पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/९४६

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आर पिछली याता का बिल्कुल भूल जाआग। दलीप--महाराज अपनी आज्ञा के विरुद्ध चलत हुए हम लागा का कदापि न दखेंग यह हमारी प्रतिज्ञा है। महा-(अजुनसिह तथा दलीपसिह के दूसरे साथी की तरफ दख कर ) तुम लागा की जुयान स भी हम एसा ही सुना चाहत है। दलीप का साथी-मेरी भी यही प्रतिज्ञा है और ईश्वर से प्राथना है कि भर दिल म दुश्मनी पदल दिन दूनी रात दोगुनी तरक्की करन वाली भूतनाथ की मुहब्बत पैदा कर। महा-शावाश शावाश। अर्जुन-कुँअर साहब के सामने में जा कुछ प्रतिज्ञा कर चुका हू उस महाराज सुन चुक होंग इस समय महाराज के सामन भी शपथ खाकर कहता है कि स्वप्न में भी भूतनाथ के साथ दुश्मनी का ध्यान आने पर में अपन का दापी समझूगा। इतना कह कर अजुनसिह । यह तस्वीर जा उसक हा माड डाली और टुकड़े टुफड करक भूतनाथ का आप फ दी और पुन महाराज की तरफ दरा कर कहा यदि का और उसकी न समझा जाय ताहा लागइरी समय भूतनाथ सगल मिल कर अपन उदास दिन का Trutani महा-यह ता हम स्वयमकहनपावर इ.सना सुनत ना दलीप अजुन और मूत र आपुस । ल मिल और इसक बाद महाराज का इशारा पाकर एक साथ बैठ गया भूत-(दूगर देना | अजुनसिsuni ki', । १. मालिका सुटका मिटाग आर साक माप त दाकि तु 411 01 असलम अनार 477जनता महारापरक उन गटामल गया या * द म स का FIRE ALTR" र पेनको धार । दूसरा दलीप-' पर 3 दि. 5 मि.: उत् 'दन नमिह की सत्त 11. वारसा और तुम दल शी तीन पाटाफिमा म फcial दन I " अजुन का पहा । सन्न करने यहा आय. :- पाक कर दूर पलायन {hit 11.ला नाउमा 10 जनना। रासाप "11 सूर , 1 24:37कास चल मन F ZE STATY-11, आर. t; of opatície to Pict3! cilt "Ja sie sign? 11IMk14-17-" मल 4 sal ories '11: भरथARE 11, इन्द्रजीत-हार सदर और दला',३२१ तारा 41 Phil1 सामs.inहा का किसान या का सूरत देख दिया की क्या हालत हानी।। महा-है? इन्द्रजीत-इस साय यहा माजूद नमी न "f. STAR उसनर या 'दे । आपदा भृदय १५ ) यदि MIT गछ। इन्द्रदव-आप न कुछ पूछग उय में खूर, जानता मगर र पाय भूत-कमला की मा आप लागा का कहा और क्योंकर मिली? इन्द्रदय-यह ता उसी की जुबानी सुनन में ठीक होगाजय वह अपाकिस्ता बचान करेगी काई बाछिपीन रह जायगी।

  • दखिए चन्द्रकान्ता सन्तति बीसवा भाग तेरहवा ययान ।
  • दखिय बीसवे भाग के आठवें बयान में कुमार की चीठी।

देयकीनन्दन खत्री समग्र