पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/९४८

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दि AN जीत-जरूर ऐसा होना चाहिए इसीलिए मैं चाहता हू कि यहा से जल्द चलिए। भरतसिह वगैरह की कहानी वहाँ ही सुन लेंगे या शादी के बाद और लोगों को भी यहा लेआयेंगे जिसमें वे लोग भी तिलिस्म और इस स्थान का आनन्द ले लें। 2 महा-अच्छी बात है खैर यह बताओ कि कमलिनी और लाडिली के विषय में भी तुमने कुछ सोचा । जीत-उन दोनों के लिए जो कुछ भी आप विचार कर रहे है, वही मेरी भी राय है, उनकी भी शादी दोनों कुमारों क साथ कर ही देना चाहिए। महा-है न यही राय जीत--जी हा. मगर किशारी और कामिनी की शादी के बाद क्योंकि किशोरी एक राजा की लड़की है इसलिए उसी की औलाद को गद्दी का हकदार होना चाहिए. यदि कमलिनी के साथ पहिल शादी हो जायगी तो उसी का लड़का गद्दी का मालिक समझा जायगा, इसी से मै चाहता हू कि पटरानी किशोरी ही बनाई जाय । महा-यह वात तो ठीक है, अस्तु एसा ही होगा और साथ ही इसके कमला की शादी भैरा के साथ और इन्दा की तारा के साथ कर दी जायेगी। जीत-जो मर्जी। महा-अच्छा तो अब यही निश्चय रहा कि दलीपशाह और भरथसिह की चीती यहा चलने के बाद घर ही पर सुनना चाहिए। जीत-जी हा सच तो यों है कि ऐसा करना ही पड़ेगा क्योंकि इन लोगों की कहानी दारोगा ओर जैपाल इत्यादि कैदियों से घना सम्बन्ध रखती है बल्कि यों कहना चाहिये कि इन्हीं लोगों के इजहार पर उन लोगों के मुकदमें का दारोमदार (हेस-नेस) है और यही लोग उन कैदियों को लाजवाब करेंग। महा-नि सन्दह एसा ही है, इसके अतिरिक्त उन कैदियों ने हम लोगों तथा हमारे सहायकों को बडा दुख दिया है ओरदोनोंकुमारों की शादी में भी बड़े-बडे विघ्न डालते है अतएव उन कम्बख्ता को कुमारों की शादी का जलसा भी दिखा देना चाहिये जिसमें ये लाग भी अपनी आँखों से देख ले कि जिन बातों का वे विगाडा चाहते थे वे आज कैसी खूपी और खुशी क साथ हो रही हैं. इसके बाद उन लोगों को सजा देना चाहिए। मगर अफसोस तो यह है कि मायारानी और माधवी जमानिया ही में मार डाली गई नहीं तो वे दोनों भी देख लेती कि जीत-खैर उनकी किस्मत में यही वदा था। महा-अच्छा तो एक बात का और खयाल करना चाहिये। जीत--आज्ञा? महा-भूतनाथ वगैरह को मौका देना चाहिए कि वे अपने सम्बन्धियों से बखूबी मिल जुल कर अपने दिल का खुटका निकाल लें क्योंकि हम लोग तो उनका हाल वहा चल कर ही सुनेंगे। जीत-यहुत खूब। इतना कह कर जीतसिह उठ खडे हुए और कमरे से बाहर चले गये। छठवां बयान इन्ददेव के इस स्वर्ग-तुल्य स्थान में बगले से कुछ दूर हट कर यागीचे के दक्खिन तरफ एक घना जामुन का पेड है जिसे सुन्दर लताओं ने घेर कर देखने योग्य बना रक्खा है और जहा एक कुज की सी छटा दिखाई पड़ती हैउसी के नीचे समय निकट जान अपने घोंसले के चारों तरफ फुदक फुदक कर अपने अपौरुष बच्चों को चैतन्य करती हुई कह रही है कि लो मै बहुत दूर से तुम लोगों के लिए दाना पानी अपने पेट में भर लायी हूँ जिससे तुम्हारी सतुष्टि की जायगी। दूर से तुम लोगों के लिए दाना पानी अपने पेट में भर लायी हू जिससे तुम्हारी सतुष्टि की जायेगी। यह रमणीक स्थान ऐसा है कि यहा दो चार आदमी छिप कर इस तरह बैठ सकते हैं कि वे चारो तरफ के आदमियों को बखूबी देख लें पर उन्हें कोई भी न देखे। इस स्थान पर हम इस समय भूतनाथ और उसकी पहली स्त्री कमला की भा को पत्थर की चट्टानों पर बैठे बातें करते हुए देख रहे हैं। ये दोनों मुद्दत से बिछड़े हुए हैं और दोनों के दिल में नहीं तो कमला के मा के दिल में जरूर शिकायतों का खजाना भरा हुआ है जिसे वह इस समय बेतरह उगलने के लिए तैयार है। प्यारे पाठक आइये हम आप मिल कर जरा इन दोनों की बातें तो सुन लें। देयकीनन्दन खत्री समग्र ९४२