पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४९९

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4 भैरो-जी नहीं में अभी चला आ रहा हूँ और सिवाय इस आखिरी बात के जिसका जवाब दिया है आप लोगों की और कोई बात मैने नहीं सुनी। तेज-तुम्हे यह कैसे मालूम हुआ कि हम लोग यहा है? भैरो तिलिस्मी बाग क चौथ दर्ज में जा रहा था मगर जय दारागा वाल बगले के पास पहुचा तो उसकी बिगड़ी हुई अवस्था दरख कर जी व्याकुल हा गया क्योकि इस बात का विश्वास करने में किसी तरह का शक नहीं हो सकता या कि उस गले की बरवादी का सवध बारुद और सुरग है और यह कारवाई वेशक हमार दुश्मनों की है अस्तु तिलिस्मी वाग के चोधे दर्जे में जानक पहिले इस मामले का असल हाल जानने की इच्छा हुई और फिसी से मिलने की आशा में में इस जंगल में धूमन लगा मगर इस लालटन की राशनी ने जो यहाँ चल रही है मुझे ज्याद दर तक भटकने न दिया। अत्र सवक पहिले में उस वगल की पर्यादी का सवय जाना चाहता है, यदि आपको मालूम हो तो कहिए। तज-में भी यही चाहता हूँ कि राजा वीरेन्द्रसिह का कुशल क्षेम पूछने के बाद जा कुछ कहा है सो तुमसे पर और उस बगल की कायापलट का सवध तुमसे बथान करु क्याकि इस समय एक बड़ा ही कठिन काम तुम्हारे सुपुर्द किया जायगा : कितना जरी है रा उस बगल का हाल सुनते ही तुम्हें मालूम हो जायगा। भैरो-रामा वीरन्दसिह बहुत अच्छी तरह है इधर का हाल सुराकर उन्हें बहुत क्रोध आता है और चुपचाप बैठे रहने ५च्छा नहीं हाती परन्तु आपकी यह बात उहेबरावर याद रहती है जो उनसे विदा होने के समय अपनी कसम का याक्ष दफर आप आय या सिन्द वे आपका सच्चे दिल से चाहते है और यही सबब है कि बहुत कुछ कर सकने की राक्ति रख कर भी कुछ नहीं कर रहा है। तेज-दामें उस ताकीद पार आया था कि चुपचाप धुनार जाफर बेटिए और देखिए कि हम लाग क्या करते है। ता क्या राजा धीर दसिह धुनार गर । भैरो-जी ही वे चुनार गये और में अबकी दफे चुनार ही से चला आ रहा है। रोहतासगढ में केवल ज्यातिषीजी है और उन्हें राज्य सम्बधी कार्यों से बहुत कम फुरसत मिलती है इसी सधव से दारोगा धोया देकर न मालूम किस तरह कैप से निकल भागा। जब यह खबर सुनार पहुंची तो यह सांघ करे कि भविष्य में कोई गडबड न होने पाय चुन्नीलाल एयार राहतासगढ़ भेज गय और जब तक कोई दूसरा हुक्म न पहुचे उन्हें बराबर रोहतासगढ ही में रहने की आज्ञा हुई और म इधर का हालचाल लग के लिए भजा गया। तेज-अ ताम दारागा वाले बगलं की वर्यादी का सवव धयान करता हूँ। इराक बाद तखारिसह ने सब हाल अथात अपना सुरग में जाना मायारानी से मुलाकात और बातचीत राजा गापालासह और कमलिनी इत्यादि का गिरफ्तार हाना और फिर उन्हें छुडारा तथा दारोगा वाले बगले के उड़ने का सबब और इसके बाद का पूरा पूरा हाल कह सुनाया जिसे भैरोसिह बडे गौर से सुनता रहा और जय यातें पूरी हो गई ता बाला- भैरो-यह एक विचित्र वात मालूम हुई कि मायारानी वास्तव में कमलिनी की बहिन नहीं है। (कुछ सोच कर) मगर मैं समझता हूं कि असल बातों का पूरा पूरा पता लगाने के लिए उसे बहुत जल्द गिरफ्तार करना चाहिए केवल उसी को नहीं बल्कि कम्बख्त दारोगा को भी ढूंढ निकालना चाहिए। गोपाल-वेशक ऐसा ही होना चाहिए और अब मैं भी अपने को गुप्त रखना नहीं चाहता जैसा कि आज के पहिले सोचे हुए था। तेज-सब से पहिल यह तै कर लेना चाहिए कि अब हम लोगों का कसा क्या है। (गापालसिह स) आप अपनी राय दीजिए। गोपाल राय और बहस में तो घटों बीत जायेंगे इसलिए यह काम भी आप ही की मर्जी पर छोड़ा जो कहिए वही किया जाए। तेज-(कुछ सोच कर) अच्छा तो फिर आप कमलिनी और लाडिली को लकर जमानिया जाइए और तिलिस्मी वाग में पहुच कर अपने को प्रकट कीजिए मैं समझता हूं कि वहाँ आपका विपक्षी ( खिलाफ कोई भी न होगा। गोपाल-आप खिलाफ कह रहे हैं। मेरे नोकरों को मुझसे मिलने की खुशी है अपन नौकरों में मैं अपने को प्रकट भी कर चुका हूँ तेज-( ताज्जुब से) यह कब ? में तो इसका हाल कुछ भी नही जानता । गोपाल-इधर आपस मुलाकात ही फर हुई जा आप जानत? हा कमलिनी लाडिली भूतनाथ और दवीससिंह को मालूम है। चनकान्ता सन्तति भाग १०