पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४७८

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माया-चिन्ता क्यों न की जाय? एक मनोरम्ग का मकान छिप कर रहने योग्य था सो वहाँ भी वीरेन्दसिह के ऐयारों के चरण जा पहुचे। तु ही कह चुकी है कि किशोरी और कामिनी को ऐयार लोग छुडा कर ले गये। नागर को भी उन लोगों ने फसा लिया होगा। अब सबसे पहला काम तो यह है कि छिप कर रहने के लिए कोई जगह खोजी जाय इसके बाद जो कुछ करना होगा किया जायगा। हाय अगर गोपालसिह की मौत हो गई होती तो न मुझे रिआया के वागी होने का डर था और न राजा वीरेन्द्रसिह की दुश्मनी का । लीला-छिप कर रहने के लिए मैं जगह का बन्दोबस्त कर चुकी हूँ। यहा से थोड़ी ही दूर पर लीला इससे ज्यादे कुछ कहने न पाई थी कि पीछे की तरफ से कई आदमियों के दौडत हुए आने की आहट मालूम हुई। बात की बात में वे लोग जो वास्तव में चोर थे, चोरी का माल लिये हुए उस जगह आ पहुंचे जहा मायारानी और उसकी लांडियों बेठी बातें कर रही थी। यह चोर गिनती में पाच थे और उनके पीछे पीछे का सवार भी उनकी गिरफ्तारी के लिए चले आ रहे थे जिनके घोड़ों के टापों की आवाज बखूबी आ रही थी। जब वे चोर माया रानी के पास पहूँचे तो यह सोच कर कि पीछा करने वालेसवारों के हाथ से बचना मुश्किल है चोरी का माल उसी जगह पटक कर आगे की तरफ भाग गये और इसके थोड़ी ही देर बाद ही कई सवार ही उसी जगह (जहा मायारानी थी) आ पहुंचे। उन्होंने देखा कि कई आदमी *बेठे हुए है बीच में एक लालटेजल रही है और चोरी का माल भी उसी जगह पड़ा हुआ है। उन्हें निश्चय हो गया कि यह चार है अस्तु उन्होंने मायारानी तथा उसकी लौडियों को चारों तरफ से घेर लिया। नौवां बयान आधी रात का समय है चादनी खिली हुई है। मौसम में पूरा-पूरा फर्क पड़ गया है। रात की उडी उडी हवा अय' प्यारी मालूम होती है। ऐसे समय में उस सडक पर जो काशी से जमानिया की तरफ गई है दो मुसाफिर धीरे-धीरे काशी की तरफ जा रहे है ये दोनों मुसाफिर साधारण नहीं है बल्कि अमीर बहादुर और दिलावर मालूम पडते है। दानों की पोशाक वेश कीमत और सिपाहियाना ठाठ की है तथा दोनों ही की चाल से दिलेरी और लापरवाही मालूम होती है। यजर कटार तलवार तीरकमान और कमन्द से दोनों ही सजे हुए है। इस समय मस्तानी चाल से धीरे-धीरे टहलते हुए जा रहे है इनके पीछे-पीछे दो आदमी दो घोड़ों की बागडोर थाम हुए जा रहे है मगर ये दोनों साईस नहीं है बल्कि सिपाही और रावार मालूम होते है। दानों मुसाफिर जाते जाते ऐसी जगह पुहचे जहा सड़क से कुछ हट कर पाच सात पेडों का एक झुड था। दोनों खड हा गये और उनमें से एक ने जोर स सीटी बजाई जिसकी आवाज सुनते ही पेड़ों की आड में से दस आदमी निकल आये आर दूसरी सीटी की आवाज के साथ ही वे उन दोनों आदमियों के पास पहुंच कर हाथ जोड़ कर खड़े हो गये उन सभी की पोशाक उस समय के डाकूओं की सी थी। जाघिया पहरे हुए बदन में केवल एक नोटे कपडे की भीमास्तीन ढाल तलवार लगाये ओर हाथों में एक एक गडासा लिये हुए थे, और सभी के बगल में एक एक छोटा यदुआ भी लटक रहा था। इन दसों के आ जाने पर उन दो वहादुरों में से एक ने उनकी तरफ देखा और पूछा 'उसका कुछ पता लगा? एक डाकू-(हाथ जोड कर) जी हो बल्कि या काम भी बखूबी कर आये है जो हम लोगों के सुपुर्द किया गया था और जिसका हाना कठिन था। जवान-उसके साथ और कौन-कौन है? डाकू-लीला के अतिरिक्त कचल पाच लौडिया और थीं। जवान-उस तुमन किस इलाके में पाया और क्या किया सासुलासा कहो ! डाक-उसन जमानिया की सरहद का छोड दिया और काशी रहने का विचार करके उसी तरफ का रास्ता लिया। जय काशीजी की सरहद में पहुची ता गगापुर नामक एक स्थान मे पास बाल जगल में एक दिन तक उसे अटकना पड़ा क्याकि वह लीला को हालचाल लेने और कई भेदा का पता लगान के लिए पीछे छोड़ आई थी। हम लोगों को उसी समय अपना काम करन का माका मिला। मे कई आदमियों को साथ लेकर काशीराज की तहसील में जो गगापुर में है घुस गया और कुछ असवाव चुरा कर इस तरह भागा कि पहरे वालों को पता लग गया और कई सवारों ने हम लागों का पीछा किया। आखिर हम लोग उन सवारों का धोखा देकर घुमाते हुए उसी जगल में ले गए जिसमें मायारानी थी। जब हम 'मायारानी और उसकी लोडिया मर्दाने वेष में थी। देवकीनन्दन खत्री समग्र