पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/९७७

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भैरो-(किशोरी की तरफ इशारा करक) जो कुछ किया सब इन्होंने किया। यही सब काम में अगुआ थीं और राजा गोपालसिह इस काम में इनकी मदद कर रहे थे। उन्हीं की आज्ञानुसार मुझे भी मजबूर होकर इन लोगों का साथ देना पड़ा था। इसका खुलासा हाल आप कमला से पूछिए यही ठीक ठीक बतावेगी। कुमार-(कमला से) खैर तुम्हीं बताओ कि क्या हुआ ? कमला किशोरी से ) कहो.बहन अब तो मैं साफ कह दूँ ? किशोरी-अब छिपाने की जरुरत ही क्या है । कमला ने इस तरह स कहना शुरु किया किशोरी बहिन ने मुझसे कई दफे कहा कि तू इस बात का यन्दोवस्त कर कि किसी तरह मेरी शादी के पहिले ही कमलिनी की शादी कुमार के साथ हो जाय मगर मेरे किये इसका कुछ भी बन्दोवस्त न हो सका और कमलिनी रानी भी इस बात पर राजी होती दिखाई नदी अस्तु मै बात टाल कर चुपकी हो बैठी मगर मुझे इस काम में सुस्त देख कर किशोरी ने फिर मुझसे कहा कि देख कमला तू मेरी बात पर कुछ ध्यान नहीं देती मगर इस खूब समझ रखियो कि अगर मेरा इरादा पूरा न हुआ अर्थात मेरी शादी के पहिले ही कमलिनी की शादी कुमार क साथन हो गई तो मैं कदापि व्याह न करेंगी बल्कि अपने गले में फांसी लगा कर जान दे दूंगी। कमलिनी ने जो कुछ अहसान मुझ पर किये है उनका बदला मै किसी तरह चुका नहीं सकती अगर कुछ चुका सकती हू तो इसी तरह कि कमलिनी को पटरानी बनाऊँ और आप उसकी लौडी होकर रहू, मगर अफसोस है कि तू मेरी बातों पर कुछ भी ध्यान नही देती जिसका नतीजा यह होगा कि एक दिन तू रोएगी और पछताएगी। किशोरी की इस आखिरी बात से मेरे कलेजे पर एक चोट सी लगी और मैंने सोचा कि जो कुछ यह कहती है बहुत ठीक है ऐसा होना ही चाहिय। आखिर मेने राजा गोपालसिह से यह सब हाल कहा और उन्हें अपनी तरफ से भी बहुत कुछ समझाया जिसका नतीजा यह निकला कि वे दिलोजान से इस काम के लिये तैयार हो गये। जब वे खुद तैयार हो गये तो फिर क्या था? सब काम खूबी के साथ होने लगा। राजा गोपालसिह न इस विषय में कमलिनीजी से कहा और इन्हें बहुत समझाया मगर ये राजी न हुई और बोली कि आपकी आज्ञानुसार मै कुमार से व्याह कर लेने के लिये तैयार हूँ मगर यह नहीं हो सकता कि किशोरी से पहिले ही अपनी शादी करके उसका हक मार दूं, हा किशोरी की शादी हो जाने के बाद जो कुछ आप आज्ञा देंग में करुंगी। यह जवाब सुन कर गोपालसिहजी ने फिर कमलिनी को समझाया और कहा कि अगर तुम किशोरी की इच्छा पूरी न करोगी तो वह अपनी जान दे देगी फिर तुम ही सोच ला कि उसके मर जाने से कुमार की क्या हालत होगी और तुम्हारी इस जिद्द का क्या नतीजा निकलेगा? गोपालसिहजी की इस बात ने (कमलिनी की तरफ बता के) इन्हें लाजवाब कर दिया और ये लाचार हा शादी करने पर राजी हो गई। तब राजा साहब ने भैरोसिह को मिलाया और ये इस बात पर राजी हो गये। इसके बाद यह सोचा गया कि कुमार इस बात को स्वीकार न करेंगे अस्तु उन्हें धोखा देकर जहा तक जल्द हो तिलिस्म के अन्दर ही कमलिनी के साथ उनकी शादी कर देनी चाहिये क्योंकि तिलिस्म के बाहर हो जाने पर हम लोग स्वाधीन न रहेंगे और अगर बडे महाराज इस बात को सुन कर अस्वीकार कर देंगे तो फिर हम लोग कुछ भी न कर सकेंगे, इत्यादि । बस यही सवय हुआ कि तिलिस्म के अन्दर आपसे तरह तरह की चालबाजिया खेली गई और भैरोसिह ने भी आपसे सर भेद छिपा रक्खा। खुद राजा गोपालसिहजी तिलिस्म के अन्दर आये और बुड्ढे दारोगा बन कर इस काम में उद्योग करने लगे। कुमार-(वात रोक कर ताज्जुब के साथ) क्या खुद गोपालसिह बुड्ढे दारोगा बने थे ? कमला-जी हा वह बुड्ढी मै बनी थी, तथा किशोरी और इन्दिरा आदि ने लडकों का रूप धरा था । कम (हॅस कर) यह बुडढी भैरोसिह की जोछ बनी थी। अब इस बात को सच कर दिखाना चाहिये अर्थात् इस बुड्ढी को भैरोसिह के गले मढना चाहिये। कुमार-जरूर ! (कमला स) तब तो मैं समझता हू कि 'मकरन्द इत्यादि के बारे में जो कुछ भैरोसिह ने बयान किया था वह सब झूठ था? कमला हा बेशक उसमें बारह आने से ज्यादा झूठ था। कुमार-खैर तब क्या हुआ? तुम आगे बयान करो। कमला ने फिर इस तरह बयान करना शुरू किया - भैरोसिह जान बूझ कर इसलिये पागल बना कर आपको दिखाये गये थे जिसमें एक तो आप धोखे में पड़ जाय और समझें कि हमारे विपक्षी लोग भी वहा रहते है, दूसरे आपसे मिलाप हो जाने पर यदि भैरोसिह से कभी कुछ भूल भी चन्द्रकान्ता सन्तति भाग २३ ९७१