पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/८४९

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रहे है। किशोरी के नाना रणधीरसिह और किशोरी कामिनोवगैरह को लिए हुए राजा गोपालसिह भी आ गए है और इन लोगों के साथ कुछ फौजी सिपाही भी आ पहुंचे हैं जो कायदे के साथ रावटियों में डरा डाले हुए हैं। किशोरी इत्यादि महल में पहुंचा दी गई है जिसके सबव से अन्दर तरह-तरहकी खुशियों मनाई जा रही हैं। राजा गोपालसिह का डेरा भी तिलिस्मी इमारत के अन्दर ही पड़ा है। राजा बीरेन्द्रसिह ने उनक लिए अपने कमरे के पास ही एक सुन्दर और सजा हुआ कनरा मुकर्रर कर दिण है और उनके ( गोपालसिह के साथी लाग इमारत के बाहर वाले खेमों में उतरे हुए है। इसी तरह रणधीरसिह का भी डेरा इमारत के बाहर उन्हीं के भेजे हुए खेमे में पड़ा है और वे यहाँ पहुच कर राजा सुरेन्द्रसिह और बीरेन्द्रसिह तथा और लोगों से मुलाकात करने के बाद किशोरी और कमला से मिल कर खुश हो चुके है और साथ ही इसके भूतनाथ की नजर भी कबूल कर चुके हैं जिसकी उम्मीद भूतनाथ को कुछ भी न थी। इसी तरह राजा वीरेन्द्रसिह के बचे हुए ऐयार लोग भी जो यहा मौजूद न थे अब आ गए है, यहा तक कि रोहतासगढर्स ज्योतिषीजी का डेरा भी आ गया है और वे भी तिलिस्मी इमारत के बाहर एक खेमे में टिके हुए है। इनके अतिरिक्त कई बड़े-बड रईस जमीदार और महाजन लोग भी गया रोहतासगढ जमानिया और चुनार वगैरह से राजा बीरेन्द्रसिह को नजर और मुबारकबाद देने की नीयत से आये हुए हैं जिनके सबब से यहाँखूब अमन-चमन हो रहाहैऔर सा को यह भी विश्वास है कि कुँअर इन्द्रजीतसिह और आनन्दसिह भी तिलिस्म फतह करते हुए शीघ्र आना चाहते हैं और उनके आने के साथ ही व्याह शादी के जलसे शुरू जायगे। साथ ही इसके भूतनाथ वगैरह के मुकदमे से भी समों को दिलचस्पी हो रही है यहा तक कि बहुत से लोग केवल इसी कैफियत को देखने-सुनने की नीयत से आए तिलिस्मी इमारत के बाहर एक छोटा सा बाजार लग गया है जिसमें जरूरी चीजें तथा खाने का कच्चा गल्ला तथा सब तरह का सामान मेहमानों के लिए मौजूद है और राजा साहब की आज्ञा है कि जिसको जिस चोज की ज़रूरत हो दी जाय और उसकी कीमत किसी से भी न ली जाय। इस काम की निगरानी के लिए कई नेक और ईमानदार मुन्शी मुकर्रर है जो अपना कान बड़ी खूबी और नेकनीयती के साथ कर रहे है। यह बात तो हुई है मगर लोगों को आश्चर्य के साथ उस समय और भी आनन्द मिलता है जब एक बहुत बड़े खेमे या पन्डाल के अन्दर कुँअर इन्द्रजीतसिह और आनन्दसिह की शादी का सामान इकटठा होते देखते है। कैदियों को किसी खेमे में जगह नहीं मिली है बल्कि वे सब तिलिस्मी इमारत के अन्दर एक ऐसे स्थान में रक्ख गये हैजा उन्हीं के योग्य है, मगर भूतनाथ विल्कुल आजाद है और आश्चर्य के साथ लोगों की उगलियाँ उठवाता हुआ इस समय चारों तरफ घूम रहा है ओर महमानों की खातिरदारी का खयाल भी करता रहता है। राजा साहब की आज्ञानुसार तिलिस्मी इमारत के अन्दर पहिले खत्र्ड में एक बहुत बडा दालान उस आलीशान दर्बार के लिए सजाया जा रहा है जिसमें पहिले तो भूतनाथ तथा अन्य कैदियों का मुकद्दमा फैसला किया जायगा और बाद में दोनों कुमारों के व्याह की महफिल का आनन्द लागों को मिलगा और इसे लोग 'दर्बार -आम के नाम से सम्बोधन करते हैं। इसके अतिरिक्त दबीर- खास के नाम से दूसरी मजिल पर एक और कमरा सज कर तैयार हुआ है जिसमें नित्य पहर दिन चढे तक दर्यार हुआ करेगा और उसमें खास-खासतथा ऐयारी पेशे वाले लोग बैठ कर जरूरी कामों पर विचार किया करेंगे। इस समय हम अपने पाठकों को भी इसी दारे खास में ले चल कर बैठाते है। एक ऊँची गद्दी पर महाराज सुरेन्दसिह और उनक बाईतरफ राजा बीरेन्दसिह वैठे हुए है। सुरेन्द्रसिह के दाहिने तरफ जीतसिह और वीरेन्द्रसिह के बाईं तरफ तेजसिह बैठे हैं और उनके बगल में क्रमश देवीसिह पन्डित बद्रीनाथ रामनारायण जगन्नाथ ज्योतिषी पन्नालाल और भूतनाथ वगैरह दिखाई दे रहे हैं और भूतनाथ के बगल में चुन्नी लाल हाथ में नगी तलवार लिए हुए खड़े है। उधर जीतसिह के बगल में राजा गोपालसिह और फिर क्रमश बलमद्रसिह इन्द्रदेव भैरोसिह वगैरह बैठे है और उनके बगल में नाहरसिह नगी तलवार लिए खडा है और इस बात पर विचार हो रहा है कि कैदियों का मुकदमा कब से शुरू किया जाय तथा उस सम्बन्ध में किन-किन बातों या चीजों की जरूरत है। इसी समय चोवदार ने आकर अदब से अर्ज किया- 'महल के दाजे पर एक नकाबपोश हाजिर हुआ है जो पूछने - पर अपना परिचय नहीं देता परन्तु दर में हाजिर हाने की आज्ञा मांगता है। इस खबर को सुन कर तेजसिह ने राजा साहब की तरफ देखा और इशारा पाकर उस सवार को हाजिर करने के लिए चोवदार को हुक्म दिया। वह नौजवान नकाबपोश सवार जो सिपाहियाना ठाठ के बेशकीमत कपडों से अपने को सजाए हुए था हाजिर होने की आज्ञा पा कर घोडे स उतर पड़ा। अपना नेज जमीन में गाड और उसी के सहारे घोडे की लगाम अटकाकर वह इमारत के अन्दर गया और चोवदार के साथ घूमता फिरता दवरि-खास में हाजिर हुआ।महाराज सुरेन्द्रसिह धीरेन्द्रसिह चन्द्रकान्ता सन्तति भाग १५ ८४१