पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/८५६

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er गोपालसिह इन्द्रदेव और भूतनाथ वगैरह ने भी इसे देखा मगर पहिचाना किसी ने भी नहीं, क्योंकि इन लोगों में से किसी ने भी आज के पहिले इसे देखा न था। इसके अतिरिक्त पहिले दिन दर्यार में नकाबपोश की जो सूरत दिखाई दी थी उसमें और आज की सुरत मेंजमीन-आसमान का फर्फ था। इस विषय में लोगों ने यह खयाल कर लिया कि पहिल दिन एक नकाबपोश ने सूरत दिखाई थी और आज दूसरे ने, क्योंकि नकाय और पोशाक इत्यादि के खयाल से जाहिर में दोनों नकाबपोश एक ही रंग-ढग के थे। इन नकाबपोशों की तरफ से भूतनाथ का दिल तरददुद और खुटके से खाली था। पहिले दिन उस नकारपोश की जो सूरत भूतनाथ ने देखी उसने अपने दिल में अच्छी तरह नक्श कर लिया था बल्कि एक कागज पर उसकी सूरत (तस्वीर) भी बना कर तैयार कर ली थी और आज भी इसी नीयत से उसकी सूरत के विषय में बारीक निगाहस भूतनाथ ने काम लिया मगरताज्जुब कर रहा था कि ये दोनों कौन है जो वेवजह मेरी मदद कर रहे है और य गुप्त बातें इन दोनों को कैने मालूम हुई। थोडी दर तक नकारपोश चुप रहा और इसके बाद उसने राजा साहय की तरफ देख के कहा 'महाराज देयते है कि मै इस मुकदमें की गुत्थी को किस तरह सुलझा रहा है और इस पाल के दिल पर मेरी सूरत का क्या असर पड़ा अस्तु मैं इसी जगह एक और भी गुप्त बात की तरफ इशारा किया चाहता हूं जिसका हाल शायद अभी तक भूतनाथ को भी मालूम न होगा। वह यह है कि मनोरमा इस (येगा की तरफ बता कर ) बेगम की मौजेरी बहिन है और भूतनाथ की गुप्त सहेली नन्हों से गहरी मुहब्बत रखती है। यही सबब है कि भूतनाथ के घर से यह गठरी गायब हुई और जैपाल ने भी प्रकट होने के साथ ही लाभाघाटी *की तरफ इशारा करक भूतनाथको काबू में कर लिया। इस बात का महाराज तीन जानते होंगे मगर भूतनाथ को इनकार करने की जगह अब नहीं तो,दो दिस याद न रहगी।' नकाबपोश की इस यात ने भूतनाथ को चाका दिया और उसने घबड़ा कर नकाबपोश स कहा क्या यह बात आप पूरी तरह से समझ यूझकर कह रहे है? नकाब-हाँ और यह बात तुम्हारे ही स्व से पैदा हुई थी जिसके सथा में मै यह पुर्जा पेश करता है। इतरा कह कर नकाबपोश न अपने जेब में स एक पुर्जा निकालकर पढ़ा और फिर राजा गापालसिह के सामने फेंक दिया। उसमें लिखा हुआ था-- प्यारी नन्हो अव ता उन्होंने अपना नाम भी बदल दिया। तुम्हें पता लगाना हो तो भूतनाथ के नाम से पता लगा लेना और मुझे भी चाद बाल दिन गौहर के यहाँ देखना जा शेर की लड़की है। -करौदा की छैय-छय। इस चीठी न भूतनाथ को परेशान कर दिया और उसने खड होकर कहा बस-बस मुझे आपके कहने का विश्वास हो गया और बहुत सी पुरानी बातों का भी लग गया नकाबपाश-मैं इस बारे में और भी बहुत सी बातें कहूंगा मगर अभी नहीं जय समय तथा भातों का सिलसिला आ जायगा तय। मे यह तो टीक-ठीक नहीं कह सकता कि तुम्हारी स्त्री तुमस दुरमनी रखता है या वह इस बात को जानती है कि नन्हों और बेगम की मुहच्यत है मगर इतना जरुर कहूगा कि तुमने अपनी स्त्री को गौहर के यहा जाने की इजाजत देकर अपने पैर में आप कुल्हाड़ी मार ली। मुझे इन बातों के कहने की कोई जरूरतनहीं थी मगर इस ययाल से बात निकल आई कि तुम भी अपनी गठरी के चोरी जाने का समय जान जाओ। (लजसिह की तरफ देखकर ) औरों को क्या कहा जाय, भूतनाथ ऐसे चालाक ऐयार लाग भी औरतों के मामले में चूक ही जाते है ! इसी समय वेगम उद्योग करके उठ खडी हुई और महाराज की तरफ देखकर जोर से बोली दोहाई महाराज की । इन नकाबपोश का यह कहना कि नन्हों नाम की किसी औरत से मुझसे दोस्ती है विल्कुल झूठ है। इसका कोई सबूत नकाबपोश साहब नहीं दे सकत। मै तो जानती भी नहीं कि नन्हों किस चिडिया का नाम है। असल तो यह है कि यह केवल भूतनाथ की मदद करने आए है और झूठ-सच बोलकर अपना काम निकालना चाहते हैं। अगर सरकार उस सन्दूकडी को खोलें तो सारी कलई खुल जाय।

  • देखिए सन्तति ग्यारहवा भाग आठवा बयान ।

देवकीनन्दन खत्री समग्र