पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/६४

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दि बालेसिह-क्या मैं बेफिकरा हूं, खाकर सो रहना ही जानता हू? अपने काम काज में तुमसे ज्यादे होशियार हू, एक दफे महारानी की चालाकी ने मुझे धोखे में डाल दिया इससे यह न समझना कि बालेसिह निपट बेवकूफ हे, कहिये तो उस औरत का नाम तक बता दूं जो आई है। जसवन्त-आश्चर्य है मिगर भला कहिये तो कि आपको कैसे मालूम हुआ? यालेसिह–भैया मेरे यह न पूछो मैं अपनी कार्रवाई किसी से कहने वाला नहीं अपने बाप से तो कह नहीं, दूसरे की क्या हकीकत है तुमने जिस काम को हाथ में लिया है उसे करो। जसवन्त-खैर न बताइये अच्छा तो मैं अपनी फौज साथ लेकर सुरग की राह किले में जाऊँगा। बालेसिह-खुशी से जाओ और किला फतह करो। जसवन्त-मुश्किल तो यह है कि आपने कुल पाँचहजार फौज मेरे हवाले की है और पन्द्रह हजार अपने कब्जे में रख छोड़ी है। बालेसिह-और नहीं तो क्या कुल फौज तुम्हें सौंप दूं और आप लॅडूरा बन बैतूं, आखिर में भी तो अपने को बहादुर और चालाक लगाता हू, किले के अन्दर ले जाने के लिये क्या पॉच हजार फौज थोडी है ? फिर मैं भी तो तुम्हारे साथ ही जसवन्त-क्या आप भी सुरग की राह किले में चलेंगे ? बालेसिह-नहीं तुम जाओ मैं बाहर का इन्तजाम करूँगा। अच्छा अब तुम अपनी फिक्र करो और और मैं भी नहाने धोने जाता है। जसवन्त वहाँ से उठ कर अपने खेमे में आया और कालिन्दी के पास बैठ कर बातचीत करने लगा----- कालिन्दी-कहिए बालेसिह से मि। आये? जसवन्त-हॉ मिल आया। कालिन्दी-मेरे आने का हाल भी उससे कहा होगा । जसवन्त-उसे पहिले ही खबर लग चुकी है बडा ही धूर्त है । कालिन्दी-बालेसिह के पास कुल कितनी फौज है और तुम्हारे मातहत में कितनी फौर- है ? जसवन्त-बालेसिह के पास बीस हजार फौज है, मगर मैं पॉच ही हजार का अफसर बनाया गया हू। कालिन्दी-बाकी फौज का अफसर कौन है? जसवन्त-कहने के लिये तो दो तीन आदमी हैं मगर असल में वह आप ही उसकी अफसरी करता है। कालिन्दी-पाँच हजार फौज भी अगर तुम्हें और दे देता तो बड़ा काम निकलता । जसवन्त-अगर ऐसा होता तो क्या बात थी दोनों राज का मालिक मैं बन बैठता एक बात और है, उसकी फौज में लुटेरे और डाकू बहुत है जिनको वह तनखाह नहीं देता हॉ लूट के माल का हिस्सा देता है इसी से तो उसने इतनी बडी फौज इकट्ठी कर ली है नहीं तो यह कोई राजा महराजा तो है नहीं खैर जो भी हो मगर मेरी यह पाँच हजार फौज मुझसे बहुत खुश कालिन्दी-खैर इस किले को फतह करके तेजगढ़ के राजा तो कहलाओ फिर बूझा जायगा। जसवन्त-बस इसी तेजगढ़ के फतह करने की देर है, फिर क्या बालेसिह की अमलदारी सीतलगद **मेरे हाथ से बच रहेगी। कालिन्दी-खैर देखा जायगा, मगर यालेसिह बड़ा ही चालाक है। जसवन्त-कुछ न पूर्णा उसके मन का हाल तो कभी मालूम ही नहीं होता अच्छा आज रात को मेरे साथ चल कर उस सुरग का दर्वाजा तो दिखा दो। कालिन्दी-बहुत अच्छा चलियेगा। इतने ही में बाहर किसी ने ताली बजाई। जसवन्त बाहर गया और अपने खास अरदली के एक सिपाही को देख कर पूछा 'क्या है? सिपाही सरकार ने अपने अरदली के जवानों को यहों पहरे के लिये भेज दिया है. अबाहम लोगों को क्या हुक्म होता है? -

  • अब बिहटा के नाम से मशहूर है, पटने से ग्यारह कोस पश्चिम है।
  • "अब गया जिले में सीतलगढ पडबी के नाम से प्रसिद्ध है।

देवकीनन्दन खत्री समग्र १०७२