पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५५१

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cynt अब उस आदमी का हर तरह से नाउम्मीदी हो गइ और उसने समझ लिया कि इस बहादुर नकाबपोश का भुकाबिला में किसी तरह नहीं कर सकता और न यह नरवणश मुझे जान से मारन की ही इच्छा करेगा। वह आश्चर्य लज्जा और निरागा की निगाह से नकाबपाश की तरफ देखने लगा। नकाबपोश-मै पुन कहता है कि मुझस मुकाबला रस का इरादा जाड़ दो और जो कुछ मै हुक्म व सुका हू उत्ते माना अर्थात् यहाँ से चल जाओ। हा तुम्हारे ओर भूतनाय के मामले में किसी तरह की रुकावट न डालूगा तुम दाना में ना कुछ पटपटा ला! आदमी-ॐामाही हाण। यह कह कर मृतनाथ काम सका और गाल व बालो नरं सा ग्लाग या नहीं जो कुछ कहना हा साफ सफीदो॥ भूत-मै तुम्हार र य चपन र रानी नहीं । आदनी-अच्छा ना फिर मुझ नीना कुछ कहना है इस बहादुर नकाबपाश के सामने ही कई जलता क्या? ऐसा बहादुर गवाह मुझे फिर न मिले! यह कह कर उसनडे जोर स ताली राई नाथ माया कि ट्मने फिर उस आदमी का बुलग्याएंगे. सिर से पैर तर अ- डॉक हुए था जिनके हाथ में न पुलिन्दा न इसन दे दिया है जिसमें इसके कथनानुसार तारा की किस्मत दन्द है: गछ भूतनाउनभोवा मरूद में ही नात बीमार मोडीदरल्क राह दरानगर “ी वह आदमी न अया जिस उसवामनुबनली वा कर बुलाया था इगलिय उत्तक गश्चय का कोई टिकाना न रहा और यह रक्यम उसकी पाल में चला गया। वार्डी तक चारों तरफ खोजला रहा इसके बाद उसने एक झाड़ी केन्दर उस आदमी को विचित अदधा में दया अयन व कपडा उसके ऊपर न था रिमन सिर से पैर तक उसे छिपा रखा था और इस लिय वह माफ अस्त भलुम पड़ी थी। पा ली. पर पहुई थी रस्सी से हाथ पैर बघ हुए चे एक कपड़ा उसके मुंह पर इसरह उँधा दुआ गरि हजार उधान करम पर 1. कुछ बाल नहीं सकती थी और वह गठरी भी उसक 'या इधर उपर कहीं नहीं टियाइदती थी जिसमें तार दी किस्मत चन्द थी और जो उस आदमी नलडाई करती ग्नय उसका हायमें दी थी। पिवित्र मनुष्य - झटपट उमा हाथ पैर खाल मुँह पर से कपड़ा दूर किया और उसकी इस रेइज्जती का कारण पुछा। कुछ शान हार पर उसने कहा जिस समय तुम मुताथ लड़ रहे थे उसी समय एका नावपाश यहाँ आया और उसर एक काडा इस फर्नी के साथ मेरे मुंह पर डाल दिया और मुझे बेकाबू कर दिया कि मै कुछ भी न कर सकी नता तुम्ह गुजा सकी और न रिल्ला सको। इत्त र बाद उसने रह पर मजबूती म कपना बाँधा और फिर रसपा से हाथ पैर धनगद यह गठी लकार चला गया जो तुमने मुझे दी 2 ओर जा इस घबराइट में मेरे हाथ से छूट कर जमीर पर जा आदमी-आह ता मुझे अब माल्म हुआ कि वह शेलान भााश मरा बहुत नुकसान कने के बाद मैदान में गया 3* मुझम लड़ा था. हाय जन समुदा चोट ही कर दिया भूतनाथ पर काबू पाया कुछ जग्यिा मरे पास या उसमें सहजना जाता रहा। औरत-शायद एग हो हा क्योंकि मैं नहीं जानता कि किस नकारापाश स तुमसे लडाइ हुई और नतीजा क्या आदमी-ज नकारपाश मुझस लडा था वह अभी तक अपार्ड में बैठा हुआ है। जहाँ तक मुझे विश्वास हाता है मै कह रम्पत् इ कि उनी न तुम्हें तकलीफ दी है मार अफसास लड़ाई का नतीजा अच्छा न निकला क्याकिर मुझसे बहन जबदस्त है। औरत-आश्चर्य से)क्या लड़ाई में उरग्न तुम्हें दवा लिया। गदमी-वेशक ऐसा ही हुआ और इस समय मै उसका कुछ भी नहीं कर सकता। औन्त–ता क्या वह भूतनाथ का पक्षपाती है। आदमी पहनाता ह यही है कि मैनुदार और भूलनाशी कट नीन बानुगः तुम पर यहोता मुन्नथ को न जा जेसा चाउमक साकर औरत-नगर मेरा मजन तु फिी बात को पिता मत करो क्याधि, मैं उस पहिचान गई ह, इसलिए आन -"हाला मिरज तुम्गका मिलेगा नुम इस बेइज्जती का बदला जसा ले सकागे। चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ११ २४३