पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५८३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कमला-वहिन चाहे जो हो मैं अपनी मा की नसीहत कदापि भूल नहीं सकती और न उसके विपरीत ही कुछ कर सकती है। ईश्वर उसकी आत्मा को सुखी करे वह बडी ही नक थी। जिस समय चाचा न मेरे बाप के मरने की खबर पहुँचाई थी उस समय वह बहुत ही बीमार थी। सर लोग तो रोने पीटन लगे मगर उसकी आखों में ऑसू की बूद भी दिखाई नहीं देती थी। इसका कारण लोगों ने यही बताया कि रज बहुत ज्यादे है जिससे यह बेसुध हा रही है मगर मेरी मा ने मुझे चुपके से बुला क समझाया और यह भी कहा कि बेटी मै खूब समझती हूँ कि तेरा बाप भरा नहीं है बल्कि कहीं छिया बैठा है और वास्तव में उसकी चाल चलन ऐसा नहीं कि वह लोगो को अपना मुह दिखाए-मगर क्या किया जाय वह मरा पति है किसी क आगे उसकी निन्दा करना मेरा धर्म नहीं है। मैं खूब समझती हूँ कि अबकी दफे की बीमारी से मैं किसी तरह बच नहीं सकती इसीलिए तुझे समझाती हूँ कि यदि कदाचित तरा बाप तुझे मिल जाय तो तू उससे किसी तरह की भलाई की आशा न रखियो हाँ तरा चाचा बहुत ही लायक है वह सिवाय भलाई के तेर साथ बुराई कभी न करेगा मगर मेरी समझ में नहीं आता कि उसने स्थय अपने भाई के मरने की झूठी खबर क्यों उड़ाई। खैर जो हो मैं तुझे अपने सर की कसम दकर कहती हूँ कि तू अपनी चाल चलन को बहुत सम्भाले रहियो और वही काम कीजियो जिसमें किशोरी का भला हो क्योंकि उसका नभक मरे और तेर रोम रोम में भीना हुआ है - और साथ ही मुझे इस बात का भी पूरा विश्वास है कि किशारो तुझे जी स चाहती है और वह जोकुछ करगी तेरे लिये अच्छा ही करगी। बाकी रहीकिशरी की मा और किशोरी का नाना सा किशोरी की मा एक ऐसे आदमी के पाले पडी है कि जिसके मिजाज का कोई ठिकाना नहीं ताज्जुब नहीं कि किसी न किसी दिन उस खुद अपनी जान दे दनी पड जाय और किशारी का नाना पर ले सिरे का क्रोधी है अतएव सिवाय किशोरी के तुझ सहारा दन वाला मुझे कोई दिखाई नहीं दता । इतना सुनते किशारी को अपनी मा याद आ गई और उसकी आखों से टपाटप आसू की यूदे गिरने लगी। कमला का भी यही हाल था। कमलिनी ने दाना के ऑसू पोंछ और समझा कर शान्त किया। थाडी देर तक बातचीत बन्द ही इसके बाद फिर शुरू हुई। कमला-(कमलिनी से ) तो क्या मैं सुन सकती हूँ कि मेरे बाप न क्या काम किये है जिनके लिये आज उसे यह दिन देखना पड़ा? कम-हा हा मै वह सब हाल तुमस कहूगी मगर कमला तुम यह न समझना कि भूतनाथ के सबब स हम लोगा के दिल में तुम्हारी मुहब्बत कम हो जायगी। किशोरी-नहीं नही ऐमा कदापि नहीं हा सकना मि तुम्हारी नकियों को कदापि नहीं भूल सकती। तुमने मेरी जान यचाई तुमने दुख के समय मेरे साथ दिया और तुम्हारे ही भरासे पर मैने जो जी में आया किया। लक्ष्मी-(कमला से ) यद्यपि मेरा तुम्हारासाथनही हुआ है परन्तु मै तुम्हारे दिल को इन्हीं दो चार दिनों में अच्छी तरह समझ गइ हूँ। नि सन्दह तुम्हारी दोस्ती कदर करने लायक है और इस बात का त हम लोग अच्छी तरह जानती है कि तुमन किशारी के लिए बहुत तकलीफ उठाइ इससे ज्यादे कोई किसी के लिय नहीं कर सकता? कमला-मैन किशारी के लिए कुछ भी नहीं किया जा कुछ किया किशोरी की मुहब्बत ने किया है। मैं तो केपल इतना जानती हूँ कि मरी जिन्दगी किशोरी की जिन्दगी के साथ है। यदि वह खुश है तो मैं भी खुश हू, इस दुख है ता मुझे भी रज है। और फिर में किस लायक हूँ मगर उस समय बेशक मुझे बड़ा दुख हागा जब किसी को यह कहते सुनूगी कि 'कमला का बाप दुष्ट था। हाय जिसके साथ मैं जान देने के लिये तैयार हूँ उसी के साथ "बाप बुराई करें। कम-- नहीं नहीं कमला-तुम्हार याप ने किशोरी के साथ युराई नहीं की बल्कि उसन हम तीनों बहिनों क साथ बुराई की है जिन्हें तुम थोडे दिन पहिले जानती भी नहीं थी अतएव तुम्हें रज न करना चाहिए फिर में यह भी उम्मीद करती हूँ कि राजा वीरन्द्रसिह भूतनाथ का कसूर माफ कर देंग। लक्ष्मीदेवी - बहिन इन बातों को जाने भी दा चाहे भूतनाथ ने हमलागों के साथ कैसी ही बुराई क्यों ना की हा भगर हम लाग उसे अवश्य माफ करेंगे क्योंकि कमला का किसी तरह उदास नहीं देख सकत। कमला तू भेरी सगी बहिन से बढकर है। जबकि किशारी तुम्हें अपना मानती है तानि सदेह हम लोग उससे बढकर मानेंगी। सच ता यों है कि आज हम लोग जिन सुखों की आशा कर रहे है वे स्व किशारी के चरणों की बदौलत है। चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १२ ५७५