पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५८१

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Toy न थी क्योकि में दुष्टा मायारानी के आधीन थी। उस मैं अपनी बडी बहिन समझती थी और उसी की आज्ञानुसार एक काम क लिए यहा आई थी। किशोरी-ओफ ओह तब ता आज बडे बडे भेदों का पता चलेगाजिन्हें याद करके मेरा जी बेचैन हो जाता था और इस सवय से मै और परशान थी कि उन भेदों का असल मतलब कुल मालूम न होता था अब ता मै बहुत कुछ तुमसे पूछूगी और तुम्हें बतानी पड़गा। कमलिनी-हा हा तुम्हें सब कुछ मालूम हो जायगा मार धयराती क्यों हो इस समय हम लागों का केवल यही काम - है कि ईश्वर को धन्यवाद दे जिसकी कृपा से हमे लोग हजारों दुख उठा कर ऐसी जगह आ पहुंचे हैं जहा हमारे दुश्मन रहते थे और जिस अब हम अपना घर समझते हैं। लाडिली-(किशोरी से) बेशक ऐसा ही है केवल एक यही बात नहीं और भी कई अदभुत बातें तुम्हें मालूम होगी। जरा सब करो सफर की हरारत मिटाओ और आराम करो जल्दी क्यों करती हो । छठवां बयान रात का समय है और चॉदनी छिटकी हुई है। आसमान पर कहीं कहीं छोटे बादलों के टुकडे दौडते हुए दिखाई द रह है जिसमें कभी कभी चन्द्रमा छिपता और फिर तजी के साथ विकल आता है। इस समय रोहतासगढ किले के चारों तरफ की मनभावन छटा बहुत ही भली मालूम पडती है 1 महल की छत पर फिशोरी कामिनी कमलिनी लाडिली लक्ष्मीदेवी और कमला टहलती हुइ चारा तरफ की कैफियत देख रही है। इस समय की शामा छटा या प्राकृतिक अवस्था जा कुछ भी कहे उन सभ क दिल पर जुदे ढग का असर कर रही है। कमलिनी अपने ध्यान में डूयी हुई है लक्ष्मीदवी युछ ओर ही सोच रही है लाडिली किमी दूसर ही सभव असभव के विचार में पड़ी है किशोरी और कामिनी अलग ही मन के लडडू बना रही है। मगर कमला के दिल का कोई ठिकाना नहीं। उसने जब से यह सुन लिया है कि भूतनाथ गिरफ्तार करक राहतासगढ के कैदखाने में डाल दिया गया तब से वह तरह तरह की बातें सोच रही है। भूतनाथ वास्तव में कौन है ? उसने क्या कसूर किया ? वीरन्द्रसिह के एयार लोग उससे खुश थ-फिर यकायक रज क्यों हो गए? और यह तारा कभी-कभी लक्ष्मीदेवी के नाम से क्यों पुकारी जाती है ? कमलिनी तारा का अदब क्यों करने लग गई? इत्यादि बातों को जानने के लिए उसका जी बेचैन होरहा है मगर अभी तक किसी ने इन बातों का जिक्र उससे न किया है। हा इस समय इन्ही विषयों पर बात करने का वादा है अस्तु कमला इसी बात का मोका ढूढ़ रही है कि ये सब एक ठिकाने बैठ जाय ता बातो का सिलसिला छेडा जाय। घण्टे भर तक टहल टहल कर चारों तरफ देखने के बाद स्वकी सब एक ठिकाने फर्श पर बैठ गई और कमला ने बातचीत करना अपरम्भ कर दिया। कमला-(किशारी स) क्यों बहिन- भूतनाथ ता राजा वीरेन्द्रसिह के ऐयारों के साथ मिल जुल कर काम करता था ओर सय कोई उससे खुश थे फिर यकायक यह हो क्या गया कि उसे कैदखाने की म हवा खानी पड़ी? किशारी-इसका हाल कमलिनी बहिन से पूछा। कामिनी-क्योंकि वह इन्हीं का ऐयार था और इन्हीं की आज्ञानुसार काम करता था। कमलिनी-(हस कर ) किसी का एयार था या किसी का बाप था इससे क्या मतलब ? जो था सो था-अब न कोई उसे अपना ऐयार बनाना पसन्द करेगा और कोई अपना वाप कहना स्वाकार करेगा। किशोरी-(मुस्कुरा कर ) जिस तरह अब तुम मायारानी का अपनी बहिन कहना उचित नहीं समझती। कमलिनी-नहीं नहीं इस तरह और उस तरह में बड़ा फर्क है। कम्बख्त मायारानी तो वास्तव में हमारी बहिन हेही नहीं। कमला-(ताज्जुब से) मायारानी तुम्हारी वाहन नहीं है | फिर तुमन मुझसे क्यों कहा था कि मायारानी हमारी बडी बहिन है। कमलिनी-तब तक मै उसका असल हाल नहीं जानती थी उसी तरह जिस तरह तुम भूतनाथ का असल हाल नहीं जानती और जब जान जाओगी तो न मालूम तुम्हार दिल का क्या हाल हागा। खैर वह सब जो कुछ हो लेकिन भूतनाथ का सच्चा सच्चा हात कभी न कभी तुम्हें मालूम हो ही जायगा। मगर देखो यहिन दुनिया में कोई किसी के दोष का भागी नहीं हो सकता। जिस तरह ईमानदार बाप बदनीयत लड़के के दाप से दोषी नहीं हो सकता उसी तरह धर्मात्मा लडका अपन कपटी कुटिल तथा कुचाली याय के कामों का उत्तरदाला नहीं हो सकता है। हर एक आदमी अपने किए का फल चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १२ ५७३