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देव-सुधा


कैसे करि कोसौं कासों कहौं कैसी करौं देव ,

कीनी रिपुकेसी कैसे केसी की सुकै सी बानि ;

कैसी लाज कसो काज कैसोधौं सखी समाज,

कैसो घरु केसौ बरु कैसा डर केसी कानि ।। १५६ ।।

कोसो = कैसा, सदृश । भोर = प्रातःकाल । कोसौं = बुरा चेतौं । 'रिपुकेसी ( केशी-रिपु ) केशी नाम के असुर का शत्रु अर्थात् कृष्ण ( नायक)।

साँकरी खोरि बखोरि हमैं किन खोरि लगाय खिसैबोकरौकोइ, हारेहू हाय नहीं करिहैं हिय घायन लोन घिरौबौ करौ कोइ ; देवजू धीर धरो सुधरो किन ओठन दंत पिसैबो करौ कोई, रूप हमैं दर सैबो करौ अरसैबो करौ कि रिसैबो करौ कोइ ।

बखोरि = छेड़कर । खोरि = गली । दोष ।

कैसी कुलबधू, कुल कैसो कुल बधू कौन, तू है, यह कौन पूँछ काहू कुलटाहि री;

कहा भयो तोहि कहा काहि तोहि माहि कोधौं, कीधौं और का कै और कहा न तौ काहि री।

जातिहीसों जाति, को है जातिकैसे जाति, एरी, तोसों हौं रिसाति, मेरी मोसो न रिसाहि री;

लाज गहु लाज गहु, लाज गहिबे ते रही, पंच हँसिह री, हों तो पंचन ते बाहिरी ॥ १५८ ॥

  • केसी की सुकैसी (की तरह) बानि ( टेव) कीनी ।

प्रयोजन यह है कि श्रीकृष्ण ( केशी के शत्रु ) ने केशी दैत्य के साथ जैसी शत्रु ता की थी। वैसी ही मेरे साथ की है।