पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४६२

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ext घउस आवाजलेस्बर सुमरन ऊरदूसरी मरि जाइनदासियामा नोटकोकान इसमन्य र कादिलकत्ता देनेन याइ दही जन्नई. हमारे पाढयों ने नीज दिल्याबहादुर हे दद तन दलकोहलत नन्झस्केंगे। यधार अन्दनिह हर नरहर उद्याग करदे रह जयपरदुनोनयन खान उत्तजदीका चालका सन्ततिक उम्मानजन्दर मुत्तेवन उत्तऔर हमालूम कर स्ट शजिस्केनन की आवाज तमिल रहा था और न उस मकान हो रहर अन्न नई इन्दस्ताइन स्थानों की खबर कर सकतय परिक्षयों कहना चाहेए वित्तिय चुपमा खडरहने या जनक और कुछ नहीं कर तकत थे। जापाखडबड-' तुम्ह को तुफदोन रिसरलायमलन कदरद कर उगल कर दया जिस जर अनन्दहि दावहाँ की हर एक जम्मका दिखाई दना या कई तस्कर दवाजा बुलन दी अबाज कुमार के कान में पडी। कुमार ने घून ब्रदखातारक कोठरी का दमाजो इत्त पहिले बन्द था खुला हुआ पाया 1 वे धडक उत्तके अन्दर घुत्त गए और दही ऊपर की तरफ गई हुई छन्टी मोटी विनूरत नदेयों दखी। घडधड़ाते हु दूरे माल पर यह कर और हाफर रके इसनला इमारत में फरह काटरिया एक होगडाझी दखन आई हर एक काडर मेटा दवाय एकदजा काइरोकन्दर पुत्र और दूसरा अन्दर की तरफ से दूसरी कटरी में जन कलिया। इस तरह पर किसी एक क्टरोज अन्दर बुल कादरियों में अदनी धून असता या धीर धीर जमी तर उजाला हाया और वहादीहर एक बजर दउन कामकारबारिया छाटार एक्टरीज अन्दर नुत्त और दस दहाँ सिवाय हर ओड मी नहीं है। यह भूलर पहपन्थर का बना हुआ था और उनके उपर कम्मा अर गॅच ती जडायर नवीर और कमल हार र रक्या मालूम हुआ इन्वन्धरा हुआ है जिसो कम गयन्ह है। दूसरददाजर दूसरी मठरी ने घुस त्यहाँ कलरा प्डों दखी नियाल्टा हुअर पास हुनयारह शको पचर ही की थी। उन जरह दसनात जर इन जी ने पहुँ। इन्फन्दर गर्गत दीदार में कइलूंटयाधी और हर एक खूटोने - स्मार ल्ट रहे थे तलवारेन नचायोल्क जमलेलाहीयर कर गदा हुजाय नवनय पहुँचत्त वहां बॉद का हनन पर बेटा हुइजरत दिजाईन्डो: सहका-रिसीमनुहुनसर टोन इयो त्दन के साथ ही नगर पहिला दिया कि यह परनाकोन्टोनिलडितो मूरत कुम्भर नहुनरी निह उन्मूत पर जल्ने लागाह अपने गरका देखनन् सास मिल यद्दपि वह माशूक इन्ही नहोकर उस्जोर देनत्र यो नया इल सकि यहाँ पर कहता अदनान का जिस्का लिहाजय बरहल उन्हें एक निल्दाको सुरमा बदर - उस हर एक खूबसुरती कादखतरह। इस बाकायदलात में सदापक रफ खडकीमाइ सुमार चौक पद्ध और यह तयत हुए इरादरी होनाकिशायद यह जर्मटमने मिलजित्ता पाउडरमान के अन्दर आर ई मगर इस काटरो किसी की मूरत दिखाई न दी इत्यादर में जिस्म दुना पहुये चदीका कदल एक नकला जितकच में हाथ डालकलपनलघद भी बना हुआ या और घ्द के उपर नुनहले इकों में पर निद्ध हुसया - इन द - 34 डाल कर दवा या उनूहो की है। कुर आनन्दनिह ने दिन नाच विचार उसद में हाच डाल दिया मगर निरय निकलना दूल के अन्दर हयस्त नानोताह की इबल्डी पड़ ईज जित साह हाय पाहर निकाला इजाजतन्ही दलयों। कुमार न झुल्म स्टूक कनेच की गफ दखातालूम हुआ कि स्टूक जमीनत अमानह है और इन्त्य उसे किसी तरह पिस्वामी नमन। तीसरा बयान कुजर आन्दन्हित्लान कयद इन्दसिह दर रुक जनक नराहदखत रहे। जैतन्दर होताधी जोन हाता तथा। यहॉ तकदीतनाम रातपतगई सदर हो गया और पूरयन्सने सूब मन्दन् दर्शन देकर धोने घोर गजल चढन लज्यपहर न ज्यादा दिन नया सब इन्टजनान्ह पहुत येताब हुए और इन्हें निश्श्य हो कि अजन्दसिह जरूर सिमस्त में फस गया देवकीनन्दन खत्री नमन