पृष्ठ:दो बहनें.pdf/२२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
दो बहनें

सोचा, यदि उसके कानों तक बात जाएगी तो नौकरी के इस जाल में एक और उलझन पैदा कर देगी,—खूब संभव है बड़े अफसर से कड़वी भाषा में झगड़ा हो कर आवे। विशेष करके उस डोनाल्डसन पर तो उसे बहुत अधिक गुस्सा है। एक बार वह सर्किट-हाउस के बागीचे में बन्दरों का उत्पात दमन करने गया था और छर्रों से शशांक की सोला टोपी में छेद कर दिया था। कोई दुर्घटना नहीं हुई किन्तु होते कितनी देर लगती! लोग कहते हैं दोष शशांक का ही था, यह सुनकर शर्मिला का ग़ुस्सा और भी बढ़ उठा—डोनाल्ड्सन के ऊपर ही। ग़ुस्से का सबसे बड़ा कारण यह है कि बन्दर को निशाना बनाकर जो गोली दागी गई थी वह शशांक के ऊपर आ पड़ी, दुश्मनों ने इन दो बाताों का समीकरण करके खूब मख़ौल उड़ाया था।

शशांक के पद-लाघव को खधर उसकी पत्नी ने स्वयं आविष्कार की। पति का रँगढँग देखकर उसने समझ लिया था कि गिरस्ती में किसी ओर से कोई एक कांटा ऊपर उठ आया है। इसके बाद कारण मालूम करने में उसे देर नहीं लगी। कान्स्टिट्यूशनल एजीटेशन—वैधानिक आन्दोलन के रास्ते वह नहीं गई, गई सेल्फ डिटर-