पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/८३२

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art लाडिली-उसे मालूम हो चुका है कि उसकी रामभोली को मरे मुददत हो गई। आनन्द-खैर उसकी तस्वीर खोजने आया होगा ! लाहिली या किसी की बारात में आया होगा । लाडिली की इस आखिरी बात ने सभी को हसा दिया और आनन्दसिह शर्मा कर चुप हो रहे । इन्द-(कमलिनी से ) इस बात का कुछ पता न लगा कि अग्निदत्त को किसने मारा था । (किशोरी से) शायद इसका जवाब तुम दे सकती हो? किशोरी-अग्निदत्त को मायारानी के ऐयारों ने मारा था और उन्हीं लोगों ने मुझे ले जाकर उस तिलिस्मी खण्डहर में कैद किया था। भैरो-(कमलिनी से) हा खूष याद आया. हमने सुना था कि उस समय जब हम लोग शाहदरवाजा बन्द हो जाने के कारण दुखी हो रहे थे तब आपने ही विचित्र ढग से वहा पहुचकर हम लोगों की सहायता की थी। आपको इन बातों की खबर कैसे मिली थी? * * कम (लक्ष्मीदेवी की तरफ इशारा करके) उन दिनों ये ऐयारी कर रही थीं और उन्होंने ही उन बातों की खबर पहुचाई थी तथा यह भी कहा था कि खण्डहर वाली यावली साफ हो गई है । उस मादली में पहुचने का रास्ता उसी योगिराज की समाधि के पास ही से है। अगर वह बावली खुदकर साफ न हो गई होती तो मैं शाहदर्वाजा खोल न सकती क्योंकि ऊपर की तरफ से खण्डहर के अन्दर पहुचना कठिन हो रहा था और भीतर मायारानी के आदमी उस तहखाने में जा पहुचे थे। वह भी वडा कठिन समय था। कमला-उसी समय राजा शिवदत्त भी वहाँ आकर कम-हा, उस समय भी भूतनाथ ने बडी मदद दी रुहा बन कर अगर वह राजा शिवदत्त को पकड न लिए होता तो गजब ही हो जाता *** भैरो-मै तो कुमार की जिन्दगी से बिल्कुल ही नाउम्मीद हो गया था। कम-(कुमार से ) हा यह तो बताइये कि आप वहा किस तरह पहुचाये गये थे इसमें कोई शक नहीं कि आपको मायारानी के आदमियों ने गिरफ्तार किया था मगर इस बात का पता अभी तक न लगा कि उस मकान के अन्दर आप तथा दवीसिह वगैरह ने क्या देखा कि हसते-हसते उसके अन्दर कूद गये। और कूदने के बाद फिर क्या हुआ इन्द्र-कूद पड़ने के बाद फिर मुझे तनोबदन की सुध न रहीं और यही हाल उन सभों का भी हुआ जो मेरे पहिले उसके अन्दर कूद चुके थे मगर यह अभी न बताऊगा कि उसके अन्दर कौन सी हसाने वाली चीज थी। कम-यही बात हम लोगों ने जब देवीसिह से पूछी तो उन्होंने भी इनकार करके कहा था कि माफ कीजिए उस विषय में तब-तक कुछ न कहूगा जब तक इन्द्रजीतसिह मेरे सामने मौजूद न होंगे क्योंकि उन्होंने इस बात को छिपाने के लिए मुझे सख्त ताकीद कर दी है*** ताज्जुब है कि आपने अपने साथियों को भी इस तरह की ताकीद कर दी और आज स्वय भी उसके बताने से इनकार करते हैं। इन्द्र-उसमें कोई ऐसी बात नहीं थी जिसके बताने से मुझें परहेज हो मगर मैं चाहता हूं कि वही तमाशा तुम लोगों को तथा और अपने सभों को दिखा कर बताऊ कि उस मकान के अन्दर बस यही था नि सन्देह तुम लोगों की भी वही दशा होगी। कम तो आज ही वह तमाशा क्यों नहीं दिखाते? इन्द्र-आज वह तमाशा मैं नहीं दिखा सकता हा भाई साहब (गोपालसिह) अगर चाहें तो दिखा सकते हैं मगर इसके लिए जल्दी ही क्या है ? लक्ष्मी-खेर जाने दीजिये आखिर एक न एक दिन मालूम हो ही जायगा। अच्छा यह बताइये कि आप जब इस तिलिस्म में या इसके बगल वाले याग में आये थे तो उस बुड्ढे तिलिस्मी दारोगा से मुलाकात हुई थी या नहीं ? थी बडा ही शैतान है क्या तुम लोगों से वह नहीं मिला? लक्ष्मी-भला वह कभी बिना मिले रह सकता है? उसने हम लोगों को भी धोखे में डालना चाहा था मगर तुम्हारे ? 1

  • देखिये पाचवा भाग चौथा बयान ।'
    • देखिये छठवा भाग पहिला बयान ।
    • देखिए छठवा भाग, दूसरा बयान ।

देखिए छठवा भाग चौथा ययान ।

  • "*देखिए दसवा भाग तीसरा बयान।

देवकीनन्दन स्त्री समग्र ८२४