पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/८१२

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e अपनी जान बचाव। उन्हें अपने झुण्ड म मायारानी का आ जाना बहुत ही बुरा मालूम हुआ और उन्होंन बडी येमुरोवती के 'साथ मायारानी से कहा तुम्हारी ही बदौलत हम लोगों की यह दशा हुई और हमार मालिकों पर भी आफत आई अस्तु अब तुम हमारी मण्डली से चली जाआ नहीं तो हमलोग जूते से तुम्हारे सर की खबर लेंगे तुम्हारे चल जाने के बाद हम लोगो पर जो कुछ बीतेगी सह लेंग।" अफसोस अपनी करतूतों के कारण आज मायारानी इस दशा को पहुँच गई कि अदन सिपाहियों की झिडकी सहे और जूतिया खाय । सिपाहियों को यात जब मायारानी ने न मानी तो कई सिपाहियों ने जूतियों से उसकी खबर ली, और उसी समय ऊपर से किसी के पुकाग्ने की आवाज आई। जिस जगह य सिपाही लोग थे उसमे थोड़ी ही दूर पर एक युज था। इस समय उसी बुर्ज पर चढ हुए राजा गोपालसिह को उन सिपाहियों ने देखा और मालूम किया कि यह आवाज उन्हीं न दी थी। गोपालसिह की कैफियत देखकर सिपाहियों का कलेजा पहिले ही दहाल चुकाया अस्तु अब इस बात का हौसला नहीं कर सकते थे कि उनका मुकाबला करें। उन्हें देखने के साथ ही उस फोन का अफसर हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया और बोला आज्ञा गापालसिह ने कहा, हम यूब जानत है कि तुम लोग बेकसूर हो और जो कुछ कसूर है वह तुम्हारे मालिकों का है. सो तुमने दख ही लिया कि व अपनी सजा को पहुँच गये अव वजीत नहीं है जो तुमसे आकर मिलंग अस्तु अब तुम लोगों को हुक्म दिया जाता है कि तुम लोगअपनी-अपनी जान बचा कर यहां से निकल जाओ! यार तुम्हारी इच्छा हो ता तुम्हार जाने के लिए दर्याजा चाल दिया जाय और तुम लोग बाग से बाहर कर जमा इच्छा हो वले जाओ। यदि नुम लोग चाहोग और नकचलनी का पादा कराग तो हमारी फौज में तुम लोमा का जगह भी मिल जायगी। फौजी अफसर-(हाथ जोडे हुए } आप स्वयं राजा है और जानते है कि सिपाही लागताख्वाह के वास्ते लड़ते है। जा राज्य या जमीन के वास्ते लड़ और सिपाहियों को तनख्वाह द, कसूर उसी का रामइग जाता है। हमार मालिक नादान थ आपके प्रताप का खयाल न करक मायारानी की बातों में आकर नष्ट हो गये अब हम लोग आपक आधीन है और चाहते है कि हम लोगों को इस कैद से छुटकारा ही नहीं गल्कि आपक सरकार में नौकरी भी मिले इस समय हम लाग अपने को आप ही का ताबेदार समझत है। गोपाल-अच्छा तो जसा चारत हो वैसा ही होगा। इस समय स तुम्हें अपना नौकर सांझ के हुक्म दिया जाता है कि मायारानी जो तुम लागों के बीच में बली आई है जूतिया लगा कर अलग कर दी जाय और तुम लोग (हाथ का इशारा करके उस तरफ की दीवार के पास चले जाओ। वहा तुम्हें एक छोटा सा दर्वाजा खुला हुआ दियाइदगा बस उसी राइ से तुम लोग बाहर चले जाया और किसी ठिकान मैदान में डेरा जमाना। हमारा रानदीवान स्वयम् तुम्हारे पास पहुँचकर सब इनाजाम कर देगा। मगर खवरदार इस बात का खूब ययाल रखना कि मायारानी तुम लोगों के साथ बाहर न जाने पावे और तुम लोगों में से एक आदमी भी उसका साथ न दे। फौजी अफसर-जो हुपम। मायारानी यइज्जत हा ही चुकीथी मगर फिर भी दूर खड़ी यह सब कार्रवाई देख और बातें सुन रही थी। उसे इन सिपाहियों की नमकहरामी पर बड़ा क्रोध आया और वह वहाँ से भाग कर पश्चिम की तरफ वाले दालान में चली गई तथा एक कोटरी के अन्दर घुस कर गायब हो गई। शायद इस कोठरी में कोई तहखाना या रास्ता था जिसका हाल उसे मालूम था। उसी राह से होकर वह मकान की दूसरी मजिल पर चली गई और उसी जगह से छिप कर तिलिस्मी तमचे की गाली उन फौजी सिपाहियों पर चलाने लगी जो राजा गोपालसिह की आज्ञानुसार दर्वाजे की तरफ जा रहे थे। इन गोलियां की तासीर का हाल हम पहिले कई जगह लिख आय है और बता आए है कि इन गोलियों में से निकला हुआ घूआ आला दर्जे की यहोशी का असर बात की बात में पैदा करता था अस्तु बेचारे सिपाहियों को दर्वाज तक पहुँचने की भी माहलत न मिली और तीन ही चार गोलियों में से निकले Jए ने उन सभों को बेहोश करके जमीन पर लिटा दिया। अपनी इस कार्रवाई को देख कर मायारानी बहुत प्रसन्न मगर उसकी प्रसन्नता ज्यादा देर तक कायम नरही क्योंकि उसी समय उसने राजा गोपालसिह का उन सिपाहियों की तरफ जाते देखा। वह ताज्जुब में आकर उसी जगह खडी देखने लगी कि अब क्या होता है। उसने दया कि राजा गोपालसिह ने उन सिपाहियों के मध्य में पहुँचकर एक गोला जमीन पर पटका जो गिरते ही भारी आवाज के साथ फट गया और उसमें से इतना ज्यादा धूओं निकला कि उसने क्रमश फैल कर हर तरफ से उन सिपाहियों को घेर लिया और फिर हलका होकर आसमान की तरफ उठ गया। उस यूए की तासीर से सय मिपाहियों की बेहोशी जाती रही और वे लोग उठ कर ताज्जुब के साथ एक दूसरे का मुंह दखने लगे। सिपाहियों के अफसर ने अपने पास राजा गोपालसिह को मौजूद पाया और निगाह पडते ही हाथ जोड़ कर बोला आपने तो हम लागों को बाहर चले जाने की आज्ञा दे दी थी, फिर हम लोग बेहोश क्योंकर दिए गये।" देवकीनन्दन खत्री समग्र 50%