पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

भूतनाथ और भगवानी को इसी जगह छा, मरासि देवीसिंह और लाजिली को सा4 लिए हुए कमलिनी यहां से रवाना हुई। इस समय उसके पास तिलिस्मीयजर मौजूद था यही तिलिस्मी खजर जो मेरासिह का पत्र पाकर इन्द्रय उसद दिया था। वहाँ से थाहा दूर पर एक पहाड़ी थी जिसस मिली जुली छोटी बड़ी पहाडिया का सिलसिला पीछ की तरफ दूर तक चला गया था। कमलिनी अपने साथिया को लिय हुए उसी तरफ रवाना हुई। कमलिनी का अपन मकान के बर्बाद होन और लूटे जान का इतना रजन या EिTI किशारी कामिरी और तारा की अवस्था पर रज था। यह आपुस म निम्नलिखित बात करती हुई तजी से उस पहाड़ी की तरफ जा रही थी कमलिनी --- सारस सारा 14 HONAL AIR ) अपदसा साहिए starm का में भी पाती हू कि नहीं। लादिली-किशारी और chiमिनी घेवारी मनमानूम विren hl 4 विगाहा है कि सिवाद्य सुख तो उई कलिनी-दस ला लिहा उन्धमूआर दिया था पाहिए कि ईदिन की यथास नउ ता भी छाया ? (कर) सच तो यह है कि यदि वजा जाता है मुन मिली दाना मारी को गुरिया लायक नरहूगी और अब इस योग्य जागीता फिर नी कर ही या क.amith साधार) नि सन्दह अगर ए 0 1 आ मुझ भी इसी जगह भर कर र६ जाना हागा घर तरा सृष्टि में एक कार प्रसूरत गुलाबूट मौजूद इदा की लिए कमी न 1 3 क्या नाता thrs 1 गाय की जिन्दगी के लिए जिनका प्रसा पर हमारी प्रसस्ता निभर चल रही दाना है? अफसास सपिगारामयटकीरती थी HTRA आसान थी कि 46 Aord कर गुजरंगी। भैरो-या आप जानता योगवादित की साटा कमलिनी -मुझे इस बात का स्थिय ताया कि यह याटी मगर उसक बात बात पर सन यान समयटकी रहता थीयोf में रब जानती हू कि जा आदमी लापरवाही के सायात बात पर शासन याया करता है पर वास्तवम भूटा आर बाटाहास माथासनी मग सब स यदि वह मर इस तिलिम्मा मकान के स्थान मद से अनजान रहती ता में स्वयं उस यह भर कदापि न सात I frस पर भी रतुकाधना २६१ कारण स्थय जब डाला साल कर उस हाहया । और सुरग में जाती थी । ताल की जान पर नहीं सदी यो यति कुडी में लगा कर cाली अप पास रख लेती थी। जिसस तयारया सुरगम जाने के बाद पीछ सब आदमी नाला बन्द करना तो दूर रह जजीर भी पासका देवी-2 - 28thurmit की पाता है जयाला माला लगा रहेगा. किसी र कोइरादा नही कमलिनी--और यह बाग का मालूम था मगर अफसी इसने इस पर कुछtif1न दिया और धोया खा गई। भरत दिसोस इस फिकमेथी भगवानी का अलराव कर सटका मिटा लिया था लेकिन इतनी फुर्सत न मिली। दस दिगिरियकर घर में धन की कमी नोवतहीन आई। मगर आश्चर्य की बात है कि भगवानी ने इतनी बोटी कान पर भी हमार यहा की कोई बात मायारानी का काम पहुया कि अभी तक कोई ऐसी बात पाई नहीं गई जिसगम समझती कि मरा फलामा भद माधारानी को मालूम हो गया है। भैरो-यह कोई आश्चर्य की बात नही है कि मौका मिलन पर आदमी की तबीयत एकाएक बदल जाय एक पुरानी मसल चली आती है कि आदमी का रोता आदाटता है। इसका मतलब यह है कि चालाक और धूर्त आदमी अपनी लादार पातमा फसा कर किसानो आदमी की नीयत का बदल सकता है। माया ही चचल से स्वाधीन साना कोई मामूली पार नही है। बड़बड़े मपि भुनिया का संक) यो का उद्योग भी जो केवल मन का स्वाधीन कर के विषय में किया गया साचार की बात में या बुका है। और आदमियो की मन में इतना मंद अवश्य हाता कि नाव पल जान या योमर जित राई कहा जा ! पर 7 आदी तुरन्। यौकन्ना हा जाता और सोचता कि यराफ यह काम मुन्नस धुरा हा गया मगर र मनुष्य मजिसन अपन मन पर प्रकार के लिए पा उधोगन किया ही यह बात नहीं होती। जी आदमी इस बात को सोचता है कि मन क्या वस्तु इसकी चपलता केसी है ये कितनी जल्दी बदल जाम की सामरता है या उसे अधिकार मे नरयन से क्या क्या पराचिया हो सकती है उसके दिय में एक एता पेक्षा जाता है जिसकी उत्पनिसा विचार शक्ति है मगर यह कार यात कठिन है कि यह रचय या पदार्थ है? उसका काम यह है कि मन की चचलता या शिथिलता के कारण यदि कार बुराई हाना चाहती है तो यह विचित्रग का घुटना १५ करको तुरन्त यवर ददता कि यः कामयुरा है या तुने बुरा किया। यह विषय बडा गभीर है ऐस समय में अति राह चलन चलते इस विषय को स्पष्ट रूप समनही दिया सकता मगर मर कहनका मतलपक्रपल गरी है कि देवकीनन्दन स्त्री समग्र ५३२