पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/८८८

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दो घण्ट रात जा चुकी थी जव महाराज सुरेन्द्रसिह ने वीरेन्द्रसिह और तेजसिह को अपने पास बुलवाया। उस समय जीतसिंह पहिले ही से महाराज सुरेन्दसिह के पास बैठे हुए थे अस्तु जब दोनों आदमी वहा आ गये तो दा घण्टे तक तारासिह के बार में बात-चीत होती रही और इसके बाद महाराज आराम करने के लिए पलग पर चल गये। बीरेन्द्रसिह और तेजसिह भी अपने अपने कमरे में चले आये। बारहवॉ बयान - दूसरे दिन आपने मामूली समय पर पुन दानों नकाबपोशों के आने की इत्तिला मिली। उस समय जीतसिह धीरेन्द्रसिह ओर तेजसिह राजा गोपालसिह बलभदसिह इन्द्रदेव और बद्रीनाथ वगैरह अपने यहा के कुल ऐयार लोग भी महाराज सुरेन्दसिह के पास बैठे हुए थे और उन्हीं नकाबपोशों के बारे में तरह-तरह की बात हा रही थी। आज्ञानुसार दोनों नकाबपाश हाजिर किए गए और फिर इस तरह बात चीत होने लगी- तेज-(नकाबपोश की तरफ देखकर ) तरासिह की जुबानी सुनने में आया कि भूतनाथ ने आपक दा आदमियों को ऐयारी करक गिरफ्तार कर लिया है। एक नकाय-जी हाँ हम लोगों को भी इस बात की खयर लग चुकी है मगर काई चिन्ता की बात नहीं है। गिरफ्तार होने और बइज्जती उठाने पर भी वे दानों भूतनाथ का किसी तरह की तकलीफ न देंगे और न भूतनाथ ही उन्हें किसी तरह की तकलीफ दे सकेगा। यापि उस समय भूतनाथ ने उन दोनों का नहीं पहिचाना मगर जब उनका परिचय पायेगा और पहिचानेगा तो उसे बडा ही ताज्जुब होगा। जो हो मगर भूतनाथ को ऐसा करने की जरूरत न थी। ताज्जुब है कि ऐसे फजूल के कामों में भूतनाथ का जी क्योंकर लगता है। ऐयारी करके जिस समय भूतनाथ ने दोनों को गिरफ्तार किया था उस समय उन दानों की सूरत देखने के साथ ही छोड देना चाहिये था क्योंकि एक दफे भूतनाथ इस दर्वार में उन दोनों सूरतों को देख चुका था और जानता था कि आखिर इन दोनों का हाल मालूम होगा ही। अब दोनों को गिरफ्तार करके ले जाने से भूतनाथ की बनी कम न होगी बल्कि और ज्यादे बढ जायगी। तेज-हा हम लोगों ने भी यही सुना था कि जिन सूरतों का देखकर मायारानी का दारोगा और जैपाल बदहवास हो गये थे उन्हीं दोनों को भूतनाथ ने गिरफ्तार किया है। नकाय-जी हॉ एसा ही है। तेज-तो क्या वे दोनों स्वय इस दार में आये थे या आप लोगों ने उन दोनों के जैसी सूरत बनाइ थी? नकाव-जी वे लोग स्वय यहा नही आय थ बल्कि हम ही दोनों उन दोनों की तरह सूरत बनाए हुए थे। दारागा और जैपाल इस बात को समझ न सके। तेज- असल में दोनों कौन है जिन्हें भूतनाथ ने गिरफ्तार किया है ? नकाय-(कुछ सोचकर ) आज नहीं , अगर हो सकेगा तो दा एक दिन में में आपकी इस यात का जवाब दूगा क्योंकि इस समय हम लोग ज्यादा देर तक यहा ठहरना नहीं चाहते। इसके अतिरिक्त सम्भव है कि कल तक भूतनाथ भी उनं दोना को लिए हुए यहीं आ जाय। अगर वह अकेला ही आनेता हुक्म दीजियगा कि उन दोनो को भी यहा ले आय उस समय कम्यख्त दारोगा और जैपाल के सामने उन दोनों का हाल सुननेसे आप लोगों को विशेष आनन्द मिलेगा। मैं भी (कुछ रुक कर) मौजूद ही रहूगा जो बात समझ में न आवेगी समझा दूगा: (कुछ रुक कर ) हों भैरोसिह और तारासिह के विषय में क्या आज्ञा होती है? क्या आज वे दोनों हमार साथ भेजे जायगे ? क्योंकि इन्दजीतसिह और आनन्दसिह को उन दोनों के बिना सख्त तकलीफ है। सुरेन्द्र-हा भैरो और तारा तुम दोनों के साथ जाने के लिए तैयार है। इतना कहकर महाराज ने भैरोसिह और तारासिह की तरफ देखा जो उसी दर्बार में बैठे हुए नकाबपोशों की बाते' सुन रहे थे। महाराज को अपनी तरफ देखते देख दोनों भाई उठ खडे हुए और महाराज को सलाम करने बाद दोनों नकाबपोशों के पास आकर बैठ गये। नका-(महाराज से) तो अब हम लोगों को आज्ञा मिलनी चाहिए। सुरेन्द-क्या आज दोनों लड़कों का हाल हम लोगों को न सुनाओगे? नकाब-हाथ जोडकर )जी नहीं क्योंकि देर हो जाने से आज भैरासिह और तारासिह को इन्द्रजीतसिह के पास हम लोग पहुचा न सकेंगे। सुरेन्द-खैर क्या हर्ज है कल तो तुम लागों का आना होगा ही ? नकाय-अवश्य। इतना कहकर दोनों नकाबपोश उठ खडे हुए और सलाम करके विदा हुए। भैरोसिह और तारासिह भी उनक साथ रवाना हुए। देवकीनन्दन खत्री समग्र 5६०