पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५३

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R उपदव हुआ चाहता है इन सभों के सिवाय रनवीरसिह और कुसुमकुमारी की मुहब्बत और लालच भरी आँखों में अभी तक नींद का नाम निशान नहीं है। एक को देख दूसरा मस्त हो रहा है इस चाँदनी ने इन दोनों के चुटीले दिलों को और भी चरका दिया है हाथ में हाथ दिये झोपडी के बाहर मगर पत्तों की चारदीवारी के अन्दर टहल रहे हैं दीन दुनिया को भूले हुए है. इस बात का गुमान भी नहीं कि अभी थोड़ी ही देर में कोई बला ऐसी आने वाली है कि जिसके सबब से यह सब सुख सपने की सम्पत्ति हो जायगा और रोते रोते ऑखों को सुजाना पडेगा। लीजिये अब अधेरा हुआ ही चाहता है। ये दोनों धीरे धीरे टहलते हुए पूरब तरफ की टट्टी तक पहुचे जहाँ कोने की तरफ सब्ज टट्टी की आड में सज ही कपडा पहिरे मुह पर नकाब डाले एक आदमी छिपा खडा है। न मालूम कय टट्टी फॉद कर आ पहुँचा किस धुन में लगा है और इन दोनों की तरफ टकटकी बॉधे गजब भरी निगाहों से क्यों देख रहा है? देखिये ये दोनों हद्द तक पहुंच गए और उस दुष्ट का मतलब भी पूरा हुआ। जैसे ही दोनों ने लौटने का इरादा किया कि वह हरामजादा इन पर टूट पडा और अपनी बिल्कुल ताकत खर्च करके पीछे से रनबीरसिह के सर पर ऐसी तलवार लगाई कि वह चक्कर खा जमीन पर गिर पडे। जब तक चौकी हुई कुसुमकुमारी फिर कर देखे तब तक तो वह टट्टी के पार हो गया और बाहर से "चोर चोर धरो धरो ! की आवाज आने लगी। बारहवां बयान रनबीरसिह और जसवन्तसिह को छोड कर बालेसिह निश्चिन्त हो बैठा मगर महारानी कुसुमकुमारी के मरने का गम अभी तक उसके दिल पर बना ही हुआ है। कामकाज में उसका जी बिल्कुल नहीं लगता। इस समय भी दीवानखाने में अकला बैठा कुछ सोच रहा है तनोबदन की सुध कुछ भी नहीं है, उसे यह भी होश नहीं कि सुबह से बैठे शाम हो गई। किसी की मजाल भी न थी कि एसी हालत में उसे टोकता या याद दिलाता कि अभी तक आपने स्नान भी नहीं किया। ऐसे मौके पर किसी आने वाले के पैरों की चाप ने उसे चौंका दिया, सर उठा कर दर्वाजे की तरफ देखा तो जसवन्तसिह ! बाले-(गुस्से में आकर) तुझे यहाँ आने की इजाजत किसने दी? तू यहाँ क्यों आया? क्या किसी पहरे वाले ने तुझे नहीं रोका ? क्या तुझे अपनी जान प्यारी नहीं है ? जस - मैं अपनी खुशी से यहाँ आया मुझे चौबदार ने रोका और यह भी कहा कि इस समय तुम्हारे आने की खबर तक नहीं का जा सकती। • बाले-फिर इतना बड़ा हौसला तैने किस उम्मीद पर किया? जस-इस उम्मीद पर कि आप बेइन्साफी कभी न करेंगे और मेरी जबान से भारी खुशखबरी सुन कर खुश होगें बल्कि इनाम देंगे। बाले-(चौंक कर) खुशखबरी ! जस-जी हाँ। वाले-अब ऐसी कौन सी बात रह गई जिसे सुना कर तू मुझे खुश किया चाहता है ? जस-सिर्फ यही कि महारानी जीती जागती है और उसने तथा रनवीरसिह ने आपको पूरा धोखा दिया । वाले कभी नहीं 'तूझूठा है मिरा पुराना खानदानी नौकर मुझसे झूठ कभी नहीं बोल सकता जो अपनी आखों से वहा का सब हाल देख आया है । जस-पुराना और पुश्तैनी नौकर होने ही से उसके दिल में मालिक की मुहब्बत नहीं हो सकती, मैं आज ही साबित कर सकता है कि वह दगाबाज और रिश्वती है और उसने कुसुमकुमारी से मिल कर आपको धोखा दिया। मै आपको यह भी विश्वास दिला सकता हू कि मै पहिले भी सच्या था और अब भी सच्चा हु, आपकी मुहब्बत और आपके साथ रहने की ख्वाहिश मेरे दिल में है। मैं उम्मीद करता हूं कि मेरी कारगुजारी देख कर आप खुश होंगे और मुझे सच्चा खैरखाह समझ कर अपने साथ रखेंगे। यकीन कीजिये कि मेरे बराबर काम करने वाला आपके यहाँ कोई भी मुलाजिम अफसर या दोस्त नहीं होगा। बाले (ताज्जुब में आकर) क्या यह सब बातें तेरी सच्ची है जो बडी फरफराहट से तू कह गया है ? जस-येशक मै सच कहता हु आप चाहे और मेरे साथ चलने की तकलीफ उठावें तो आज ही अपनी सचाई का सबूत दे दू और दिखला दूं कि आपकी जान लेने के लिये क्या क्या बन्दिशें की गई है जिनकी आपको खबर तक नहीं कुसुम कुमारी १०६१