पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५७३

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दि कर अलग किया। यल-इस नालायक कमीने को इतना पाप करने पर भी शर्म नहीं आती चूल्लू भर पानी में डूब नहीं मरता और मुकाबला करने के लिये तैयार होता है । भूत-मै कसम खा कर कहता है कि यह असली बलभदसिह नहीं है। वह बेचारा अभी तक कैदा में है और इसी की बदौलत कैद में है। जिसका जी चाहे मेरे साथ चले में दिखाने के लिये तैयार हूँ। क्ल-साथ ही इसके यह भी क्यो नहीं कह दता कि वे चीठियों भी तेरे हाथ की लिखी हुई नहीं है । भूत-हॉ हॉ तेरे हाथ की लिखी ये चीठियाँ भी मेरे पास मौजूद है जिनकी बदोलत बेचारा बलभद्रसिह अभी तक मुसीबत झेल रहा है। यह कह कर भूतनाथ ने अपना एयारी का बटुआ लेने के लिए भैरोसिह की तरफ हाथ बढाया । तीसरा बयान जिस समय भूतनाथ ने बलभदसिह से यह कह कर कि तेरे हाथ की लिखी हुई वे चीटियाँ भी मेरे पास मौजूद है जिनकी बदौलत बेचारा बलभद्रसिह अभी तक मुसीयत झेल रहा है भैरोसिह की तरफ ऐयारी का बटुआ लेने के लिए हाथ वढाया उस समय तजसिह को विश्वास हो गया कि वेशक भूतनाथ बलभद्रसिह को दोषी ठहरावेगा मगर भैरोसिह के हाथ से ऐयारी का बटुआ लेने के बाद भूतनाथ ने कुछ सोचा और फिर तेजसिंह की तरफ देख कर कहा- भूत-नहीं इस समय में उन चीठियों को नहीं निकालूगा क्योंकि यह झट इनकार कर जायगा और कह देगा कि मेरे हाथ की लिखी ये चीठिया नहीं हैं आपलोगों को इसके हाथ की लिखावट देखन का मौका अभी तक नहीं मिला है। बलभद-नहीं नहीं, में इनकार न करुगा बल्कि स्वीकार करुगा तू काई चीठी निकाल भी तो सही। भूत-हाँ हाँ में चीठियॉ निकालूगा मगर इस थोडी दर में मै इस बात का अच्छी तरह सोच चुका है कि तेरे हाथ की लिखी हुई चीठियों को निकालना इस समय की कक्षा उस समय विशेष लाभदायक होगा जब मै तेजसिह या और किसी को लेजाकर असली बलभदसिह का सामना करा दूगा। (तजसिह स) कहिए आप मेरे साथ चलन के लिए तैयार है या किसी को साथ भेजेंगे? तेज-इस बात का फैसला कमलिनी या लक्ष्मीदेवी करेंगी मै तुमको पुन इस मकान में चलने की आज्ञा देता हू मगर साथ साथ यह भीकह देता हूँ कि देखो भूतनाथ तुम बडे बडे जुर्म कर चुक हो और इस समय भी अपने हाथ की लिखी हुई चीठियों से इनकार नहीं करते मगर अब मैं देखता हू कि तुम पुन कोई नया पातक किया चाहते हो । इतना कहकर तेजसिह ने बलभदसिह का हाथ पकड़ लिया और देवीसिह तथा भैरोसिह को यह कह कर मकान की तरफ रवाना हुए कि हम दोनों के जाने बाद थोड़ी देर में जब हम कहला भेजें तो भूतनाथ को लिए मकान में आना । बलभद्रसिह को साथ लिए हुए तेजसिह मकान के अन्दर आए और कमलिनी किशोरी तथा तारा इत्यादि सब हाल कहा। तारा-इसमें कोई शक नहीं कि भूतनाथ झूठा दगाबाज और परले सिरे का येईमान सावित हो चुका है। तेज-बेशक ऐसा ही है मगर इस समय हम लोगों को सबसे पहिले उसी बात का निश्चय कर लेना चाहिये जिसके बारे में लक्ष्मीदेवी ने इशारा किया था। कमलिनी-ठीक है। (बलभद्रसिह की तरफ देखके आप बहुत सुस्त और पसीने पसीने हो रहे है अतएव कपडे उतारकर आराम कीजिए और ठडे होइये। वलभद-हा मैं भी यही चाहता हू। इतना कहकर बलभद्रसिह ने कपड़े उतार डाला उस समय लोगों का ध्यान बलभद्रसिह के मोर्ड की तरफ गया और सभी ने उस निशान को बहुत अच्छी तरह देखा जिसे लक्ष्मीदेवी ने याद दिलाया था। कमलिनी-(खुशी से वलभद्रसिह का हाथ पकड के और लक्ष्मीदेवी की तरफ देखके) देखो यहिन यह पुराना निशान अभी तक मौजूद है। ऐसी अवस्था में मुझ कोइ धोखा दे सकता है ? कभी नहीं 1 बलभद्र-(हस कर) इस निशान का लाडिली अच्छी तरह पहिचानती हागी क्योंकि इसी न बीमारी की अवस्था में दॉत काटा था? (लवी सॉस लेकर) अफसास आज और उस जमाने के बीच में जमीन आसमान का फर्क पड़ गया है। इश्वर तेरी महिमा कुछ कहीं नहीं जाती। चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १२