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दो बहनें

बड़ी-बड़ी हैं उसकी शान्त आँखें, धीर-गंभीर चितवन। सजल श्यामल नवीन मेघ के समान कमनीय है उसकी स्निग्ध और साँवली कान्ति; माँग में सदा सिंदूर की अरुण रेखा शोभती रहती है, साड़ी की किनारी काली और चौड़ी, दोनों हाथों में मगर के मुँहवाले मोटे-मोटे कंगन–जो साज-सिंगार की भाषा कम बोलते हैं, सोहाग की अधिक।

पति के जीवन-लोक में ऐसा कोई सीमान्त प्रदेश नहीं जहाँ उसके साम्राज्य का प्रभाव शिथिल हो। स्त्री के अति लालन की छाया में पति का मन भुलक्कड़ बन गया है। यदि किसी मामूली पलखत में फ़ाउन्टेन पेन मेज़ के किसी ऐसे हिस्से में पल भर के लिये ग़ायब हो गया, जो ज़रा कठिनाई से दिखाई देता है, तो इसके पुनराविष्कार का भार स्त्री पर है। स्नान करते समय कलाई की घड़ी कहाँ रख दी, शशांक को यह बात एकाएक याद नहीं आती, लेकिन स्त्री की नज़र ज़रूर उसपर पड़ती है। विभिन्न रंग के दो जोड़े मोज़ों में से एक-एक को पहनकर जब वह बाहर जाने के लिये तैयार होता है, उस समय स्त्री ही आकर उसकी ग़लती सुधार देती है। शशांक देसी महीने के साथ अंगरेज़ी तारीख