पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/९७४

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दूसरा बयान रात पहर भर से ज्यादे जा चुकी है। महल के अन्दर एक सजे हुए कमरे में एक तरफ रानी चन्दकान्ता चपला और चम्पा बैठी हुई है और उनसे थोड़ी ही दूर पर राजा वीरेन्द्रसिह गोपालसिह और भैरोसिह यैठे आपुस में कुछ बातचीत कर चन्द्र-(वीरेन्द्र से) सच्चा सच्चा हाल मालूम होना तो दूर रहा मुझे इस बात का किसी तरह कुछ गुमान भी न हुआ। इस समय मै दुलहिनों की सोहागरात का इन्तजाम देख सुन कर यहाँ आई और दिन भर की थकावट से सुस्त होकर पड़ रही जी में आया कि घन्टे दो घन्टे सो रहू, मगर इसी बीच में चपला बहिन आ पहुची और बोली, लो बहिन, मै तुम्हें एक अनूठा हाल सुनाती हू जिसकी अव तक हम लोगों को कुछ खबर ही न थी बस इतना कह कर बैठ गई और कहने लगी कि कमलिनी और लाजिली की शादी तिलिस्म के अन्दर ही इन्दजीत और आनन्द के साथ हो चुकी है जिसके बारे में अब तक हम लोगों को किसी ने कुछ भी नहीं कहा इस समय लड़के ( भैरोसिह) ने मुझसे कहा है'। सुनते ही में धरक हो गई कि या राम यह कौन सी बात थी जिसे अभी तक सब कोई छिपाये बैठे रहे । चपला-(भैरोसिह की तरफ इशारा करके ) सामने तो बैठा हुआ है, पूछिये कि इस समय के पहिले कभी कुछ कहा था । यद्यपि दोनों की शादियाँ इसके सामने ही तिलिस्म के अन्दर हुई थी। बीरेन्द्र-मुझे भी इस विषय में किसी ने कुछ नहीं कहा था, अभी थोडी देर हुई कि गोपालसिह ने यह सब हाल पिताजी से बयान किया तब मालूम हुआ। यन्द्र-यही सुन के तो मैने आपको तकलीफ दी क्योंकि आपकी जुबानी सुने बिना मेरी दिलजमई नहीं हो सकती। वीरेन्द-जो कुछ तुमने सुना सब ठीक है। चन्द-मजा तो यह है कि लड़कों ने भी मुझसे इस बात की कुछ चर्चा नहीं की। वीरेन्द्र-लड़कों को तो खुद ही इस बात की खबर नहीं है कि उनकी शादी कमलिनी और लाडिली के साथ हुई थी। चन्द्र-यह तो आप और भी ताज्जुब की बात कहते है ! यह भला कैसे हो सकता है कि जिनकी शादी हो उन्हीं को पता न लगे कि मेरी शादी हो गई है? इस पर कौन विश्वास करेगा। बीरेन्द्र-बात ही कुछ ऐसी हो गई थी और यह शादी जानबूझ कर किसी मतलब से छिपाई गई थी। (गोपालसिह की तरफ इशारा करके) अव ये खुलासा हाल तुमसे वयान करेंगे तब तुम समझ जाओगी कि ऐसा क्यों हुआ। गोपाल–मै सब हाल आपसे खुलासा क्यान करता हू और आशा करता हूं कि आप मेरा कसूर माफ करेंगी क्योंकि यह सव मेरी ही करतूत है और मैने ही यह शादी कराई है। चन्द-अगर तुमने ऐसा किया तो छिपाने की क्या जरूरत थी? क्या हम लोग तुमसे रज हो जाते ? या हमलोग इस बात को नहीं समझते कि जो कुछ तुम करोगे अच्छा ही समझ के करोगे । गोपाल-ठीक है मगर किया क्या जाय इस बात को छिपाये विना काम नहीं चलता था यही तो सबब हुआ कि खुद दोनों कुमारों को भी इस बात का पता न लगा कि उनकी शादी फलाने के साथ हो गई है। चन्द-आखिर ऐसा किया क्यों गया सो तो कहो ! गोपाल-इसका सवय यह है कि एक दिन कमला मेरे पास आई और बोली कि मै आपसे एक जरूरी बात कहती हू जिस पर आपको विशेष ध्यान देना होगा। मैने पूछा- क्या । इस पर उसने जवाब दिया कि कमलिनी ने जो कुछ अहसान हम लोगों पर खास करके दोनों कुमारों तथा किशोरी और कामिनी पर किये हैं वह किसी से छिपे नहीं है। किशोरी का ख्याल है कि इसका बदला किसी तरह अदा हो ही नहीं सकता और बात भी ऐसी ही है अस्तु किशोरी ने बात ही बात में अपने दिल का हाल मुझसे भी कह दिया और इस बारे में जो कुछ उसने सोच रक्खा था वह भी बयान किया। किशोरी कहती है कि अगर मैं शादी न कसं या शादी होने के पहिल ही इस दुनिया से उठ जाऊँ तो उसके अहसान ओर ताने से कुछ बच सकती है। इस विषय पर जब मैने किशोरी को बहुत कुछ समझाया तो योली कि खैर मेरी शादी के पहिले कमलिनी की शादी कुंअर इन्द्रजीतसिह के साथ हो जायेगी तब मै सुख से अपनी जिन्दगी बिता सकूगी और उसके अहसान से भी हलकी हो जाऊँगी क्योंकि ऐसा होने से कमलिनी को पटरानी की पदवी मिलेगी और उसी का लडका गद्दी का मालिक समझा जायेगा। मै छोटी रानी और कमलिनी की लौंडी होकर रहूगी तभी मेरे दिल को तस्कीन होगी और मै समझूगी कि कमलिनी के अहसान का बोझ मेरे सिर से उतर गया । देवकीनन्दन खत्री समग्र