पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/७२५

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ext कहा कि पढ़ने के लिए मै तुम्हारे सिहाने से चीटी उठाने लगा कितपत गई अब तुम खुद इसनीठा पढो तो मालूम हो कि क्या लिखा है। वलभदसिह लिफाफा उठा शमादान के पास चला गया और अपने हाथ से लिफाफा खोला। उसके अन्दर अगूठी थी जिस पर निगाह पडते ही वह चिल्ला उठा र विन ही अपनी चारपाई पर जाकर बैठ गया पांचवां बयान time कुमार की आज्ञानुसार इन्दिरा ने पुन अपना किस्सा कहना शुरू किया जघर इन्दिरा-चम्पा ने मुझे दिलासा देकर बहुत कुछ समझाया और मेरी मदद करने का वादा किया और यह भी कहा कि आज से तू अपना नाम बदल दे। मै तुझे अपने घर लें चलती हू मगर इस बात का खूब ध्यान रखियो कि यदि कोई तुझस तेरा नाम पूछे ता 'सरला बताइयो और यह सब हाल जो तूने मुझसे कहा है अब और किसी से बयान न कीजियो। मैने चम्पा की बात कबूल कर ली और वह मुझे अपने साथ युनारगढ ले गई। वहा पहुचने पर जब मुझे चम्पा की इज्जत और मर्तये का हाल मालूम हुआ तो मैं अपने दिल में बहुत खुश हुई और विश्वास हो गया कि वहा रहने में मुझे किसी तरह का डर नहीं है और इनकी मेहरबानी से अपने दुश्मनों से बदला ले सकूँगी। चम्पा ने मुझे हिफाजत और आराम से अपने यहा रक्खा और मेरा सच्चा हाल अपनी प्यारी सखी चपला के सिवाय और किसी से भी न कहा। नि सन्देह उसने मुझे अपनी लडकी के समान रक्खा और ऐयारी की विद्या भी दिल लगाकर सिखलान लगी मगर अफसोस किस्मत ने मुझे बहुत दिनों तक उसके पास रहने न दिया और थोडे ही जमाने के बाद (इन्द्रजीतसिह की तरफ इशारा करके) आपको गया की रानी माधवी ने धोखा देकर गिरफ्तार कर लिया। चम्पा और चपला आपकी खोज में निकली मुझे मी उनके साथ जाना पड़ा और उसी जमाने में मेरा और चम्पा का साथ छूटा। आनन्द-तुम्हें यह कैसे मालूम हुआ कि भैया को माधवी ने गिरफ्तार कराया था? इन्दिरा-माधवी क दो आदमियों को चम्पा और चपला ने अपने काबू में कर लिया। पहिले छिपकर उन दोनों की बाते सुनी जिससे विश्वास हो गया कि दोनों माधवी के नौकर है और कुअर साहब को गिरफ्तार कर लेने में दोनों शरीक थे मगर यह समझ में न आया कि जिसके ये लोग नौकर है वह माधवी कौन है और कुअर साहब को ले जाकर उसने कहा रक्खा है। लाचार चम्पा ने धोखा देकर उन लोगों को अपने काबू में किया और कुअर साहब का हाल उनसे पूछा । मैंने उन दानों क ऐसा जिद्दी आदमी कोई भी न देखा होगा। आपने स्वयम् देखा था कि चम्पा ने उस खोह में उसे कितना दुख दकर मारा मगर उस कम्बख्त ने ठीक-ठीक पता नहीं दिया। उस समय वहा चम्या का नौकर भी हबशी के रुप में काम कर रहा था आपको याद होगा। आनन्द-वह माधवी ही का आदमी था? इन्दिरा-जी हा और उसकी बातों का आपने दूसरा ही मतलब लगा लिया था। आनन्द-ठीक है अच्छा फिर उस दूसरे आदमी की क्या दशा हुई क्योंकि चम्पा ने तो दो आदमियों को पकडा था? इन्दिरा-वह दूसरा आदमी भी चम्पा के हाथ से उसी रोज उसके थोड़ी देर पहिले मारा गया था। आनन्द-हा ठीक है उसके थाडी देर पहिले चम्पाने एक और आदमी को मारा था। जकर यह वही होगा जिसके मुह से निकले हुए टूटे-फूटे शब्दों ने हमें धोखे में डाल दिया था। अच्छा उसके बाद क्या हुआ? तुम्हारा साथ उनसे कैसे छूटा 7 इन्दिरा-चम्पा और चपला जब वहा से जाने लगी तो ऐयारी का बहुत कुछ सामान और खाने पीने की चीजें उसी खोह में रखकर मुझसे कह गई कि जब तक हम दोनों या दोनों में से कोई एक लौटकर न आवे तब तक तू इसी जगह रहियो-इत्यादि मगर मुझे बहुत दिनों तक उन दोनों का इन्तजार करना पडा यहाँ तक कि जी ऊब गया और मैं ऐयारी का कुछ सामान लेकर उस खोह से बाहर निकली क्योंकि चम्पा की बदौलत मुझे कुछ-कुछ ऐयारी भी आ गई थी। जब मैं उस पहाड और जगल को पार करके मैदान में पहुंची तो सोचन लगी कि अब क्या करना चाहिए क्योंकि बहुत सी बधी हुई उम्मीदों का उस समय खून हो रहा था और अपनी मा की चिन्ता के कारण मैं बहुत ही दुखी हो रही थी। यकायक मेरी निगाह एक ऐसी चीज पर पड़ी जिसने मुझे चौका दिया और मै घबड़ा कर उस तरफ देखने लगी इन्दिरा और कुछ कहा ही चाहती थी कि यकायक जमीन के अन्दर से बडे जोर-शोर के साथ घडघडाहट की चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १६ ७१७