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दो बहनें

निमंत्रण किया गया। घर-द्वार विशेष भाव से फूल पत्तों से सजाया गया।

प्रातःकाल काम खत्म करके शशांक घर लौटकर बोला, "मामला क्या है, गुड़ियों का व्याह है क्या?"

"हाय रे भाग्य, आज तुम्हारा जन्मदिन है, यह भी भूल गए? कुछ भी कहो, आज शाम को तुम बाहर नहीं जा सकते।"

"बिज़िनेस मृत्यु-दिन के अतिरिक्त और किसी दिन के सामने सिर नहीं झुकाता।"

"फिर कभी नहीं कहूँगी, आज लोगों को निमंत्रण दे चुकी हूँ।"

"देखो शर्मिला, तुम मुझे खिलौना बनाकर दुनिया भर के लोगों को बुलाकर खिलवाड़ करने की कोशिश मत करो।" इतना कहकर शशांक तेज़ी से चला गया। शर्मिला सोनेवाले कमरे का द्वार बन्दकर थोड़ी देर तक रोती रही।

शाम को निमन्त्रित लोग आए। बिज़िनेस के सर्वोच्च दावे को सभी ने सहज ही स्वीकार कर लिया। यह यदि कालिदास का जन्मदिन होता और उन्होंने शकुन्तला का तृतीय अंक लिखने की उज्र पेश की होती तो सभीने

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