पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/६६०

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आठवां बयान 1 . इस जगह हमें भूतनाथ के सपूत लडके तथा खुदगर्ज और मतलपी ऐयार नानक का हाल पुन लियना पड़ा। हम ऊपर के किसी बयान में लिख आये हैं कि जिस समय नानक अपने मित्र की ज्याफत में तन-मन और आधे शरीर से लौलीन हो रहा था उसी समय उस पर वज्रपात हुआ अर्थात एक नकाबपोश ने उसके बाप की टुंदशा का हाल बता कर उसे अध कूए में ढकेल दिया। लोग कहते है कि उसे अपने बाप की मुहब्बत कुछ भी न थी हा अपनी माँ को कुछ कुछ जरुर चाहता था जिस पर उसी नई नवेली दुलहिन ने उसे कुछ ऐसा मुट्ठी में कर लिया था कि उत्नी को सब कुछ तथा इष्टदेव समझे हुए था और उसकी उपासना से विमुय होना हराम समझता था। यद्यपि वह अपने बाप की कुछ परवाह नहीं रखता था और न उसको उत्तसे कुछ प्रेम ही था मगर वह अपने वाय से डरता उतना ही था जितना लम्पट लोग काल से डरते है। जिस समय वह लौट कर घर आया उसकी अनाखी स्त्री थकावट और सुस्ती क कारण चारपाई का सहारा ले चुकी थी। उसन नानक से पूछा 'कहो क्या मामला है ? तुम कहा गये थे ? नानक-(धीरे ) अपने नापाक चाप के आफत में फसने की खबर सुनने गया था। अच्छा होता जर्जा उसके मौत की यबर सुनने में आती और मैं सदैव के लिए निश्चिन्त हो जाता । स्त्री-(आश्चर्य से अपने प्यारे ससुर के बारे में एसी बात तो आज तक तुम्हारी जुबान से कभी सुनने में न आई थी। नानक क्योंकर सुनने में आती जब कि अपन इस सच्चे भाव को आज तक मत्र की तरह छिपाए हुए था? आज यकायक मेरे मुँह से ऐसी बात तुम्हारे सामने निकल गई इसके बाद फिर कभी कोई शब्द एसा मेरे मुँह से न निकलेगा जिससे कोई समझ जाय कि मै अपने बाप को नहीं चाहता। तुम्हें मै अपनी जान समझता हूँ और आशा है कि इस बात को जो यकायक मेरे मुह से निकल गई है तुम भी जान ही की तरह हिफाजत करागी जिसमें कोई सुनने न पाये। अगर काई सुन लेगा तो मेरी बडी खरायी होगी क्योंकि मैं अपने याप को यद्यपि मानता तो कुछ नहीं हु मगर उससे डरता बहन हू क्योंकि वह बड़ा ही शैतान और भयानक आदमी है। यदि वह जान जायेगा कि मैं उसके साथ खुदगर्जी का बताव करता हू तो वह मुझे जान ही से मार डालगा। स्त्री-नहीं नहीं मै एसी शत कभी किसी के सामन नहीं कह सकती जिससे तुम पर मुसीबत आय (हस कर) हा अगर तुम मुझे कभी रज करागे तो जरुर प्रकट कर दूंगी। नानक उस समय मै भी लोगों से कह दूंगा कि भरी स्त्री व्यभिचारिणी हो गई है मुझ पर तूफान जोडती है। भला दुनिया में कोई भी ऐसा आदमी हे जो अपन बाप को न चाहता हा ? यदि ऐसा होता तो क्या मै चुपचाप बैठा रह जाता मार नहीं मैं अपने बाप का छुड़ाने के लिए इसी वक्त जाऊँगा और इस उद्याग में अपनी जान तक लडा दूंगा। स्त्री- मन में ) ईश्वर करे तुम किसी तरह इस शहर से बाहर निकलो या किसी दूसरी दुनिया में चल जाओ (प्रकट ) जय वह फस ही चुका है तो चुपचाप बैठे रहा समय पड़ने पर कह देना कि मुझे खपर ही नहीं थी ! नानक-नहीं मैं ऐसा कापि हीं कह सकता क्योंकि गोपीकृष्ण ( नकाबपोश } जिससे इस बात की मुझे खयर पहुंची है बड़ा दुष्ट आदमी है समय पड़ने पर वह अवश्य कह देगा कि मैंने इस बात की इतिला नानक को दे दी थी। स्त्री-अच्छा तुम खुलासा कह लो आ कि क्या-क्या खबर सुनने में आई। नानक ने नकाबपाश की जुबानी जर कुछ सुना था अपनी प्यारी स्त्री से कहा। इसके बाद उसे बहुत कुछ समझा- बुझाकर सफर की पूरी तैयारी करके अपने बाप को छुड़ाने की फिक्र में वहॉ से रवाना हो गया । भूतनाथ के सी-साथी लोग मामूली न थे बाल्क बडही बदमाश लड़ाकू शैतान और फसादी लोग थे तथा चारों तरफ ऐसे ढग से घूमा करते थे कि समय ण्डने पर जा भूतनाय उन लोगों की खोज करता तो विशेष परिश्रम किए बिना ही उन स कोई न कोई मिल ही जाता था। इसके अतिरिक्त भूतनाथ ने अपने लिए कई अडडे भी मुकर्रर कर लिए थे जहाँ उसके सगी-साथियों में से कोई न काई अवश्य रहा करता या और उन अडडों में कई अडडे एसे थे जिनका ठिकाना नानक को मालूम था। ऐसा ही एक अडडा गयाजी से थोड़ी दूर पर बराबर को पहाडी के ऊपर था जहाँ अपने पाप का पता लगाता हुआ नानक जा पहुंचा। उस समय भूतनाथ के साथियों में से तीन आदमी वहाँ मौजूद थे। नानक ने उन लोगों से अपने बाप का हाल पूछा और जा का उन लोगों को मालूम था उन्होंने कहा। इतिफाक से देवकीनन्दन पत्री समग्र ६५२