पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४५६

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६ गोपाल-( भूतनाथ स) कुछ मालूम है कि इस समय किस तरफ पहरा पड रहा है? भूल--कहीभी पहरा नहीं पड़ता चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ है। इस मकान में जितने आदमी रहते है सभी को मैन बेहोशी की दवा दे दी है और सब के सब उटने के लिए मुर्दो से बाजी लगा कर पड़ है। गोपाल-तब तो हम लोग बड़ी लापरवाही से अपना काम कर सकते है? भूत-शक गोपाल-अच्छा मेरे पीछे पीछे चले आओ (हाथ का इशारा करक) हम इस समय उस हम्माम की राह तहखाने में घुसा थाहत है। क्या तुम्हें मालूम है कि इस समय किशोरी और कामिनी किस तहखाने में कैद है। भूत-हा जरुर मालूम है । किशोरी और कामिनी दानो एक ही साथ वायु-मण्डप में कैद है। गोपाल-तब तो हम्माम में जाने की कोई जरूरत नही अच्छा तुम ही आगे चलो। भूतनाथ आगे आगरवाना हुआ और उसके पीछे राजा गोपालसिह और देवीसिह चलने लगे। तीनो आदमी उत्तर तरफ.के दालान में पहुच जिसके दातरफ दो कोठरिया थी और इस समय दा को टरियों का दवाला खुला हुआ था। तीनों आदमी दाहिनी तरफ बाली कोठरी में घुसे और अन्दर जाकर फाठरी का दाजा बन्द कर लिया। बटुए में से सामान निकाल कर भामवत्ती जलाई और देखा कि सामन दीवार में एक आलमारी है जिसका दयाजा एक पटक पर खुला करता था। भूतनाथ उरा दर्वाज को खोलना जानताथा इसलिए पहिल उसी न खटक पर हाथ रखा। दर्गजा खुल जाने पर मालूम हुआ कि उसके अन्दर सीढिया बनी हुई है। लीनों आदमी उस सीढ़ी की राह से नीचे तहखाने मे उत्तर गए और एक कोठरी में पहुचे जिसका दूसरा दर्वाजा बन्द था। भूतनाथ ने उस दर्वाजे का भी खोला और तीनों आदमियों ने दूसरी कोठरी में पहुंच कर देखा कि एक चारपाई पर वैचारी किशोरी पड़ी हुई है सिर्हाने की तरफ कामिनी बैठी धीरे-धीरे उसका सिर दमा रही थी। कामिनी का चेहरा जर्द और सुस्त था मगर किशोरी तो वो की बीमार जान पडती थी। जिस चारपाई पर वह पड़ी थी उसका विछावन यहुत मैला था और उसी के पास एक दूसरी चारपाई बिछी हुई थी जो शायद कामिनी के लिए हो। कोठरी के एक काने में पानी का घडा लोटा गिलास और कुछ खाने का सामान रक्खा हुआ था। किशारा ओर कामि दीसिह का बखूधी पहिचानती थी मगर भूतनाय का केवल कामिका ही पहिचानती थी जय कमला के साथ शेर सिह स मिलन के लिए कामिनी तिलिस्मी खडहर में गई तर उसने भूतनाथ को देखा था और यह भी जानती थी कि भूतनाथ को दरखकर शेरसिंह डर गया था मगर इसका स्वब पूछन पर भी उसन कुछ न कहा था। इस समय वह फिर उसी भूतनाथ को यहा देखकर डर गई और जी में सोचने लगी की एक बला मे तो फसी ही थी यह दुसरी बला कहा से आ पहुची मगर उसी के साथ देवी सिंह को देख उसे कुछ दाढस हुई और किशारी को तो पूरी उम्मीद हो गई किंधलोग हमको छुडाने ही आये है। यह भूतनाथ और राजा गोपालसिह को पहिचानतीन थी मगर सांच लिया की शायद ये दाना भी राजा वीरेन्द्रसिह के एयार होगा। किशोरी यद्यपि बहुत ही कमजोर बल्कि अधमरी सी हो रही थी मगर इस समय यह जान कर कि कुअर इन्द्रजीतसिह क एयार हमें छुडाने आ गये हैं और अब शीघ्र ही इन्द्रजीलसिह स मुलाकात होगी उसकी मुरझाई हुई आशालता हरी हा गई और उसमें जान आ गई। इस समय किशारी का सिर कुछ खुला हुआ था जिस उसन हाथ से दक लिया और देवीसिह की तरफ देखकर बोली- । , किशोरी-मै समझती हूँ आज ईश्वर को मुझ पर दया आई है इसी से आप लोग मुझे यहा से छुडाकर ले जाने के लिए आए है। देवी-जी हा हम लोग आपको छुडाने के लिए आये है मगर आपकी दशा देख कर रुलाई आती है। हाय, क्या दुनिया में भलों और नेकों को यही इनाम मिला करता है ! किशोरी- मैंने सुना था कि राजा साहब के दोनों लड़कों और ऐयारों को मायारानी ने कैद कर लिया है। देवी-जी हा उन कैदी ऐयारों में मैं भी था परन्तु ईश्वर की कृपा से सब कोई छूट गए और अब हमलोग आपको और देवकीनन्दन खत्री समग्र