पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५६८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

he देवी-इससे कोई पूछे कि एसे एस खोटे कर्म करके दुनिया में तूने क्या मजा पाया? मै समझता हू कि यह अपनी जान दे देगा या यहा से भाग जाना पसन्द करेगा। बलभद्र-हा यदि इसकी एक बहुत ही प्यारी चीज मेरे को में न होती तो बेशक यह अपनी जान दे देता या भागही जाता मगर अब यह ऐसा नहीं कर सकता है। कमलिनी--वह कौन सी चीज है? बलभद-जल्दी न करा उसका हाल भी मालूम हो जायगा । तेज-खैर आप यह तो बताइए कि इसके साथ क्या सलूक करना चाहिय? बलभद-कुछ नहीं इसे इसी तरह उठा कर तालाब के बाहर रस आओ और छोड दा जहा जी चाह चला जाय। कमलिनी-( तेजसिह से) क्या आपको मालूम है कि इसका लड़का नानक आजकल कहा है? तेज-मुझे नहीं मालूम। किशोरी- इसका केवल एक ही लड़का है? तेज-क्या तुम्हे अभी तक किसी ने नहीं कहा कि भूतनाथ की पहली स्त्री से एक लड़की भी है जिसका नाम कमला है और जा तुम्हारी प्यारी सखा है ? हाय में अफसास करता हू कि इस दुष्ट का हाल सुन कर उस बेचारी को यडा ही दुख होगा। मैं सच कहता हू कि कमला एसी लायक लडकी बहुत कम देखन सुनन में आधेगी। इतना सुनत ही भैरोसिहक चेहरे पर खुशी की निशानी दियाई देने लगी जिस उसने बडी होशियारी से तुरन्त दवा दिया और किशोरो सिर नीचा करके न मालूम क्या सोचन लगी। तेज-(बलभद्रसिह से ) अच्छा तो यह निश्चय हो गया कि इसे तालाव के बाहर छोड़ आया जाय ? चलभद्र-हा मेरी राय में तो एसा ही हाना चाहिए। कमलिनी-क्या इसे कुछ भी सजा न दी जायगा ? इसका तो इसी समय सिर उतार लेना चाहिए? बलभद्र-(ताज्जुब से कमलिना की तरफ देख के ) तुम ऐसा कहती हो' मुझे आश्चर्य होता है। शायद गम ने तुम्हारी अक्ल में फक डाल दिया है। इस मार डालन से क्या हमारा बदला पूरा हो जायगा? कमलिनी ने शर्मा कर सिर झुका लिया और तजसिह का इशारा पाकर भैरोसिह और देवीसिंह ने भूतनाथ को तालाब के बाहर पहुंचा दिशा तारासिह और श्यामसुन्दर सिह आश्चर्य से सभी का मुह देख रहे थे कि यह क्या मामला है क्योंकि इधर जो कुछ गुजर। था उसका हाल उन्हें कुछ भी मालूम न था। ऊपर लिखे कामों से छुटटी पाकर तेजसिह न तारासिंह को एक किन्गरे ले जाकर यह हाल सुनाया जो इधर गुजर चुका था और फिर अपने ठिकाने आ बैठे। इसके बाद कमलिनी ने बलभदसिह से कहा- 'मरा जी इस बात को जानने के लिए बेचैन हो रहा है कि इतने दिनों तक आप कहा रह किस स्थान में रह और म्या करते रह? आप पर क्या क्या मुसीबतें आई और हमलोगों का हाल जानकर भी आपने इतने दिनों तक हमलागो से मुलाकात क्यों नहीं की? क्या आप नहीं जानते थे कि हमारी लडकिया कहा और किस मुसीबत में पड़ी हुई है? यलभद-इन सब बातों का जवाब मिल जायगा जरा सब करो और घबडाओ मत ! पहिले उन चीटियों को सुन जाओ फिर इसके बाद जो कुछ तुम्हें पूछना हो पूछना और मुझे भी जो कुछ तुम्हारे विषय में मालूम नहीं है पूछूगा । (तेजसिह से) यदि इस समय कोई आवश्यक काम न हो तो आप उन चीटियो को पढिए या पढने के लिए किसी को दीजिए । तेजसिह-नहीं नहीं (कागज के मुछे की तरफ देराके) इन चीठियों का मैस्पय पदगा और इस समय हम लोग सब कामों से निश्चित भी है हॉ तारासिह को यदि कुछ तारा- नहीं मुझे कोई काम नहीं है केवल भगवनिया के विषय में पूछना है कि इसके साथ क्या सलूक किया जाय? तेज-इसका जवाब कमलिनी के सिवाय और कोई नहीं दे सकता। यह कह उन्होंने कमलिनी की तरफ देखा। कमलिनी-(भैरोसिह से आपको यहा का सब हाल मालूम हो चुका है इसलिए आप हो तहखाने तक जाने की तकलीफ उठाइये। बहुत अच्छा फहकर भैरोसिह उठ खडा हुआ और भगवानी की कलाई पकडे हुए बाहर चला गया। मलिनी ने श्यामसुन्दरसिंह से कहा अब तुम्हें भी यहा न ठहरना चाहिए बस तुरन्त वल जाओ और हमारे आदमियों को जो दुर्शन फसतान स इधर उधर भाग गए है नहा तक हो सके दो तथा हमार या साजान की सुशखबरी सुना। यस चल हो जाओटा अटकन की कोई जरूरत नहीं। देवनानी समग्र