मान
ओंठन ते उठि पीठि पै बैठि कॅधान पै ऐठि मुरयो मुख मोरनि ,
देव कटाच्छन ते कढ़ि कोप लिलार चढ़यो बढि भौंह मरोरनि;
अंक में आए मयंकमुखी लई लाल को बंक चितै हग-कोरनि ,
आँसुन बूड़योउसासउड्यो किधौं मान गयो हिलकी की हिलोरनि ।
लघु मान का वर्णन है।
मयंकमुखी = चंद्रमुखी । हिलकी की हिलोरनि = रुदनभव
हिचकी की लहरों में।
सखी के सकोच गरु सोच मृगलोचनि
रिसानी पिय सों जु ने कु उन हँसि छुयो गात;
देव वै सुभाय मुसुक्याय उठि गए यहि
सिसिकि-सिसिकि निसि खोई रोय पायो प्रात।
कौन जानै बीर बिन बिरही बिरह बिथा,
हाय-हाय करि पछिताय न कछू सोहात ;
बड़े-बड़े नैननि ते आँसू भरि-भरि ढरि
गोरो-गोरो मुख आजु ओरो सो बिलानो जात ॥२२३
कलांतरिता नायिका का वर्णन है ।
बिलानो जात = नष्ट हुश्रा जाता है ।
इस छंद की व्याख्या मिश्रबंधु-विनोद' की भूमिका में है।
यारी हमारी सौं आबौ इतै कबि देव कुप्यारी है कैसेक ऐए,
यारी कहो मति मोसों अहो कहि प्यारी प्योप्यार की प्यारी बुलैए;
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देव-सुधा