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दो बहनें

लिखा है, रिसर्च के जिस दुरूह कार्य में नीरद अपने आपको लगा देना चाहता है, वह भारतवर्ष में सम्भव नहीं है। इसीलिये उसे अपने जीवन में एक और बड़ा बलिदान करना पड़ेगा। ऊर्मि के साथ विवाह-सम्बन्ध विच्छिन्न किए बिना अब चल ही नहीं सकता। एक यूरोपीय महिला उसके साथ विवाह करके उसके कार्य में आत्मनियोग करने को तैयार हैं। लेकिन काम तो वही है, भारतवर्ष में हो तो, और विलायत में हो तो। राजारामबाबू ने जिस कार्य के लिये धन देना चाहा था, उसका कुछ हिस्सा यहाँ लगाने में कोई अन्याय नहीं है। उससे मृत व्यक्ति का सम्मान ही होगा।

शशांक ने कहा, "जीवित व्यक्ति को कुछ-कुछ देकर यदि उस दूरदेश में ही जिला रख सको तो बुरा क्या है? क्योंकि यदि रुपया बंद कर दिया जाय तो भूख की ज्वाला से अधमरा होकर यहाँ दौड़ा चला आयगा, यह आशंका है।"

ऊर्मि ने हँसकर कहा, "यदि तुम्हारे मन में यह डर हो तो रुपया तुम्हीं भेजना, मैं तो एक पैसा भी नहीं देती।"

शशांक बोला, "फिर से मन तो नहीं बदलेगा न? मानिनी का अभिमान तो अटल ही बना रहेगा?"

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