पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/८५४

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नकाबपोश की बात सुनकर राजा गोपालसिह ने मुस्कुरा दिया और भूतनाथ की दी हुई चीजें उसके सामने रख कर कहा अच्छी बात है यदि आप मुझसे ज्यादा जानते हैं तो आप ही इस गुत्थी को साफ करें। नकाबपोश-अच्छा होता यदि इन चीजों को पहिले बड़े महाराज और जीतसिह भी देख लेते । गोपाल-मैं भी यही चाहता हूं। इतना कहकर राजा गोपालसिह ने उन चीजों को हाथ में उठा लिया और तेजसिह की तरफ देखा। तेजसिह का इशारा पाकर देवीसिंह राजा गोपालसिह के पास गए और वे चीजे ले कर जीतसिह के हाथ में दे आए। महाराज सुरेन्दसिह जीतसिह राजा वीरेन्द्रसिह और तारासिह ने भी उन चीजों को अच्छी तरह देखा और इसके बाद महाराज की आज्ञानुसार जीतसिह ने कहा महाराज हुक्म देते हैं कि आज की कार्रवाई यहीं खतम की जाय और इसके बाद की कार्रवाई कल दर्बारे-आम में हो और इन पुर्जे का मतलब भी कल ही के दार में नकाबपोश साहय बयान करें। इस बात को सभों ने पसन्द किया खास करके दोनोंनकाबपोश और भूतनाथ की भी यही इच्छा थी अस्तु दर्वार बर्खास्त हुआ और कल के लिए दर्बार-आम की मुनादी की गई। बारहवां बयान आज के दर्बारे-आम की बैठक भी उसी ढग की है जैसा कि हम दर्वारे-खास के बारे में बयान कर चुके है अगर फर्क है तो सिर्फ इतना ही कि दारे-खास में बेठने वाले लोगों के बाद उन रईसों अमीरों और अफसरों तथा ऐयारों को दर्जे वदर्जे जगह मिली हैं जो आज के दर्बारे में शरीक हुए हैं और आदमी भी बहुत ज्यादे इकट्ठे हुए है मगर आवाज के खयाल से पूरा-पूरा सन्नाटा छाया हुआ है। गुलशोर की तो दूर रहे किसी की मजाल नहीं कि बिना मर्जी के चुटकी भी बजा सके। इसके अतिरिक्त नगी तलवार लिए रुआबदार फौजी सिपाहियों के पहरे का इन्तजाम भी बहुत ही मुनासिव और खूबसूरती के साथ किया गया है और बाहर के आए हुए मेहमान भी बड़ी दिलचस्पी के साथ बलमद्रसिह और भूतनाथ का मुकद्दमा सुनने के लिए तैयार है। नकटा दारोगा जैपाल, बेगम नौरतन और जमालो के हाजिर होने बाद तेजसिह ने कल के दर्बार में भूतनाथ की पेश की हुई चीठियाँ अगूठी और छोटी किताब राजा गोपालसिह को दे दी और राजा गोपालसिह ने इस ख्याल से कि कल के और परसों के मामले से भी सभी को आगाही हो जानी चाहिए जो कुछ पिछले दो दिन के दार-खास में हुआ था रणधीरसिह की तरफ देखकर बयान किया और इसके बाद कहा ' आज भी वे दोनों नकाबपोश इस दार में हाजिर हैं जिन्हें हम लोग ताज्जुब की निगाहों से देख रहे है और नहीं जानते कि कौन है कहां के रहने वाल है या इन मामलों से इन्हें क्या सम्बन्ध है जिसके लिए इन दोनों ने यहाँ आने और मुकद्दमें में शरीक होने का कष्ट स्वीकार किया है। फिर भी जब तक ये दोनों अपने को प्रकट न करें हम लोगों को इनका हाल जानने के लिए उद्योग न करना चाहिए और देखना चाहिए कि इनकी कार्रवाइयों और बालों का असर कम्बख्त मुजरिमों पर कैसा पडता है।' यह कहकर गोपालसिह ने वह अंगूठी चीठिया और छोटी किताब नकाबपोश के आगे रख दी। इस दर्वार-आम वाले मकान में भी ऐसी जगह बनी हुई थी जहा से रानी चन्द्रकान्ता ओर किशोरी कामिनी लक्ष्मीदेवी,कमलिनी वर्गरह भी यहाँ की केफियत देख सुन सकती थी इसलिए समझ रखना चाहिए कि वे सब भी दर्वार के मामले को देख सुन रही हैं। उन दोनों में से एक नकाबपोश ने भूतनाथ के पेश किए हुए कागजों में से एक कागज उठा लिया और खडे होकर इस तरह कहना शुरू किया - नि सन्देह आप लोग हम दोनों को ताज्जुब की निगाह से देखते होंगे और यह भी जानने की इच्छा रखते होंगे कि हम लोग कौन और कहाँ के रहने वाले है इस समय इस बारे में हम इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते कि हमलोग ईश्वर के दूत है और इन दुष्टों के अच्छे बुरे कर्मों को अच्छी तरह जानते हैं। यह जेपाल अर्थात् नकली बलभद्रसिह चाहता है कि अपने साथ भूतनाथ को भी ले डूबे मगर इसे समझ रखना चाहिए कि भूतनाथ हजार बुरा होने पर भी इज्जत ओर कदर की निगाह से देखे जाने के लायक है। अगर भूतनाथ न होता तो यह जैपाल इस समय असली बलभद्रसिह बन कर न मालूम और भी कैसे-कैस अनर्थ करता और असली बलभद्रसिह की जान न जाने किस तकलीफ के साथ निकलती अगर भूतनाथ न होता तो आज का यह आलीशान दार भी हम लोगों के लिए न हाता और राजा गोपालसिह भी इस . देवकीनन्दन खत्री समग्रे