पृष्ठ:दो बहनें.pdf/१३४

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ज्ञातव्य

'दो बहनें' उपन्यास बँगला के 'दुई बोन' का हिन्दी अनुवाद है। मूल उपन्यास सन् १९३३ में पहली बार 'विचित्रा' नामक मासिक पत्रिका में धारावाहिक प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास के सम्बन्ध में रवीन्द्रनाथ का एक अपूर्व पत्र 'विचित्रा' की उसी वर्ष की श्रावण-संख्या में छपा था। इससे उपन्यास की कथा-वस्तु और चरित्रों पर बहुत-कुछ प्रकाश पड़ता है। पत्र का हिन्दी अनुवाद नीचे दिया जाता है :

"तुमने लिखा है, तुम्हारी बान्धवी ने मेरे कत्पित उपन्यास 'दुई बोन' के भाग्य-विभ्राट का सारा दोष शशाङ्क के मत्थे मढ़ा है। उन्होंने ध्यान नहीं दिया कि दोष वस्तुतः प्रकृति मायाविनी का है। मनुष्य के चलने-फिरने के रास्ते में वही अपना निष्ठुर चौर-फन्दा पसार रखती है; असन्दिग्ध मन से चलते चलते अचानक पथिक ऐसी जगह कदम रख बैठता है जहां ढका हुआ गडढा होता है। शशाङ्क की संसारयात्रा की राह देखने में पक्की ही थी मगर उसके चलने के हक में थी रपटीली। अभागा सिर के बल गिरने से पहले इस बात को ख़ुद ही काफ़ी साफ तौर से नहीं समझ पाया। दिन अच्छे ही गुज़र रहे थे लेकिन जिस पुल पर से होकर गुज़र रहे थे

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