पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/६१०

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BE ht ? गोपाल-हाँ मै सुन चुका है कि कमलिनी के मकान को दुश्मनों न उजाड कर दिया और उसके यहाँ जो कैदी थेवे भाग गया भूत-ठीक है ता आप किशोरी कामिनी और तारा का हाल भी सुन चुके है जो उस मकान में थी। गोपाल-उनका खुलासा हाल तो मुझे नहीं मालूम हुआ मगर इतना सुन चुका हूँ कि अब ये सब कमलिनी के साथ राहतासगढ में जा पहुची है। भृत-ठीक है मगर उन पर कैसी मुसीबत आ पड़ी थी उसका हाल आपका सायद मालूम नहीं। गोपाल-नहीं बल्कि उसका खुलासा हाल दरियाफ्त करने क लिए मैन एक आदमी रोहतासगढ में ज्योतिषीजी के रास भेजा है और एक पत्र भी लिखा है मगर अभी तक जवाब नहीं आया। ता क्या कमलिनी के साथ तुम भी यहाँ गये थे। भूत-जी हॉ में कमलिनीजी के साय था । गोपाल-तब ता मुझ सब खुलासा हाल तुम्हारी ही जुवानी मालूम हो सकता है अच्छा कहो कि क्या हुआ मूत-मैं सब हाल आपस कहता हूँ और उसी के बीच में अपनी तबाही ओर बवादो का हाल भी कहता हूँ। इतना कह मृतनाथ ने किशोरी कमलिनी लक्ष्मीदेवी भगवानिया श्यामसुन्दरसिह और बलभद्रसिह का कुल हाल जा ऊपर लिखा जा चुका है कहा और इसके बाद रोहतासगढ़ फिल के अन्दर जो कुछ हुआ था और कृष्णा जिन्न नजो कुछ काम किया था वह सब भी कहा । पलग पर पड राजा गापालसिह भूतनाथ की कुल यातें सुन गये और जब वह चुप हो गया तो उठ कर एक ऊची गद्दी पर जा बैठे जा पलग के पास ही बिछी हुई थी। थोड़ी देर तक कुछ सोचने के बाद ये बोले हाँ तो इस ढग स मालूम हुआ की तारा वास्तव में लक्ष्मीदवी है। भूत-जी हा मुझ इस बात की कुछ भी खबर न थी। गोपाल-यह हाल यडा ही दिलचस्प है अच्छा जिन्न की चीठी मुझे दो में देखू । भूत-(चीठी दकर ) आशा है कि इसमें काई यात मरे विरुद्ध लिखी हुई न होगी। गोपाल-( चीठी देय कर ) नहीं इसमें तो तुम्हारी सिफारिश की है और मुझे मदद देन क लिए लिखा है। भूत-कृष्णा जिन्न का आप जानत है? गोपाल-वह मेरा दास्त है लड़कपन ही स मै उसे जानता हूँ, उसे भेरे कैद हाने की कुछ भी खबर न थी पाँच सात दिन हुए है जब वह मुबारकबाद देन के लिए भर पास आया था। भूत-ता में उम्मीद करता हूँ कि इस काम में आप मेरी मदद करेंगे? गोपाल हाँ हाँ में इस काम में हर तरह से मदद देने के लिए तैयार हूँ क्योकि यह काम वास्तव में मेरा ही काम है मगर मरी मझ में नहीं आता कि मैं क्या मदद कर सकूगा क्योंकि मुझे इन बातों की कुछ भी खवर न थी और न है। भूत-जिस तरह की मदद मैं चाहता हूँ अर्ज करूंगा मगर उनक पहिले मै यह जानना चाहता हूँ कि क्या आप राजा वीरन्द्रसिह और कमलिनी इत्यादि स मिलने के लिए राहतासगढ जायेंगे? गोपाल-जब तक राजा वीरेन्द्रसिह मुझ न युलावेंगे मैं अपनी मर्जी से न जाऊँगा और न मुझे कमलिनी या लक्ष्मीदेवी से मिलने की जल्दी ही है जब तुम्हारे मुकदमे का फैसला हो जायगा तब जैसा होगा देखा जायगा । गोपालसिह की बात सुन कर भूतनाथ को बडा ताज्जुब हुआ क्योंकि लक्ष्मीदेवी की खबर सुनकर न तो उनके चेहरे पर किसी तरह की खुशी दिखाई दी और न बलभदसिह का हाल सुन कर उन्हें रज ही हुआ। कमरे के अन्दर पैर रखते ही भूतनाथ ने जिस शान्त भाव में उन्हें देखा था वैसी ही सूरत अब भी देख रहा था। आखिर बहुत कुछ सोचने विचारने के बाद भूतनाथ ने कहा आपन खास बाग में मायारानी के कमर की तलाशी ली थी? गोपाल-तुम भूलते हो। खास बाग के किसी कमरे या कोठरी की तलाशी लेने से काई काम नहीं चल सकता। या ता तुम हेलासिह के किसी पक्षपाती को जो उस काम में शरीक रहा हो गिरफ्तार करो या दारोगा कम्बख्त का दुख देकर पुछो मगर अफसोस इतना ही है कि दारागा राजा वीरेन्द्रसिंह के कब्ज में है और उसके विषय में उनको कुछ लिखनामै पसन्द नहीं करता। गोपालसिह की इस बात स भूतनाथ को और भी आश्चर्य हुआ और उसने कहा 'तलाशी से मेरा और कोई मतलब नहीं है मुझे ठीक पता लग चुका है कि मायारानी के पास तस्वीरों की एक किताब थी और उसमें उन लोगों की तस्वीरें थी जो इस काम में उसके मददगार थे बस मेरा मतलब उसी किताब के पाने से है और कुछ नहीं? ६०२ देवकीनन्दन खत्री समग्र