पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४५३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

६. कामिनी को छुडान क लिय मनोरमा के मकान में गया है। मैं आज हो यहा से काशीजी की तरफ रवाना हो जाऊगी और जिस तरह हाया उसे गिरफ्तार करूंगी। भूत-नहीं नहीं आप उस कदापि गिरफ्तार नहीं कर सकती आप क्या बल्कि आपसी अगर दस हजार एक साथ हा जाय ता भी उसका कुछ नहीं बिगड सकती है। माया-(चिढ कर ) सो क्यों? भूत-कमलिनी ने उसे एक ऐसी अनूठी चीज दी है कि वह जो चाह कर सकता है और आप उसका कुछ नहीं विगाड़ सकती। माया-वह कौन एसो अनमाल चीज है ? इसके जवान में भूतनाथ ने उस तिलिस्मी खजर का हाल और गुण वयान किया जो कमलिनी ने कुअर इन्दजीतसिह को दिया या और कुअर साहब ने गोपालसिंह को दे दिया था। अभी तक उस खजर का पूरा हाल मायारानी का गलूम न था इसलिये उसे बसा ही ताज्जुब हुआ और वह कुछ देर तक साचने के बाद बाली- माया-अगर ऐसा नजर उसके हाथ लग गया है तो उसका कोई भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता ! बस में अपनी जिन्दगी से निराश हो गई। परन्तु मुझे विश्वास नहीं होता कि ऐसा तिलिस्मी खजर नहीं से कमलिनी के हाथ लगा हो। यह असम्भव है बल्कि ऐसा खजर हो ही नहीं सकता। कमलिनी ने तुमसे झूठ कहा होगा। भूतनाथ-(हस कर ) नही नहीं बल्कि उसी तरह का एक खजर कमलिनी ने मुझे भी दिया है। (कमर से खजर निकाल कर और हर तरह पर दिखा कर ) देखिये यही है। माया-(ताज्जुब से) हा हा अब मुझे याद आया। नागर ने अपना और तुम्हारा हाल बयान किया था तो ऐसे खजर क जिक्र किया था और मैं इस बात को बिल्कुल भूल गई थी। खैर तो अब मै उस पर किसी तरह फतह नहीं पा सक्ती । 'मूत-नहीं घबडाइये मत उसके लिये भी मै बन्दोबस्त करके आया हू । माया-वह क्या? भूतनाथ ने वह कमलिनी वाली चोठी बटुए में से निकाल कर मायारानी के सामने रक्खी जिसे पर ही वह खुश हो गई और बाली शाबाश भूतनाथ तुमने बडा ही काम किया अब तो तुम उस नालायक को मेरे पजे में इस तरह फसा सकले हो कि कमलिनी को तुम पर कुछ भी शक न हो। भूत-वशक एसा ही है मगर इसलिए अब हम लोगों को अपनी राय बदल देनी पडेगी अर्थात पहिले जो यह बात सोची गई थी कि किशारी को छुडाने के लिए जो कोई वहा जायेगा उसे फसाते जायेग सो न करना पड़ेगा। माया--तुम जैसाकहोगे वैसा ही किया जायगा चेशक तुम्हारी अक्ल हम लोगों से तेज है। तुम्हारा ख्याल बहुत ठीक है अगर उसे पकड़ने की कोशिश की जायगी तो वह कई आदमियों को मार कर निकल जायगा और फिर कब्जे में न आवेगा और ताज्जुब नहीं कि इसकी खबर भी लोगों को हो जाय जो हमारे लिए बहुत बुरा होगा। भूतनाथ-हा अस्तु,आप एक धीठी नागर के नाम की लिखकर मुझे दीजिए और उसमें केवल इतना ही लिखिए कि विशोरी और कामिनी को निकाल ले जाने वाले सरोक टोकन करें बल्कि तरह दे जाय और उसके मकान के तहखानों का भेद मुझे बता दें फिर जब ये दोनों किशारी और कमलिनी का ले जायगें तो उसके बाद मैं उन्हें धोखा देकर दारोगा वाल बगल में नहर के ऊपर है ले जाकर झट फसा लूगा। वहा के तहखानों की ताली आप मुझे दे दीजिये। कमलिनी की जुबानी मैने सुना है कि रहा का तहखाना बडा ही अनूठा हे इसलिए मैं समझता हू कि मेरा काम उस मकान से बखूबी चलेगा। जब मैं गोपालसिह को वहा फसा लू तो आपको खबर दूगा फिर आप जो चाहे कीजियेगा । माया-बस यस तुम्हारी यह राय बहुत ठीक है अब मुझे निश्चय हो गया कि मेरी मुराद पूरी हो जायगी । मायारानी ने दारोगा वाले बगले तथा तहखान की ताली भूतनाथ के हवाले करके उसे वहा का भेद बता दिया और भूतनाथ के कहे यमूजिज एक चीठी भी नागर के नाम की लिख दी। दोनों चीजें लेकर भूतनाथ वहा से रवाना हुआ और काशीजी की तरफ तेजी के साथ चल निकला। नौवां बयान रात पहर भर से ज्यादे जा चुकी है। काशी में मनोरमा के मकान के अन्दर फर्श पर नागर बैटी हुई है और उसक पास ही एक नौजवान खूबसूरत आदमी छोटे छोटे तीन चार तकियों का सहारा लगाये अधलेटा सा पड़ा जमीन की तरफ चन्द्रकान्ता सन्तति भाग २८