पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/६३५

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वर इधर-उधर घूमने लगे तथा सध्या होने के पहले ही उन लोगों का पता लगा लिया जो दो सौ आदमियों के साथ उसी जगल में टिके हुए थे। तब रात हुई और अधकार ने अपना दखल चारों तरफ अच्छी तरह जमा लिया तो ये तीनों उस लश्कर की तरफ रवाना हुए। शिवदत्त और कल्याणसिह तथा उनके साथियों ने जगल के मध्य में डेरा जमाया हुआ था।खेमा या कनात का नाम निशान न था बयड और घने पेडों के नीचे शिवदत्त और कल्याणसिह मामूली बिछावन पर बैठे हुए बातें कर रहे थे और उसे थोड़ी ही दूर पर उनके सगी-साथी और सिपाही लोग अपने अपने काम तथा रसोई बनाने की फिक्र में लगे हुए थे। जिस पेड़ के नीचे शिवदत्त और कल्याणसिह थे उससे तीस या चालीस गज की दूरी पर दो पालकिया पेडों की झुरमुट के अन्दर रक्खी हुई थी और उनमें माधवी तथा मनोरमा विराज रही थीं और इन्हीं के पीछे की तरफ बहुत से घोड पेडों के साथ बघे हुए घास चर रहे थे। शिवदत्त और कल्याणसिह एकान्त में बैठ बातचीत कर रहे थे। उनसे थोड़ी ही दूर पर एक जवान जिसका नाम धन्नूसिह था हाथ में नगी तलवार लिए हुए पहरा दे रहा था और यही जवान उन दो सौ सिपाहियों का अफसर था जो इस समय जगल में मौजूद थे। रात हो जाने के कारण कहीं-कहीं पर रोशनी हो रही और एक लालटन उस जगह जल रही थी जहा शिवदत्त और कल्याण बैठे हुए आपुस में बातें कर रहे थे। शिवदत्त हमारी फौज ठिकाने पहुच गई होगी। कल्याण-वेशक। शिवदत्त-क्या इतने आदमियों को रोहतासगढ तहखाने के अन्दर समा जाना सम्भव है ? कल्याण-( हंसकर ) इसके दूने आदमी भी अगर हो तो उस तहखाने में अट सकते है। शिवदत्त-अच्छा तो उस तहखाने में घुसने के बाद क्या क्या करना होगा? कल्याण-उस तहखाने के अन्दर चार कैदखाने है पहिले उन कैदखानों को देखेंग अगर उनमें कोई कैदी होगा तो उसे छुडा कर अपना साथी बनावेंगे। मायारानी और उसका दारोगा भी उन्हीं कैदखानों में से किसी में जरूर होंगे और छूट जाने पर उन दोनों से बड़ी मदद मिलेगी। शिवदत्त-वशक बड़ी मदद मिलेगी अच्छा तब? कल्याण-अगर उस समय वीरेन्द्रसिह वगैरह तहखाने की सैर करते हुए मिल जायेंगे तो मैं उन लोगों के बाहर निकलने का रास्ता बन्द करके फँसाने की फिक्र करुगा तथा आप फौजी सिपाहियों को लेकर किले के अन्दर चॅले जाइयगा और मर्दानगी के साथ किले में अपना दखल कर लीजियेगा। शिवदत्त-ठीक है मगर यह कब समव है कि उस समय बीरेन्द्रसिह बगैरह नहखाने की सैर करते हुए हम लोगों को मिल जाय। कल्याण- अगर न मिलेंगे तो न सही उस अवस्था में हम लोग एक साथ किले के अन्दर अपना दखल जमावेंगे और वीरेन्दसिह तथा उनके ऐयारों को गिरफ्तार कर लेगे। यह तो आप सुन ही चुके है कि इस समय रोहतासगढ किले में फौजी सिपाही पाच सौ से ज्यादे नहीं है सो भी बेफिक्र बैठे होंगे और हम लोग यकायक हर तरह से तैयार जा पहुचेगे। मगर मेरा दिल यही गवाही देता है कि वीरेन्द्रसिह वगैरह को हम लोग तहखाने में सैर करते हुए अवश्य देखेंगे क्योंकि वीरेन्दसिह ने जहा तक सुना गया है अभी तक तहखाने की सैर नहीं की अबकी दफे जो वह वहा गए है तो जरूर तहखाने की सैर करेंगे और तहखाने की सैर दो एक दिन में नहीं हो सकती आठ दस दिन अवश्य लगेंगे और सैर करने का समय भी रात ही को ठीक होगा इसी से कहत है कि अगर वे लोग तहखाने में मिल जाय तो ताज्जुब नहीं। शिवदत्त-अगर ऐसा हो तो क्या बात हे 'मगर सुनो तो कदाचित बीरेन्दसिह तहखाने में मिल गए ता तुम तो उनके फसाने की फिक्र में लगोगे और मुझे किले के अन्दर घुसकर दखल जमाना होगा। मगर मै उस तहखाने के रास्ते को जानता नहीं तुम कह चुके हो कि तहखाने में आने-जाने के लिए कई रास्ते हैं और वे पेचीले है अस्तु ऐसी अवस्था में मैं क्या कर सकूगा 1 कल्याण-ठीक है मगर आपको तहखाने के कुछ रास्तों का हाल और वहा आने-जाने की तीव मै सहज ही में समझा सकता है। शिवदत्त-सा कैसे? कल्याणसिह ने अपन पास पड हुए एक बटुए म से कलम दावातऔर कागज निकाला और लालटेन को जो कुछ हटकर जल रही थी पास रखने क बाद कागज पर तहखान का नक्शा खींचकर समझाना शरू किया। उसन ऐसे ढग 1 चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १३ ६२७