पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५६३

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. तेज-(गठरी दिखा कर ) नहीं मैंने इस अभी तक नहीं खोला। बल-तभी आप ऐसा पूछते हैं अच्छा अब इसे खोलिये। कम-वह औरत कौन थी? पल-उसका भी हाल मालूम हो जायगा जरा सब कर (तजसिह स) हा साहब अब वह गठरी खोलिये। बहुत अच्छा कह कर तेजसिह उठ और गठरी लिये हुए उस तरफ बढ़ गए जहा किशोरी कामिनी और तारा पडी थी। इसके बाद सनों की तरफ दख के बोले इस गठरी में क्या है सो देखने के लिए सभों का जी बेचैन हो रहा होगा बल्कि मैं कह सकता है कि तास सबसे ज्यादे बेचैन होगी इसलिए में किशोरी कामिनी और तारा ही के पास बैठ कर यह गठरी खोलता हू जिन्हें उठने और चलन में तकलीफ होगी आइये आप लोग भी इसी जगह आ बैठिये। इतना कह कर तेजसिह बैठ गए बलभद्रसिह उनके बगल में जा बैठे औरबाकी सभों ने तेजसिह को इस तरह घेर लिया जेसकिसी मदारी को खल करते समय मनचल लडके घर लेते हैं। तेजसिह ने गठरी साली और सभी की निगाह उसके अन्दर की धीजों पर पड़ी। इस गठरी में पीतल की एक छोटी सी सन्दूकडी थी जिस कमलदान भी कह सकते हैं और एक मुद्दा कागजों का था। दलभदसिह ने कहा पहिले इस कागज के मुटढे का खोलो। तेजसिह ने ऐसा ही किया और जब कागज का मुद्दा खाला गया तो मालूम हुआ कि कई चीटियों को आपस में एक दूसरे के साथ जोड के वह मुद्दा तैयार किया गया है। तेज-(मुट्टा खालते हुए) इसे शैतान की आत कहें या विधाता की जन्मपत्री । पल-रस , aut || या कह सकते है। इन चीठिया और पुओं का मेने कम साथ जोडा है आप शुरू से एक एक करक पढना आरम्भ कीजिए। तजसिह न पहिला पुजा पढा उसमें ऊपर की तरफ यह लिखा हुआ था - श्रीयुत रघुवरसिह याग्य लिखी हलासिह का राम राम | और बाद में यह मजमून था - मर प्यारदारत- आपका मालूम है कि राजा पापालसिह की शादी बलभद्रसिह की लडकी लक्ष्मीदेवी के साथ होने वाली है मगर में चाहता हूं कि आप कृपा करके कोई ऐसा बन्दावस्त कर जिसमें वह शादी टूट जाय और उसके बदले में मेरी लडकी मुन्दर की शादी राजा गोपालासह के साथ हो जाय। अगर ऐसा हुआ तामजन्म भर आपका अहसान मानूगा और जो कुछ आप कहेंग करुगा। मुझे आपकी दोस्ती पर बहुत नरासा है। शुभम । बलभद्र - लीजिए पहिल नम्बर की चीटी समाप्त । तारा-- रघुवरसिह किसका नाम है ? तेज - इस भूतनाथ का नाम रघुबरसिह है और नानक इसी का लडका है (बलभद्रसिह से ) क्या हेलासिह मायारानी के बाप का नाम है? बलमद - जी हा और मायारानी का असल नाम मुन्दर है। कमलिनी- अच्छा आगे पढिये। तेजसिह ने दूसरी चीठी पढी। उसमें यह लिखा था 'मेरे प्यारे दोस्त हेलासिह आपका पत्र पहुचा। मैं इस बात का उद्योग कर सकता हूँ मगर इस काम में हद से ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। खुल्लम खुल्ला तो आपकी लडकी की शादी राजा गोपालसिह से नहीं हो सकती क्योंकि रजा गोपालसिह को आपकी लडकी का विधवा होना मालूम है हा उनका दारोगा अगर हमारे साथ मिल जाय तो कोई तर्कीब निकल सकती है लेकिन उसमें भी यह कठिनाई है कि दारोगा लालची है और आप गरीब है। ग्धुरारसिह - वाह वाह भूतनाथ ता बडा शैतान मालूम होता है । यह सब काटे क्या उसी के बोए हुए है । कमलिनी-मगर अफसोस है कि आप उसे अपना दोस्त याने के लिए कर मर चुके है । बलमद-मैं ठीक कहता हूँ कि थोडी देर बाद देवीमिहजी को अपने वि पर पछताना पड़ेगा। लाडिली-खैर जो होगा देखा जायगा आप तीसरी चीठी पढिये। यलभद-मालूम नहीं है कि भूतनाथ की चोठी का जवाब हेलासिद ने क्या दिया जा क्याकि वह चीटी मेरे हाथ नहीं लगी। यह तीसरी चीठी जो आप पढेंगे वह भी भूतना ही की लिखी हुई है। तेजसिह तीसरी चीठी पढने लगे उसमें लिखा हुआ था- देवीसिह चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १२ ५५५