पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४५२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

इच्छानुसार कोई काम करने के लिये कहे तो उसमें किसी तरह का शक न करना। मै इससे अपना भेद नहीं छिपाती और इस अपना विश्वासपात्र समझाती है । इसके बाद हस्ताक्षर और एक निशान करके वह चीठी भूतनाथ के हवाले की और कहा कि 'बस तुम इसी समय मनोरमा क मकान की तरफ चले जाओ और राजा गोपालसिंह से मिलकर काम कराया जा मुनासिब हो करो भगर देयो खूब होशियारी से काम करना मामला बहुत नाजुक है ओर तुम्हारे ईमान में जरा सा फर्क पड़ेगा तो मैं बहुत बुरी तरह पेश आऊगी। आप हर तरह से बेफिक रहिए । कह कर भूतनाथ टीले के नीच उत्तर आया और देखते दखते सामने क जगल में घुस कर गायब हो गया। आठवां बयान अपनी बहिन लाडिली ऐयारों और दानो कुमारों को साथ लेकर कमलिनी राजा गोपालसिह के कह अनुसार मायारानी के तिलिस्मी आग के चौथे दर्जे में जाकर देवमन्दिर में कुछ दिन रहगी। यहा रह कर ये लोग जो कुछ करेंगे उसका हाल पीछ लिखेंगे इस समय भूतनाथ का कुछ हाल लिख कर हम अपने पाठकों के दिल में एक प्रकार का पुटका पैदा करते है। भूतनाय कमलिनी से विदा होकर सीधे फाशीजी की तरफ नहीं गया बल्कि मायारानी से मिलने के लिए उसके । यास (तिलिस्मी वाग) की तरफ रवाना हुआ और दोपहर दिन चदने के पहिले ही बाग के फाटक पर जा पहुंचा। पहर बाल सिपाहियों में से एक की तरफ देय कर योला जल्द इत्तिला कराओ कि भूतनाथ आया है। इसके जवाब में उस सिपाही न कहा आपके लिए रुकावट नहीं है आप चल जाइए जब दूसरे दर्जे के फाटक पर जाइयगा तो लोहियों से इत्तिला कराइयेगा। मृतनाथ बाग के अन्दर चला गया। जब दूसरे दर्जे के फाटक पर पवा तो लौडियो न उसके आने की इत्तिला की और वह बहुत जल्द मायारानी के सामने हाजिर किया गया । माया-कहाँ भूतनाथ कुशल सता हो? तुम्हारे चहरे पर युशी की निशानी पाई जाती है इससे मालूम होता है कि कोई गुशखबरी लाय हो और तुम्हारे शीघ्र लौट आने का भी यही समय है। तुमजा याहा कर सकते हो हा क्या ययर लायर भूत-अब तो मै बहुत कुछ इनाम लूगा क्योंकि वह काम कर आया हू जो सिवा मरे दूसरा कोई कर ही नहीं सकता था। माया-यशक तुम एसे ही हो मला कही ता राही क्या कर आय ? भूत-वह बात ऐसी नहीं है कि किसी के सामन कही जाय ! माया- ( लौडियों को घले जान का इशारा करके ) वशक मुझसे मूल हुई कि इन सभी के सामने तुमसे खुशी का सवय पूछती थी। हा अब तो सन्नाटा हो गया । भूत-आपने अपई पतिगोपालसिह के लिए जो उद्योग किया था यह ता बिल्कुल ही निसफल हुआ। मैं अय कमलिनी के पास से चला आ रहा हू! उस मुझ पर पूरा भरासा और विश्वास है और वह मुझसे कोई भेद नहीं छुपाती उनकी जुबानी जो कुछ मुझे मालूम हुआ है उससे जाना जाता है कि गोपालसिह अभी किसी के सामने अपने को जाहिर नहीं करेगा बल्कि गुप्त रहकर आपको तरह-तरह की तकलीफें पहुंचावेगा और अपना बदला लेगा ! माया (काप कर ) वेशक वह मुझे तकलीफ देगा : हाय मी दुनिया का सुप कुछ भी नहीं रोगा और तुम कौन सी खुशखबरी सुनाने आय हो सा ता कहो । भूत-कह तो रहा हु-पर आप स्वय बीच में टाक देती है तो क्या करूं। हाता इस समय आपको सताने के लिए बड़ी बड़ी कार्रवाइया हो रही है और रोहतासगढ से फोज चली आ रही है क्योंकि गोपालसिह और जामिह ने कुमारों की दिलजमई करा दी है कि राजा वीरेन्द्रसिह और रानी चन्द्रकान्ता कामायाराणी व नहीकिया बल्फि धारर देने की नीयत से दो आदमियों को नकली चन्द्रकान्ता और पारेन्द्रसिह यना कर कैद किया है। अब कुअर इन्दजीतसिह के दो एयारों को साथ लकर गापालसिह किशोरी और कामिनी को छुड़ाने के लिए मनोरमा के मकान में गये हैं। भाग--विना योले रहा नहीं जाल! न ता कुअर इन्दजीतसिह आनन्दसिह या उनके ऐयारी से डरती हू और न “रोहतासगढ की फौज से डरती हू, में अगर डरती हू तो केवल गोपालसिह से बल्कि उसके नाम से क्योंकि में उसके साथ बुराई कर चुकी है और वह मेरे पजे स निकल गया है। खैर यह खबर ता तुमने अच्छी सुनाई कि वर किशारी और देवकीनन्दन खत्री समग्र ४३२