पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/७३८

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खिडकियो में से इन्दिरा इन्द्रदेव और राणा गापारामिह इस बाग की तरफ सायर किसी को दे रहे | और इस बाद जिस पर उनकी निगाह पडी वह जमान हा समताई हुई बचायी मार उस दाना जनार पहिचानतन जिस तरद कुअर इन्द्रनीतानह और उनक वन से आनन्दसिह न राजा गापालसिंह, ददर इन्दिरा को देखा उसी तरह उन तीनों ने भी दोना कुमारों का दवा और दूर ही से समय सलामत की। इन्दिरा ने मथ जाडकर और गाने पिता की तरफ बताकर कुपार न प ही वापरणां की बदौलत गु अपने पिता का दर्शन हुए? दसवां बयान अब हम अपन पाठक का फिर उसी सफर में ले जाति है जिसमें नुनार जान वाले राजा वीरे दसिह का लर पडा हुआ है। पाटको का याद हागा कि कम्वन्ज भनारमा न तिलिस्गे खजर स किशाकामिनी और कमला का सिर काट डाला और खुशी भरी आवाज में कुछ कह रही थी कि पीपी तरफ से आदाज आई नहीं नहीं, ऐसा नहुआरन होगा . अपाजदने वाला भैरासिह या जिसमपारम् खाज निकालन का काम सुपुर्द किया गया था। वह मनारमा की खोज में लवकर तगाता और टाह लता हुआ उसी 7 जा पहुधा सा मगर उसे इस बात का पडा ही अफसान था कि उन तीनों का सर कटवान के बाद वह खेम के अन्दर हया। हमारे ऐयार की आवाज सुनकर मनारमा चगेकी और उसो घूम कर पीछे की तरफादसा ता हाय में चार लिए हुए मेरोमिह पर निगाह पडी। यद्यपि भेरासि पर नजर पड़ा ही यह जिन्दगी से नाउम्मीद ही गई मगर जिर भी उसने तिलिस्मी खजर का वार भेरासिंह पर किया भैरोसिंह पलिहीसे हाशिया था और उसपस भी तिलिस्मी खजर नोजूद था अस्तु उसन अपने खजर पर इस टग से मनोरमा के यजर कावार राक किमोरमा की कलाई मरासिंह के खजर पर पड़ी और वह कर कर लिव- सर सहित दूर जा गिरी। भैरमिह ने इतोही पर सत्र न करके उसी खबर स मनोरमा की एक टाग काट डाली और इसके बाद जार स चिल्ला कर पार वार्ता को आवाज दी रहर वाले तो पहिल की सबाग बहुए थे मगर भैरोसिडको आवाज न लाजियों का डाशियार कर दिया और बात की बात में बहुत सी लोडिया उस खे, क अन्दर ग पडुनी जा वहा की अवस्था देखकर जास्-जोर से रान और चिल्लाने 1 लगी। थोड़ी देर में उस खेमे के उदर और बाहर भीड लग गई। जिधर दखिए उपर मशाल जल रही है और आदी घर आदमी टूटा पड़ता है। राजा बीरेन्द्रसिद्ध और तेजसिह भी उस खेम में गये और महा की अवस्था देखकर अफसास करने लगे। तेजसिह ने हुक्म दिया कि नीना लाशे उनी सगइ ज्यों का त्यों रहने दी जाय और मनारमा (जो कि चहा इल जाने के कारण पहिचानी जा चुकी थी ) महा स उठवा कर दूसरे खेमे में पहुवाई जाय उसके जख्म पर पट्टी लगाई जाय और उस पर सख्त पहरा रहे ! इसके बाद भैरोसिंह और तेजमिह का साश लिए हुए राजा वीरेन्द्रसिंह अपन खेमे में आये और बातचीत करने लगे। उस समय खम के अन्दर सिवाय इन तीनों के और काई भी न धा। भैरोसिंह ने अपना हाल नयान किया और कहा 'मुहा इस बात का बडा दुआ है कि किशारी,कामिग और कमला का सर फट जाने के बाद मे उस खेमे के अन्दर पहुंचा। तेज- अकोस की कोई बात नहीं है, ईश्वर की कृपा से हम लोगों को यह बात पहिले ही मालूम हो गई थी कि मनोरमा हमारे लश्कर के साथ है। भैरो--अगर यह बात मालूम हो गई थी तो आपने इसका इन्तजाम क्यों नहीं किया और इन तीनों की तरफ से बेफिक्र क्यों रह। तेज-हम लोग बफिक्र नहीं रहे बल्कि जो कुछ इन्तजाम करना वाजिब था किया गया। तुम यह सुन कर ताज्जुष करागे कि किशोरी,कागिनी और कमला नरी नहीं बल्कि ईश्वर की कृपा से जीती है और लोडी की सूरत में हर दम पास देवकीनन्दन खत्री समग्र