पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/६७४

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नी यह नहीं जानता था कि आज दामोदरसिह इतने बदहवास हा रहे है और अपनी लडकी को किसी लाचारी से इसी समय विदा कर रहे है। थोड़ी देर बाद हम लाग बिदा कर दिये गये। मेरी गा राती हुई मुझे साथ लकर रथ में रवाना हुई जिसमें दो मजबूत घोड़े जुते हुए थे और इसी तरह के दूसरे रथ पर बहुत गा सामान लकर मेरे पिता राधार हुए और हम लोग वहा से रवाना हुए। हिफाजत के लिए कई हथियारवन्द भी हम लोगों को साथ थे। जमानिया से मेरे पिता का घर केवल तीरा-पैतीस कास की दूरी पर होगा। मित्तरम लाग धर से रवाना हुए. उस वक्त दो घण्टे रात बाकी थी और जिस समय हम घर पहुच उस समय पहर भर से भी ज्याद दिन बाकी था। मेरी मा तमाम रास्ते रोती गई और घर पहुंचने पर भी काई दिना कि उसका रोगादाआमरे पिता के रहन का स्थान बड़ा हो सुन्दर और रमणीक है मगर उसके अन्दर जाने का रास्ता बहुत ही गुप्त रा गया है। इस समय सन्दरान, इन्दव के मकान और रास्ते का थोडा सा हाल बयान किया और उसके बाद अपना किस्सा कहन लगी- इन्दिर-मेर रिलिस्म के दारोगा है और यागियुद भी वडे भारी एवार तथापि उनक यहाँ कई कर है। उन्होंने अपने दा ऐयारो को इसलिए जमानिया भेजा कि वे एक साथ मिलकर या अन्नग-अलग होकर दामादरसिह जी की बदहवासी और परेशानी का पता गुप्त रीति से लगायें और यह मालूम करें फि ब कौन से दुश्मनों की चालबाजियों के शिकार हो रहे है। इस बीच मरे पिता ने पुन मेरी माँ से कलमदा का हाल पूछा जो उसके पिता उसे दिया था और मेरी माँ ने उसका हाल साफ-साफ कह दिया अर्थात् जो कुछ उस करामदार के विषय में दामादरसिह जी ने नसीहत इत्यादि की थी वह साफ-साफ पा सुपाया। जिस दिन में अपनी मा के साथ पिता के घर गई उसके ठीक पन्द्रह दिन सध्या के समय मेरे पिता के एक एयार ने या खवर पहुंचाई कि जमानिया में प्रात काल सरकारी महल के पास वाल चौमुहार पर दामोदरसिहजी की लाश पाई गई जो लटू से भरी हुई थी और सर का पता न था। महाराज उसका अपायास उठवा मगाया औ तहकीकात हा रही है। इसयबर को सुनते ही मेरी मा जोर जार से रोने और अपना माया पीटने ली थोडी देर बाद मेर निहाल का भी एक दूत आ पहुंचा और उसको वही रावर सुई। पिताजी न मरी माँ का बहुत समझाया और कहा कि कमलदान देते समय तुम्हारे पिता ने तुमसे कहा था कि मेरे मरने के माद इस कलमदान को खोलना मगर मेरे भरने का अच्छी तरह निश्चय कर लेना। उनका ऐसा कहना बेसवरन था। भरने का निश्चय कर लना यह बात उन्होंने नि सन्देह इसीलिए कही होगी कि उनके मरो के विषय मे लोग हम सगो वो चाखा देंगे यह बात उन्हें अच्छी तरह मालूम थी, अस्तु तुम अभी से रो रो कर अपने को हलकान मत करो और पहिले मुझे जमानिया जाकर उनका भरने के विषय में निश्चय कर लेने दो। यह जसं ताज्जुब और शक की बात है कि उन्हें मार कर कोई उनका सर ले जायऔर धडउसी तरह रहने दे। इसके अतिरिक्त तुम्हारी मा का भी बन्दोवस्त करना चाहिए. कहीं ऐसा न हो कि वह किसी दूसरे ही की लाश के साथ सती हो जाये। मेरी मों जमानिया जाने की इच्छा प्रकट की पर तु पिता ने स्वीकार करके कहा कि यह भाउ तुम्हारे पिता को भी स्वीकार न थी नहीं तो अयी जिदगी ही में तुम्हें यहाँ विदा म देश इत्यादि बहुत कुछ समझा-बुझा कर उसे शान्त किया और स्वय उसी समय दो तीर एवारों को साथ लेकर जमानिया की तरफ रवा । गए। इतना कह कर इन्दिरा रुफ गई और एक तम्बो साँस लकर फिर बाली- इन्दिरा-उस समय मेरे पिता पर ा कुछ मुसीबत बीती यो उसका हाल उन्हीं की जुबानी सुना अच्छा मालूम होगा तथापि जो कुछ मुझे मालूम है मैं यया करती । मेरे पिता जब जमानिया पहुचे तो सीधे घर चले गए। पहों पर दया तो मेरी रानी को अपने पति की लाश के साथ सती होने की तैयारी करते पाया क्योंकि देखभाल करने के बाद राजा साहप ने उनकी लाश उनके घर भेजवा दी थी। मेर पिता ने मेरी जी को बहुत कुछ समझाया और कहा कि इस लाश के साथ तुम्हारा सती होना उचित नहीं है कान ठिकाना यह कार्रवाई धोरा के लिए की गई हो और यदि यह दूसरे की लाश निकली तो तुम स्वय विचार सकती हो कि तुम्हारा सती होना कितना पुरा होगा अस्तु तुम इसकी दाह-क्रिया होने दो और इस बीच में में इस मामले का असल पतालगा लूगा अगर यह लाश वास्तव में उन्हीं की होगी तो खूनी का या उनके सर का पता लगाना कोई कठिन न होगा, इत्यादि बहुत सी बातें समझा कर उनको सती होने से रोका और स्वय नियों का पता लगाने का उद्योग करने लग। आधी रात का समय था सदी खूब पड़ रही थी। लोग लेहाफ के अन्दर मुह छिपाये अपने अपने घरों में सो रहे थे। मेरे पिता सूरत बदले और चेहरे पर नकाब आल पूमते-फिरते उसी चौमुहा पर जा पहुच जहा मेरे गाना की लाश पाई गई थी। उस समय चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था ये एक दुकाा की आड मे राडे होकर कुछ सोच रहे थे कि दाहिनी देवकीनन्दन खत्री समग्र