पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/७३९

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GY रहन पर भी मनोरमा ने घाखा खाया। भैरो-मनोरमा ने धोसा खाया और वे तीनों जीती है? तज-हा ऐसा ही है। इसका खुलासा हाल हम तुमसे कहते है गगर पहिले यह बताओ कि तुमने मनोरमा को कैम पहिचाना? हम तो कई दिनों से पहिचानने की फिक्र में लगे हुए थे मगर पहिचान न सक क्याके मनोरमा के कग में तिलिस्मी खजर का हाना हमें मालूम था और हम हर लोडी की उगलियों पर तिलिस्मी खजर के जोड की अगूढी देखने की नीयत से निगाह रखते थे। नैरो-मै उसका पता लगाता हुआ इसी लरकर में आ पहुंचा था। उस समय टोह लता हुआ जब में किशारी के खमे क पास पहुचा तो पहरे के सिपाही का बहोश और खेम का पर्दा इटा हुआ देख मुझे किसी दुश्मन के अन्दर जाने का गुमान हुआ और मैं भी उसी राह से खेमे अन्दर चला गया। जय दहा की अवन्या दखी और उसके मुंह से निकली हुई बाते सुनी तद शक हुआ कि यह मनारमा है मगर निश्चय तव ही हुआ जय उसका चेहरा साफ किया गया और अपन भी पहिचान। अब आप कृपा कर यह बताइए कि किशारी कामिनी और कमला क्योंकर जीती बची और जो तीनों मारी ईद कौन थी। तेजसिंह हमें इस बात का पता लग चुका था के भेष बदल हुए मनोरमा हमार लश्कर के साथ है मगर जैसा कि सुमते कह चुका है उोग करने पर भी हम बसे पहिचान न सके। एक दिन हम और राजा साहब सध्या काय दहलत हुए चोमे से दूर चल गये और एक छाटे टीले पर चढ़कर अस्त होते सूर्य की शोभा दरन लगे । उससनय जिन्न का भेजा हुआ एक सवार हमारे पास आया और उसने एक चीती राजा साहब ने हाथ में दी, राजा साहाने चीठी पडकर मुझे दिया । उसमें लिखा हुआ था- मुझे इस बात का पूरा पूरा पता लग चुका है कि कई नहायकों को साथ लिए और भेष बदले हुए भनारमा आपके लश्कर में नौजूद है और उसके अतिरिक्त और भी कई दुष्ट किशोरी और कामिनी के साथ दुश्मनी किया चाहते है। इसलिए मेरी राय है कि बचाव तया दुश्मनों को धोखा दने कोलए किशारी,कामिनी और कमला को कुछ दिन तक छिपा दना चाहिए और उनकी जगह सूरत बदल कर दूसरी लौड़ियों को रख देना चाहिए। इस काम के लिए भेरा एक तिलिस्मी मकान जो आपक रास्ते में ही कुछ दूर हट कर पडेगा मुनासिब है, और मैन इस काम के लिए वहा पूरा इन्तजाम भी कर दिया है। लौडिया भी सूरत बदलने और खिदमत करन के लिए भेज दी है क्योंकि आपकी लौडियों की सूरत बदलना ठीक न होगा और लश्कर में लौडियों की कमी स लोगों को शक हो जायगा। अस्तु आप बहुत जल्द इन्तजाम करके उन तीनों को वहा पहुचाइए मैं भी इन्तजाम करने के लिये पहिले ही से उस मकान में जाता है- इत्यादि इसके बाद उत्त मकान का पूरा-पूर पता लिख कर अपना दस्तखत एक निशान के साथ कर दिया था जिसमें हम लोगों को चीठी लिखने वाले पर किसी तरह ज शक न हो और उस मकान के अन्दर जाने की तीव भी लिख दी थी। कृष्णाजिन्न की राय को राजा साहब न स्वीकार किया और पत्र का उत्तर देकर वह सवार विदा कर दिया गया। रात के समय किशोरी,कामिनी और कमला का ये बातें समझा दी गई और उन्होंने उसी दुष्ट ननोरमा की जुबानी दोपहर के बाद यह कहला भेजा कि हमने सुना है कि यहा से थाडी ही दूर पर कोई तिलिस्मी मकान है यदि आप चाहें तो हम लोग उस मकान की सैर कर सकती है इत्यादि। मतलब यह कि इसी बहाने से भै खुद उन तीनों को रथ पर सवार करा के उस मकान में ले गया और कृष्णाजिन्न को वहा मौजूद पाया। उसने अपने हाथ से अपनी तीन लाडियों को किशोरी, कामिनी और कमला बना हमारे रथ पर सवार कराया और हम उन्हें लकर इस लश्कर में लौट आये। तुम जानते ही हो कि कृष्णाजिन्न कितना बडा बुद्धिमान और होशियार तथा हम लोगों का दोरत आदमी है। भैरो-यशफ. उनकी हिफाजत में किशोरी, कामिनी और कानला का किसी तरह की तकलीफ नहीं हा सकनी और यह आपने बड़ी खुशी की बात सुनाई मगर मै समझता हूँ कि इन भेदों को अभी आप गुप्त रक्खेंग और यह बात जाहिरन होने देंगे कि ये तीनो जो मारी गई है वास्तव में किशोरी कामिनी और कमला न थी। तेज -नहीं, नहीं, अभी इस भेद का खुलना उचित नहीं है। सभों को यही मालूम रहना चाहिए कि वास्तव में किशारी कामिनी और कमला मारी गई । अच्छा सच -चार बातें तुम्हें और कहनी है वह भी सुन लो। तेज-कृष्णाजिन्नता कामकाजी आदमी ठहरा और वह एस्ऐसे बखेड़ों में फसा है कि उसे दम मारने की फुर्सत नहीं। भैरो-नि सन्देह ऐलाही है। इतना काम जो रह करते हैं सा भी उन्ही की बुद्धिमानी का नतीजा है. दूसरा नहीं कर सकता। चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १६