पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५१०

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। किशोरी-पहिले यह बताओ कि मापारानी को। है और हम लोगों के साथ दुश्मनी क्यों करती है? 'तारा-मायारानी जमानिया की रानी है जमानिया में एक भारी तिलिस्म है जिसके विषय में जाना गया है कि वह /अरं इन्द्रजीतसिह और आनन्दसिंह के हाथ स टूटेगा, मगर मायाराणी चाहती है कि यह तिलिस्म टूटने न पाव,इसी सवयत्त वह इतना बखेड़ा मचारही है। किशोरी-और कमलिनी कौन है? मैं उसका नाम कई दफे सुन चुकोह और यह भी जानती हु कि वह हम लोगों को मदद कर रही है। तारा-मायारानी की दो बहिनें और है। (ऊंची सॉस लेकर ) एकल ये कमलिनी है जिनके मकान में आप इस समय चठी है मायारानी की चाल चलन से रा होकर उससे अलग हो गई है और दोनों कुमारों की मदद कर रही है और दूसरी सबसे छोटी बहिन लाडिली है जो मायारानी के साथ रहती है मार अब सुनने में आया कि वह भी मायारानी से अलग होकर कमलिनी का साथ दे रही है। किशोरी-और ये राजा गोपालसिह और भूतनाथ कौन? तारा-भूतनाथ कमलिनी का ऐयार है और राजा गापालसि जमानिया के राजा हे मायारानी इन्हीं की स्त्री है। पाय वर्ष हुए जव यह बात मशहूर हुई थी कि राजा गोपालसिड का देहान्त हो गया यहां तक कि कमलिनी का भी इस बात में शक न रहा क्योंकि उसके देखते ही देखते राजा गोपालसिह को दाह क्रिया की गई थी हाग लागो को अगर किसी तरह का कुछ शक था लो फेवल इता कि राजा गापालसिंह को मायारानी ने जहर दे दिया। खेर,जमाने से राजा गोपालसिह की जगह मायारानी जमानिया का राज्य कर रही है। इधर जब मायारानी ने दोनों कुमारों का कैद कर लिया तो कमलिनी उन्हें छडारे के लिय जमानिया। उस समय कमलिनी का किसी तरह मालूम हुआ कि राजा गापाललित के विषय में मायारानी ने लोगों को धोखा दिया था और वे मरे नहीं बल्कि भायारानी ने उन्हें कैद कर रखा है। तम कमलिनी ने बडे उद्योग से गापालसिहजी को कोद ने छुड़ाया नार राजा साहब को ग राय हुई कि हमार छूट 1 का हाल अभी किसी को माल्म न होना चाहिय किसी मौके पर हम अप को जाहिर करेंगी यहजोकुछ आपसे कहा बहुत ही भुख्तसर में कहा नहीं तो इस बीच में एसे एसे काम हुए है कि सुनने से आश्चर्य मला है। मैंने जय भूतनाथ की जुबानी रम्य हाल सुना तो आश्चर्य और सती से मेरी अजब हालत थी। किशोरी-ता तुम युलामा क्यों नहीं कहती | क्या कहो जाना है गा कोई जरूरी काम है? तारा-( इस कर ) जाना कहा है और काम ही क्या है ? अा में करती हूँ सुनिय । तारा ने भूतनाथ का खुलासा हाल कह सुनाया। जिस तरह ागर और मायारानी को घाखा दकर उनसे मिल गया और जिस खूबसूरती से किशारी ओर कामिनी का सागर की पौद से छुड़ा लागा उस काहन याद यह भी कहा कि भूतनाथ मायारानी को और भी चाखा दगा। वह मयारानी से वादा कर आया है कि राजा मापालसिह को जा तुम्हारे कैद स छूट गये है बहुत जल्द गिरफ्तार करके तुम्हारे पास ले आऊमा तुम उन्हें अपने हाथ से मारकर निश्चिन्त हो जाना। नि सन्देह बड़ी ही दिल्लगी हागी जय मायारानी को विश्वास को जायगा कि कंद से टूट जाने पर भी राजा गोपालसिह जीते न बचे। तारा का जुवानी भूतनाथ का हाल सुन कर किशोरी और कामिनी को बड़ा ताज्जुब हुआ और उनके विषय ने दर तक तीनों में बातचीत होती रही। अन्त में किशोरी ने तारा से पूछा जय तुम राजा गोपालसिंह के पास गई थी और उन्होंने मुझे तुम्हारे सुपुर्द किया था उस समय तुमने मेरी तरफ देख कर कहा था कि इनके लिए मुझे मुद्दत तक छिप कर रोहतासगढ़ के किले में रहना पड़ा था तो क्या वास्तव में तुम रोहतासगढ़ के किले में उस समय थीं जब मै वहाँ बदकिस्मती के दिन काट रही थी ? अगर तुम वहाँ थी तो लाली और कुन्दन का हाल भी तुम्हे जरूर मालूम होगा।' किशोरी की बातों का तारा कुछ जापाव दिया ही वाहती थी कि एक प्रकार की आवाज सुन कर चौक पड़ी और घबड़ा कर उस पुतली की तरफ देखने लगी जा वहा छत पर एक छोटे से चबूतर के ऊपर सिर नीचे और पैर ऊपरकिये खड़ी थी। पाठक इस मका की अवस्था को भूल न गये होंगे क्योंकि इस मकान और पुतलियों का हाल हम सन्तति के तीसरे भाग में लिख चुके है। इस समय जव तारा ने इस पुतली को तेजी के साथ नाचते हुए पाया तो घबड़ा गई बदहवास होकर उठ खड़ी हुई और कहने लगी-- हाय बडा अनर्थ हुआ अब हम लोगों की जान बचती नजर नहीं आती । हाय हाय बहिन कमलिनी न जाने इस समय तू कहा है। हाय, अब म क्या करु । देवकीनन्दन खत्री समग्न