपत वहा रह गई। धनपत-आपने बहुत जल्दी की विचारे ऐयारों की जान व्यर्थ ही गई। माया-वे दानों कमीनेंइसीलायक थे। इस लिए में उन से बार बार पूछ रही थी जब देख लिया कि अपन विचार पर दृढ़ है ता लाधार धन-खैर जा कुछ हुआ सो अच्छा हुआ लेकिन अब क्या करना चाहिए? अफसोस यह है कि ऐस समय में बेचारी मनोरमा भी नहीं है। माया-(लम्बी सास लकर ) हाय बेचारी मनोरमा मरी सच्ची सहायक थी पर उसे भी तेजसिह ने गिरफ्तार कर लिया। इसी खबर के साथ भागर न कहला भेजा था कि भूतनाथ के कागजात अपने साथ लेकर उस छुडाने जाती है, भगर उस बात को भी बहुत दिन बीत गये और अभी तक मालूम न हुआ कि नागर के जाने का क्या नतीजा निकला। उस भी गिरफ्तार कर लिया हा तो ताज्जुब नहीं सच तो यह है कि भूतनाथ के मारने में मनारमा ने बड़ी जल्दी की। धन-बेशक भूतनाथ के मारन में उसने भूल की भूतनाथ से बहुत कुछ काम निकालने की आशा थी। इतन ही में बाहर स आवाज आई थी नहीं बल्कि है। मायारानी न दर्वाजे की तरफ देखा तो नागर पर निगाह पड़ी। माया-आह इस समय तरा आना बहुत ही अच्छा हुआ आ मेरे पास बैठ जा। नागर-(मायारानी के पास बैठकर ) में देखती हू की आज आपकी अवस्था बिल्कुल बदली हुई है कहिय मिजाज ता अच्छा है। माया-अच्छा क्या हे पस दम निकलन की दर है। नागर-(घबडा कर ) सा क्या? माया-अव आई है तो सब कुछ सुन ही लेगी पर पहिले अपना हाल तो कह कि मेरी प्यारी सखी मनोरमा को छुड़ा लाई या नहीं और चोखट के अन्दर पैर रखत ही तने यह क्या कहा कि थी नहीं बल्कि है । क्या भूतनाथ मारा नहीं गया? क्या वह खयर झूठ थी? नागर-हाँ वह खबर झूठ थी मनोरमा ने भूतनाथ की जान नहीं ली और न उसे तेजसिह ने गिरफ्तार किया है पल्कि वह कमलिनी की कैदी है। माया-तो वह औरत जो मनोरमा की खबर लकर तेरे पास आई थी झूटी थी? नागर-वह स्वय कमलिनी थी मनोरमा को कैद कर चुकी थी और मुझे भी गिरफ्तार किया चाहती थी यह ता असल में भूतनाथ क कागजात ले लेने का बन्दोबस्त कर रही थी बल्कि यो कहना चाहिए कि मैं उसके धोखे में आ भी गयी । उसने मुझ गिरफ्तार कर लिया और भूतनाथ के विल्कुल कागजातही मुझसे लेकर जला दिए। माया-यह बहुत ही बुरा हुआ अब भूतनाथ विल्कुल हम लागों के कब्जे से बाहर हो गया खैर जीता है यही बहुत है। यह कह कि तरी जान कर बची? इसके बाद नागर न अपना पूरा पूरा हात्र मायारानी के सामने कहा और उसने बड़े गोर से सुना। अन्तम नागर ने हा इस समय भूतनाथ को अपने साथ ले आई जो जी जान से हम लागों की मदद करने के लिए तैयार है। देवकीनन्दन खत्री समग्र ४२४