पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/८८४

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R चलना पडगा उन्हें अपने साथ लिए हुए पूरब की तरफ रवाना हुआ। थाडी दूर जान के बाद उस देहाती ने जमीन पर गिरे कई रुपय और दो-तीनजनाने जेवर नकाबपाशों को दिखाए जिससे इन्हें ताज्जुब हुआ और उन्होंने उस देहाती को जेवर और रुपये उठा लने के लिए कहा मगर उस दहाती न ऐसा करने से इनकार किया और आगे चलने के लिए इशारा किया। दानों नकाबपोश भी जेवरों और रुपयों को उसी तरह छोड उस देहाती के पीछे पीछ चलकर और आग बढ़े तथा कुछ दूर चलने पर पुन दो-तीनजवर और एक कटा हुआ हाथ जमीन पर दया। ताज्जुब में आकर एक नकाबपोशन दूसरे स कहा यह क्या मामला है ? हमारे पडोस ही में कोई युरी घटना भई हुई जान पड़ती है ? दूसरा-रग तो एसा ही मालूम पडता है। पहिला-यह हाथ भी किसी औरत का जान पड़ता है शायद ये जवर भी उसी के हो? दूसरा-वशक ये जेवर उसी को होग इस बात का पता लगा के अपन सर्दार का इत्तिला दनी चाहिय । य वाते हो ही रही थी कि आग से किसी औरत के रोने की आवाज इन दोनों नकाबपाशों ने सुनी जिससे ताज्जुब में आकर ये आगे की तरफ बढ़े। इसी तरह चलकर 4 दानों अपन स्थान से दूर निकल गय और अन्त में एक औरत को जार-जार से रोते और चिल्लाते देखा। यह औरत साधारण न थी बल्कि किसी अमीर घर को मालूम पड़ती थी। इसक बदन से खुशबूदार फूलों के जेवर पडे हुए 4 और यह दानों हाथ से अपना सर पीट-पीटके रा रही थी। इसके सामने एक दूसरी औरत की लाश पड़ी हुई थी और उसके बदन में भी खुशबूदार फूलों के जेवर पड हुए था उस लाश के बदन स खून बह रहा था और उसका एक हाथ कटा हुआ था। थोडी देर तक ताज्जुब के साथ देखने क बाद एक नकाबपोर्शन उस औरत से पूछा, इस किसन मारा और यह तरी कौन है? इसके जवाब में उस औरत न अपन आवल से आसू पोछकर कहा, मैं क्या बताऊ कि किसने मारा। तुम्हारे किसी साथी न मारा है अब तुम मुझ भी मार कर छुटटी करो जिससे वखडा हो त हा जाय।' एक नकाव-(ताज्जुब और क्रोध के साथ) क्या हम लोग ऐसे नामर्द और पतित हैजा औरतों के खून से अपना हाथ रगेंग? औरत-मै तो यही सोचती हू जब खुद मुझी पर बीत चुकी और बीत रही है तब मैं और क्या कहू? शायद आप न हो मगर आप ही कि तरह पर्दे में मुह छिपाने वालों ने इसे मारा है चाहे वह मर्द हो या औरत मगर याद रह कि इसका बदला लिये बिना न रहूगी या इसके साथ अपनी भी जान ८ दूगी। नकाबपोश-मगर यह तू कह किससे रही है और तुझे क्योंकर यकीन हो गया कि इसे हमारे साथियों ने मारा है ? औरत-तुम्ही लोगों से कह रही हू और मुझे अच्छी तरह यकीन है कि इसे तुम्हारे साथियों ने मारा है ! नकाबपोश-(क्रोध से) क्या कहू तू औरत है तुमपर हाथ छोड़ नहीं सकता अगर कोई मर्द ऐसी बातें करता तो उस इस कहने का मजा चखा देता ! औरत-शायद मुझे धोखा हुआ ही मार इसमें कोई शक नहीं कि जिसने इसे मारा है वह तुम्हारी ही तरह का था। नकार-तू अपना और इसका हाल तो कह शायद उससे कुछ पता लगे। औरत-मै इस जगह कुछ भी नहीं कहने की अगर तुम उन लोगों में से नहीं हो जिन्होंने मुझे सताया है और असल मर्द हो तो मुझ अपने सर्दार के पास ले चलो उसी जगह में सब हाल कहूगी। नकाय-हमारे सार के पास तू नहीं जा सकती। औरत-तो अव मुझे विश्वास हो गया कि जो कुछ किया है सब तुम लोगों ने किया है। इसी तरह की बातें देर तक होती रही। यद्यपि वेदोनों नकाबपोश उस औरत को अपने सार के पास ले चलना या उस अपना पता देना नहीं चाहते थे मगर उस औरत ने ऐसी तीखी-तीखी बातें कहीं कि दोनों जोश में आ गए और उसे तथा उस लाश को उठाकर अपने खोह के मुहाने पर चलने के लिए तैयार हो गय। उन्होंने लाश उठाकर ले चलने में मदद करने लिए उस गूगे देहाती को इशारे में कहा मगर उसने ऐसा करन से साफ इनकार किया बल्कि जब उन दानों नकाबपाशों ने उसे डाटा तब वह डरकर वहा से भागा और कुछ दूर पर जाकर खडा हा गया । हम ऊपर ययान कर चुक है कि उस औरत की लाश भी फूलों के गहनों से भरी हुई थी अब इतना और कह दना है कि उन फूलों पर बेहोशी की दवा इस ढग पर छिडकी हुई थी कि कुछ मालूम नहीं होता था और खुशबू के साथ उस दवा का गुण भी धीरे-धीर फैल रहा था यद्यपि फूलों की फैलन वाली खुशबू क सवच नकाबपाशों पर उसका कुछ असर हा चुका था मगर उन्हें इस बात का ख्याल कुछ भी न था। देवकीनन्दन खत्री समग्र ८७६