पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५२४

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दि के भगवती की प्रार्थना करते करते तारा की आर बन्द हो गई मगर इसके बाद तुरन्त ही वह चौकी तथा किशोरी और कामिनी की तरफ देख के बोली नि सन्देह महामाया म अवलाओं की रक्षा करेगी। हमें हताश न होना चाहिए उन्हीं की कृपा से इस समय जो कुछ करना चाहिए वह भी सू. गया। शुक्र है कि इस समय दा एक को छोड़ कर बाकी सवय आदमी मेरे घर के अन्दर ही है। अच्छा देखो तो सही कि मैं क्या करती हू! यह कहती हुई तारा छत के नीचे उतर गई। हमारे पाठकों को याद होगा कि यह मकान किस दग का बना हुआ था। वे भूले न होग कि, इस मकान के चारो तरफ जो छोटा सा सहन है उसके चारों को पों में चार पुतलिया हाथों में तीर कमान लिए इस ढग से रासी है मानों अभी तीर छाडा ही चाहती है। इस समय बेचारी तारा छत पर से उतर कर उन्ही युतलिया में से एक पुतली के पास आई। उमन इस पुतली का सिर पकड कर पाल की तरफ झुकाया और पुतली विना परिश्रम मुक्ती चली गई यहा तक कि जमीन के साथ लग गई। इस समय तालाब का जल करीय चौबाई के सूख चुका था। पुतली झुकन के सब ही जल में खलबली पैदा हुई। उस समय तारा न प्रराम को पीछ की तरफ फिर कर देखा ता पिशोरी और कामिनी पर मिाह पड़ी जो तारा के साथ ही साथ नीचे उतर आई थी और उसके पीछे पडी यह कारवाई टखसी थी। फाई लोडिया भी पी की तरफ नजर पी जा इत्तिफाक से इस समय मकान के अंदर ही की। ताराने वाहा कोई जगी दुश्मन हमार पास नहीं आ सकते। किशोरी-मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया कि तुम क्या कर रही और इस पुतली झुक मजल मेरालयली क्यों पैदा हुई? तारा ये पुतलियों इसी काम के लिए बनी है कि जब दुश्मन किसी तीर से इस सालाय को सुखा डाले और इस मकान में आने का इरादा करे तो इन चारी पुतलियो से काम लिया गया। इसमका की बरसी गाल! और इसमें चार चक्र लगे हुए है जिनकी धार तलवार की तरह और चौडाई सारा हाथ से कुछ याद होगी भर की तमा की दीवार में चारों तरफ घुसा है जिसका सम्बन्ध किसी काल मुर्ज म आर छ 14 को दौड़ाई मकान की दीवार से बाहर की तरफ निकली हुई है। य चारों चक उल के अन्दर छिपे हुए है और इस मकाा का इस तर घेरास छल्ला या सादी अगूठीउगली को । अव इन धारों पुरालिया में से एक पुसली जुझा कर जमीन के साथ सटा दी जायगी तो एक चक्र तेजी के साथ घूमालगना इसी तर दूसरी पुतली मुकाय दूसरासरी पुतली झुकन से तीसरा और चौथर्थी पुतली झुकने से चौथा चक्र भी घूमने लगेगा। उस समय किसी की मजाल नहीं कि इस मकान के पास फटक जाय जो आवेगा उसके चार टुकड़े हो जाएगे। मैने जो इस पुसली को झुका दिया है इस सब से एक चक्र घूमने लगा है और उसी की तेजी से जल में खलबली पैदा हो गई है। पहिले मुझे याद हाल मालूम नथा, कमलिनी के बताने से मालूम हुआ है। विशेष कहने की कोई आवश्यकता नहीं है तुम स्वयम् देखती हो कि जल किस तेजी के साध कम हो रहा है। हाथ मर जल कम होने दो फिर स्वयम् देख लेना कि कैसा चक्र है और किस तेजी के साथ घूम रहा है। किशोरी-(आरचय मे ) मकान की हिफाजत के लिए अच्छी सकीय निकाली है। तारा-इन चनों के अतिरिक्त इस मका? की रिफाजत के लिए और भी कई चीजे है मगर उनका हाल मुझे मालूर नहीं है। किशोरी में गौर से जल की तरफ देखा जा या धूमन की तेजी से मकान के पास की तरफ खलपला रहा था और उसमें पैदा भई हुई लहरे किनारे तक जा जा कर टपकर सारी भी। जल बहुत ही साफ था इसलिए शोध ही कोई चमकती हुई चीज भी दिखाई देने लगी। जैसे जैसे जल कम होता जाता था वह चक्र साफ साफ दिखाई देता था। थोड़ी ही देर बाद जल विशेष घट जाने के कारण चक्र साफ निकल आया जो बहुत ही तेजी के साथ घूम रहा था। किशोरी ने ताज्जुब में आकर कहा, बेशक अगर इसके पास लोडे का आदमी भी आवेगा तो कट कर दो टुकड़े हो जायगा ! वह बड़े गौर से उस चक्र को देख रही थी कि आदमियों के शोरगुल की आवाज आने लगी। तारा समझ गई कि दुश्मन पास आ गये। उसने किशोरी और कामिनी की तरफ देख के कहा महिन अब तीन पुतलियों और रह गई है. उन्हें भी झटपट झुका देना चाहिए क्योंकि दुश्मन आ पहुँधै। एक पुतली को तो मैं झुकाती हूँ और दो पुतलियों को तुम दोनों सका दो, फिर छत पर चल कर देखो तो सही ईश्वर क्या करता है और इन दामनों की क्या अवस्था होती है। तीनों पुतलियों का झुकाना थोडी देर का काम था जो किशोरा कामिनी और तारान कर दिया और इसके बाद तीनों छत के ऊपर चढ़ गई। तारा ने एक और काम किया अर्थात कमान और बहुत से तीर भी अपने साथ छत के ऊपर लेकी गई। चारों पुतलियों के झुक जाने स जल में बहुत ज्यादे खलबली पैदा हुई मालून हाता था कि जल तेजी के साथ मथा जा रहा है जिसमें झाग और फेन पैदा हो रहा था। अपने यहा की लौडियों और नौकरों को कुछ समझा कर कामिनी तथा किशोरी का साथ लिए हुए तारा छत के देवकीनन्दन खत्री समग्र