पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४७५

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दि गोपाल-(बाहर की तरफ चलते हुए) अफसोस कुमार से कई बातें कहने की आवश्यकता थी मगर लाचार कम (धनपत की तरफ इशारा करके) इसे आप कहाँ को लिये फिरेंगे और यहाँ क्यों लाए थे? गोपाल-इसे कल गिरफ्तार करके इसी मकान के अन्दर हा गया था। मुझे आशा थी कि यह स्वय इस मकान से वाहर न निकल सकेगा मगर आज इस मकान में आकर देखा तो बड़ा ही आश्चर्य हुआ।इस मकान के तीन दर्वाजे यह खोल चुका था और चौथा दर्वाजा योला ही चाहता था। न मालूम इस मकान का भेद इसे क्योंकर मालूम हुआ ! कम-इसे आपने किस रीति स गिरफ्तार किया? गोपाल-पहले इस कम्बख्त का इतजाम कर लू तो इसका अनूठा किस्सा कहूँ। कमलिनी और लाडिली के साथ घनपल का हाथ पकडे हुए राजा गोपालसिह उस मकान के बाहर आये और देवमन्दिर की तरफ रवाना हो कर उसके पश्चिम तरफ वाले मकान के पास पहुचे। हम ऊपर लिख आये है कि देवमन्दिर के पश्चिम तरफ वाले मकान के पास दाजे पर हड्डियों का एक र था और उसके बीचो बीच में लोहे की एक जजीर पड़ी हुई थी जिसका दूसरा सिरा उसके पास वाले लूए के अन्दर गया हुआ था। धनपत को घसीटते हुए राजा गोपाल उसी कूए पर गये और उस हरामजादे स्त्री कैपधारी मर्द को जबर्दस्ती उसी कूए के अन्दर ढकेल दिय। इसके साथ ही उस कूए के अन्दर से धनपत के चिल्लान की आवाज आने लगी परन्तु राजा गोपालसिह कमलिनी और लाडिली ने उस पर कुछ ध्यान न दिया। तीनों आदमी देवमन्दिर में आकर बैठ गये और बातचीत करने लगे। जनमत को घसीटते हुए राजा गोपालसिह उसी कूए पर गये और उस हरामजादे स्त्री रूपधारी मर्द को जबर्दस्ती उसी उसने अपना काम ईमानदारी से किया या नहीं । गोपाल वेशक भूतनाथ ने अपना काम हद से ज्यादा ईमानदारी के साथ किया । वह जाहिर में मायारानी से साथ ऐसा मिला कि उसे भूतनाथ पर विश्वास हो गया और यह समझने लगी कि भूतनाथ इनाम की लालच से मेरा काम उद्यामक साथ करेगा। कम-हाँ उसन मायारानी के साथ मेल पैदा करने का हाल मुझसे कहा था। (मुस्कुरा कर )अजीव ढग से उसने मायारानी का धोखा दिया। हमारी तरफ की मामूली सच्ची बाते कह कर उसने अपना काम पूरा पूरा निकाला मगर मै उसके बाद का हाल पूछती हू जब उस आपके पास काशी में मैने मजा था क्योंकि उसके बाद अभी तक वह मुझसे नहीं मिला। गोपाल-उसके बाद भूतनाथ न दो तीन काम बडे अनूठे किये जिनका खुलासा हाल मै तुमसे कहूगा लेकिन उन कामों में एक काम सयस बढ़ चढ के हुआ कम-वह क्या? गोपाल-उसने मायारानी ने कहा कि मै गापालसिह को गिरफ्तार करके दारोगा वाले मकान में कैद कर देता है, तुम उसे अपने हाथ से मार कर निश्चिन्त हो जाओ। यह सुन कर भायारानी बहुत ही खुश हुई और भूतनाथ ने भी वह काम पडी खूबी के साथ किया बल्कि इसके इनाम में अजायबघर की ताली मायारानी से ले ली । कम-पया अजायबघर की लाली भूतनाथ ने ले ली? 'गोपाल-हों। कम-यह बड़ा काम हुआ और इस काम के लिए मैने उसे सख्त ताकीद की थी। अब वह ताली किसके पास है। गोपाल-ताली मेरे पास है मुझे आशा न थी कि मूतनाथ मुझे देगा मगर उसने कोई उड़न किया । कम-वह आपसे किसी तरह उजनहीं कर सकता क्योंकि मैने उसे कसम देकर कह दिया था कि जितना मुझे मानते हो उतना ही राजा गोपालसिह को मानना। असल बात तो यह है कि भूतनाथ बड़े काम का आदमी है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि वह राजा वीरेन्द्रसिह का गुनहगार है और उसने सजा पाने लायक काम किया है मगर यह कसूर उससे धोखे में हुआ इश्क का भूत उसके ऊपर सवार था और उसी ने उसे वह काम कराया, पर वास्तव में उसकी नीयत साफ है और उस कसूर का उसे सख्त रज है ऐसी अवस्था में जिस तरह हो उसका कसूर माफ होना ही चाहिए। गोपाल-बशक बेशक और उसके बाद तुम्हारी चदौलत उसके हाथ से कई ऐस काम निकले है जिनके आगे वह कसूर कुछ भी नहीं है। कम-अच्छा अब खुलासा कहिए कि भूतनाथ ने आप से मारने के दिषय में किस तरह मायारानी का धोखा दिया और अजायबघर की लाली क्यों कर ली? चन्द्रकान्ता सन्तति भाग २