पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४९७

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गोपाल (कुछ सोचकर और हँसो के ढग से) अगर गुस्ताखो और बेअदबी में न गिनिये तो मैं पूछ लू कि आज आपने भग के बदल में ताडी तो नहीं छानी है। यद्यपि यह जाल बहुत हीघना और अधकार मय हो रहा था मगरतेजसिहको साथ लिए देवीसिह के आने की आहट पाते ही भूतनाथ ने बटुए में से एक छाटी सी अबरख की लालटेन जा मोडमाड के बहुत छोटी और चिपटी कर ली जाती थी निकाल ली थीऔर रोशनी के लिए तैयार बैठा था। देवीसिह की आवाज पात ही उसने बत्ती बाल कर उजाला कर दिया था जिसस सभों की सूरत साफ साफ दिखाई दे रही थी। तेजसिह की इज्जत के लिए तय कोई उठ कर दो चार कदम आग बढ गये और इसके बाद मायारानी का समाचार जानने की नीयत स सभों ने उन्हें घेर लिया था। तेजसिह के चेहरे पर खुशी की निशानियों मामूली से ज्यादा दिखाई दे रही थी इसलिए गोपालसिह इत्यादि किसी भारी खुशखबरी के सुनने की लालसा मिटाने का उद्योग किया चाहते थे मगर तेजसिह की रेशम की गुत्थी की तरह उलझी हुइ बातों को सुन कर गोपालसिह भौचक सहागए और सोचन लगे कि वह कैसी खुशखबरी है कि जिसे तेजसिह स्वय नहीं जानते बल्कि मुझस ही सुनकर मुझी को सुनान और खुश करके तारीफों की बौछार सहने के लिए तैयार है और यही समय था कि राजा गोपालसिह ने दिल्लगी के साथ तेजसिह पर भग के बदले में ताडी पीने की आवाज कसी। तेज-(हस कर ) ताडी और शराब पीना तो आप लागों का काम जिन्हें अपने वेगाने की कुछ खवर ही नहीं रहती मैं यह बात दिल्लगी में नहीं कहता बल्कि साबित कर दूगा कि आप भी उन्हीं में अपनी गिनती करा चुके है। सच तो यों है कि इस समय आपक पेट में चूह कूदत होंगे और यहजानने के लिए आप बहुत बेताब होंगे कि मैं आपसे क्या पूछूगा और क्या कहूगा अच्छा यह बताइए कि लक्ष्मीदेवी किसका नाम है ? गोपाल-क्या आप नहीं जानते ? यह ता उसी कम्बख्त मायारानी का नाम है । तेज बस बस अब आपकी जुबानी उस बात का पता लग गया जिसे मैं एक मारी खुश्खयरी समझता हू। अब आप तुनिए (कुछ रुक कर) मगर नहीं पहिल आपसे इनाम पान का एकरार तो करा ही लेना चाहिए क्योंकि खाली तारीफों की बौछार स काम न चलेगा। गोपाल मै आपका कुछ इनाम देने योग्य तो हू नहीं पर यदि आप मुझे इस याग्य समझते ही है तो इनाम का निश्चय भी आप ही कर लीजिए मुझे जी जान से उसे पूरा करने के लिए तैयार पाइएगा। तेज-हाथ फैला कर अच्छा ता आप हाथ पर हाथ मारिय मैं अपना इनाम जय चाहूगा मॉग लूगा और आप उस समय उसे दने याग्य होगा गोपाल-(तजसिह के हाथ पर हाथ भार के) लजिए अब तो कहिए आप तो हम लोगों की बेचैनी बढाते ही जा रहे 3 तेज-हॉ हॉ सुनिए (कमलिनी और लाडिली से ) तुम दोनों भी जरा पास आ जाओ और ध्यान देकर सुनो कि में क्या कहता हू। (हॅस कर ) आप लोग बडे खुश होंगे हो अब सब कोई बैठ जाइये। गोपाल-( बैठ कर ) तो आप कहते क्यों नहीं इतना नखरा तिल्ला क्यों कर रहे है? तेज-इसलिए कि खुशी के बाद आप लागों को रज भी हागा और आप लोग एक तरददुद में फँस जायेंगे। गोपाल- आप ता उलझन पर उलझन डाले जाते है और कुछ कहते भी नहीं। तेज-फहता तो हू सुनिए--यह जो मायारानी है वह असल में आपकी स्त्री लक्ष्मीदेवी नहीं है। इतना सुनते ही राजा गापालसिह कमलिनी और लाडिली कोहद से ज्यादखुशी हुई यहाँ तक कि दम रुकने लगा और थाडी देर तक कुछ कहन की सामर्थ्य न रह गयी इसके बाद अपनी अवस्था ठीक करके कमलिनी ने कहा। कम-आफ आज मर सिर से बड़े भारी कलक का टीका मिटा। मैं इस ताने के सोच में मरी जाती थी कि तुम्हारी बहिन जब इतनी दुष्ट है तो तुम न जान कैसी होवेगी । गोपाल-मै जिस खयाल स लागों को मुह दिखाने से हिचकिचाता था आज वह जाता रहा । अब मै खुशी से जमानिया के राजकर्मचारियों के सामने मायारानी का इजहार लूगा मगर यह तो कहिए कि इस बात का निश्चय आप का क्योंकर हुआ? तेज-मै सक्षप में आपसे कह चुका है कि जब मै दारागा की सूरत में सुरग के अन्दर पहुचा और मायारानी से मुलाकात हुई तो आपको हाश में लाने के लिए मायारानी स खूब हुज्जत हुई। गोपाल-हॉ आप कह चुके हैं। तेज-उत समय जो जायाते मायारानी से हुई वह तो पीछ कहूगा मगर मायारानी की थोडी सी बात जिसे मैने इस तरह अक्षर अक्षर याद कर रखा है जैसे पाठशाला क लडके अपना पाठ याद कर रखते हैं आप लोगों से कहता हू उसी चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १०