पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५३९

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देखा मगर फिनी का न पाया तब बाहर निकला और अपने मातहत सिपाहियों को लकर रोहतासगढ की तरफ लोट गया। सातवां बयान ऊपर का बयान पर हमारे प्रभी पाठक ताज्जत करते होंगे कि यह क्या हआ और क्या लिखा गया और बातो का जाने दीजिए मगर अन्त म यह क्या आश्चर्य की बात हो गइ कि चुन्गेलाल तिलिस्ली मकान के अन्दर आया और माभूलो तार पर देख भाल कर चला गया बेचारी मिशागेकामिनों और तारा की कुछ सुध न तो! खैर सब कीजिये और जग हनार सय फिर उस जगह चलिय जहा श्यामसुन्दर भगवनिया भैरोसिह कमलिनी लाटेली देवीसिह और भूतनाथको छाड आय है। जिस समय भगवनिया न कमलिनी का अपन सामन दखा यह बदहवास हो गई कलजा वापन लगा सास में रुकावट पैदा हुई और उस मोत की सी तकलीफ मालूम होन लगी। उसने चाहा कि कमलिनी के पैरों पर गिर कर अपना कसूर माफ करावे मगर डर के मारे उसक खून की हरकत बिल्कुल बन्द हो गई थी इसलिये वह कुछ भी न कर सकी बल्कि क्रमश पढते ही जान वाल खौफ क सबब बदम होकर पीछे की तरफ जमीन पर गिर पड़ी। भगवानी को यह अवस्था देखकर कमलिनी का आश्चये मालूम हुआ क्यों उसने अभी तक श्यामसुन्दरसिह और भगवानी का हाल न जाना था। भैरोसिह ने भूतनाथ का रोशनी करने के लिये कह कर तक्षेप में वह सब हाल कमलिनी को कह सुनाया जा भगवानी के विषय में श्यामसुन्दर से सुना था कमलिनी को हद से ज्यादा काध चढ आया मगर यह बुद्धिमान थी और इस बात को खूब समझती थी कि ऐस मौके पर क्रोध के ऊपर अधिकार न कर लेने से प्राय तकलीफ और नुकसान हुआ करता ह कहीं ऐसा न हो कि डर के मारे या विशेष धमकान से भगवानी का दम निकल जाय या वह जिरका दिल और दिमाग बहुत ही कमजोर है पागल हो जाय जेना कि प्राय हुआ करता है तो बड़ी ही मुश्किल होगी और किशारी कामिनी तथा तारा का कुछ भी पता न लगेगा। रोशनी हो जाने पर जब कमलिनी न भगवानी की सूरत देखी ता मालूम हुआ कि उस पर हद से ज्यादे खौफ पड चुका है। आखें बन्द है बहरं पर जर्दी छाई हुइ है और बदन कॉप रहा है। कमलिनी न कुछ ऊँची आवाज में कहा हाश में आ और मेरी बातें सुन एक दम नाउम्मीद न हो कदाचित तेरी जान बच जाय । इस आवाज ने वशक अच्छा असर किया जैसा कि कमलिनी ने सोचा था। कदाचित तेरी जान बच जाय यह सुन कर भगवानो ने आँखें खाल दी। कमलिनी न फिर कहा यद्यपि तूने बहुत बड़ा कसूर किया है मगर मै वादा करती हू कि यदि तू झटपट सच्चा हाल कह देगी ता तेरी जान छोड दी जायगी। अब भगवानी उठ बैठी और अपन कोसम्हाल कर हाथ जाड के कापती हुई आवाज क राथ वोली क्या मरी जान छाड दी जायगी? कम होछाडदी जायगी यदि सव्या हाल काह कर अपना दाप स्वीकार कर लेगी और किशोरी कामिनी तथा तारा का ठीक ठीक पता बता देगी। भग-(कमलिनी के पैरों पर गिर कर और फिर खडी होकर) येराक में कसूरवार हू! जो कुछ मैंने किया है मैं साफ कह दूंगी। अफसोस लालच में पड कर मैंने बहुत बुरा किया था। मुझे शिवदत्त ने धोखा दिया वे समझे बूझे कमलिनी--बस बस ज्यादे बात चढान की कोई जरूरत नहीं जो कुछ कहना है जल्दी से कह दे, विलम्ब होना तेरे लिये अच्छा नहीं है। भगवानी ने सब हाल अर्थात जो कुछ उसने कसूर किया था सच सच कह दिया और अन्त में फिर कमलिनी के पेरों पर गिर कर बोली 'मेने कोई बात नहीं छिपाई अव अपनी प्रतिज्ञानुसार मुझे छोड़ दीजिये। 'हा छाड दूंगी। कह कर कमलिनी ने भूतनाथ और श्यामसुन्दरसिह की तरफ देखा और कहा इसकी मुश्के बॉघ लो और जहॉ उचित समझो ले जाकर अपनी हिफाजत में रक्खो। हम लोग मकान की तरफ न जाकर पहिले किशारी कामिनी और तारा का छुडान का उद्योग करते है और इसके बाद जैसा मौका होगा किया जायगा। कल इसी समय इसी जगह हम लोग या हम लोगों में स काई आवेगा तुम गैजूद रहना मगवानी की बात सच शिकली तो ठीक है नहीं ता एक बात भी झूठी निकलने पर कल इसी जगह इसका सिर उतार लिया जायगा। बस अब मैं एक पल भी नहीं रुक सक्ती चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ११