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पृष्ठ:दो बहनें.pdf/६९

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दो बहनें

मिट्टी में बदल जा सकता है यह मुझे मालूम है--लेकिन हम लोग उसके साथ ताल मिलाएँगे कैसे!'

ऊर्मि बोली, 'रुपया न मिलने से शायद तकलीफ़ में पड़ जाएँ'--

'बहुत अच्छा बेटी, भेज रहा हूँ, फ़िक्र मत करो। लेकिन इतना कह रखता हूँ कि यह शुरुआत है, ख़ात्मा नहीं।

यह जो ख़ात्मा नहीं सो इसका प्रमाण थोड़े दिनों बाद ही और भी बड़ी अदद के रुपये की माँग से मिल गया। इस बार सेहत का तक़ाज़ा है। मैनेजर ने मुँह गम्भीर करके कहा, 'शशांकबाबू के साथ सलाह करनी चाहिए।'

ऊर्मि व्यस्त होकर बोल उठी, 'और चाहे जो करो, दीदी के घर यह ख़बर न जाने पावे।'

'अकेले यह ज़िम्मेवारी लेना मुझे अच्छा नहीं लगता।'

'एक दिन तो रुपया उनके हाथ में जाएगा ही।'

'हाँ, लेकिन उसके आगे देखना होगा कहीं पानी में न चला जाय।

'किन्तु उनके स्वास्थ्य की बात तो सोचनी ही होगी।'

'अस्वास्थ्य नाना जाति का होता है, यह ठीक किस श्रेणी का है, साफ़ समझ नहीं पा रहा हूँ। यहाँ लौट

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